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जर्मनी संघीय गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति, डॉ. फ्रैंक-वाल्टर स्टाइन-मायर के सम्मान में आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन : 24.03.2018

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जर्मनी संघीय गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति डॉ. फ्रैंक-वाल्टर स्टाइन-मायर और फ्राउ बूएडेनबेन्डर,

विशिष्ट अतिथिगण,

देवियो और सज्जनो,

राष्ट्रपति महोदय, मुझे आपका और आपके शिष्टमंडल का स्वागत करके बहुत खुशी हुई है।

हेज़र्-लीश विल-कोमेन

राष्ट्रपति महोदय, हमने पहले भी अनेक अवसरों पर भारत में आपका स्वागत किया है। परंतु आज का दिन अति विशेष है। हमारे देश में आपकी यह पहली राजकीय यात्रा है।

आपने भारत-जर्मनी कार्यनीतिक साझीदारी की मज़बूती में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमारे बीच आपकी उपस्थिति हमारे लिए सचमुच सम्मान का विषय है।

महामहिम,

भारत और जर्मनी के बीच की मैत्री अनूठी और विशेष है। एक ओर इसमें डिजिटल युग की साझेदारी की मज़बूती है,तो दूसरी ओर युगों प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों की गहराई है।

हम दोनों देशों के बीच बौद्धिक आदान-प्रदान की एक लंबी परंपरा रही है। जर्मन विद्वानों ने यूरोप और पश्चिमी दुनिया में भारत संबंधी अध्ययन को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाई। कालिदास के‘शाकुन्तलम्’के जर्मन अनुवाद ने गोठे जैसे विद्वानों के बीच एक अलग तरह की विचारोत्तेजना पैदा कर दी थी। और हमेंमैक्स मुलर और हेरमन हेस्स के तर्कों में हमेशा विश्वास की झलक दिखाई दी।

जर्मन और संस्कृत भाषा के बीच विद्यमान समानताओं ने हमारे सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर प्रभूत प्रभाव डाला है।

महामहिम,

भारत और जर्मनी के बीच सम-सामयिक साझेदारी का निर्माण लोकतंत्र, स्वतंत्रता के मान और कानून के शासन के साझे जीवन-मूल्यों पर हुआ है। बनारस, सारनाथ और पुरानी दिल्ली की अपनी यात्रा में आपने स्वयं महसूस किया होगा कि इन जीवन-मूल्यों और अपनी सांस्कृतिक विविधता को हम कितना महत्व देते हैं।

हमारी आर्थिक और प्रौद्यागिकी साझेदारी में अनेक उपलब्धियों की गाथा शामिल रही है। हमें इस पर बहुत गर्व है।1867 में कोलकाता और लंदन के बीच टेलीग्राफ तार बिछाए जाने पर हमने जर्मन प्रौद्योगिकीय विशेषज्ञता की सराहना की थी। आपने हमारे देश के प्रमुख इंजीनियरी संस्थान के रूप में आईआईटी,मद्रास की स्थापना में भी हमारी सहायता की थी। उच्च प्रौद्योगिकी के अग्रणी साझेदार के रूप में हम आप पर सतत भरोसा करते रहे हैं।

सतत विकास के अपने उपक्रम में हम जर्मनी को एक स्वाभाविक साझेदार के रूप में देखते हैं। चाहे साइबर स्पेस की जटिलताओं को सुलझाने का मामला हो या जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की रूप-रेखा तय करनी हो,डिजिटल परिवर्तन हो या नवीकरणीय ऊर्जा को सहेजने की बात हो,हमारी साझेदारी हमारे भविष्य से जुड़ी हुई है।

हमारे ‘मेक इन इंडिया’ ‘स्किल इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत’और ‘स्टार्ट अप इंडिया’कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में जर्मन कंपनियां मदद कर रही हैं। हम चाहते हैं कि हमारी इस यात्रा में और भी कंपनियां शामिल हों।

महामहिम,

हमारे बीच, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में गहन सहयोग बना हुआ है। पारंपरिक ज्ञान प्रणाली और चिकित्सा पर हमारे विचार भी एक जैसे हैं। आयुर्वेद और होम्योपैथी हमारी साझी विरासत का हिस्सा हैं। हानेमन की धरती और चरक के देश को स्वस्थ और सतत जीवन का एक वैकल्पिक मार्ग तैयार करने के लिए एकजुट होना चाहिए।

हमारे लोगों के बीच आपसी रिश्तों का विस्तार हो रहा है। हमारी एकजुटता के नए नेटवर्कों की स्थापना का काम विद्यार्थियों,कौशल और खेल-कूद के माध्यम से किया जा रहा है।

महामहिम,

हमारी कार्यनीतिक साझेदारी उच्चतर स्तर की ओर बढ़ रही है। हमारा सुरक्षा, प्रतिरक्षा और अंतरिक्ष सहयोग, हमारी साझेदारी के दायरे का विस्तार करता जा रहा है।

महामहिम, आज के समय में,दुनिया का कोई भी कोना आतंकवाद की आपदा से अछूता नहीं है। आतंकवाद हमारे शांतिपूर्ण समाजों के लिए और हमारे विकास और प्रगति के लिए लगातार खतरा पैदा कर रहा है। हमें इन अमानवीय त़ाकतों को पराजित करने के लिए और ज्यादा मज़बूती से एकजुट होना होगा।

विश्व शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में जर्मनी की भूमिका को हम बहुत अहमियत देते हैं। यूरोप को और बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को मज़बूत बनाने के आपके प्रयासों का हम पूरा समर्थन करते हैं। इस संदर्भ में,हिन्द महासागर क्षेत्र और अन्य स्थानों पर हम दोनों के बीच साझा कार्य करने की अनेक संभावनाएं हैं।

महामहिम, हमारे संबंधों को और घनिष्ठ व प्रगाढ़ बनाने की गहरी इच्छाशक्ति हम दोनों देशों में मौजूद है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आपकी यात्रा से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी।

महामहिम-गण, देवियो और सज्जनो,


इन्हीं शब्दों के साथ, आइए हम सब मिलकर:

- राष्ट्रपति स्टाइन-मायर और फ्राउ बूएडेनबेन्डर के स्वास्थ्य और कुशलता की;

- जर्मनी की मैत्रीपूर्ण जनता की प्रगति और समृद्धि की; और

- भारत और जर्मनी के बीच चिरस्थायी मैत्री की, कामना करें।

डाँके, धन्यवाद!