वैज्ञानिकों के साथ गोलमेज चर्चा पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण
बंगलुरू : 24.10.2017
बंगलुरू में यथासंभव रूप से स्वागत करने के लिए आपका धन्यवाद। मैंने बहुत कुछ सीखा है और मैं उस उकसाहट को महसूस कर सकता हूं जो विज्ञान के मोर्चों को खंगालने से मिलती है, आप सबसे जो देश के अग्रणी विद्वान, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद हैं, मुझे मालूम हुआ है कि न्यू इंडिया 2022 के बारे में आपके द्वारा क्या कार्रवाई की गई है। मुझे विश्वास है कि हमारा भविष्य सुरक्षित हाथों में है। मुझे आपको 2022 का संदर्भ याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है। जब हम हमारी स्वतंत्रता के75वर्ष पूरे कर रहे होंगे। हमें2022के लोकतंत्र के वास्तविक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वही उत्साह और राष्ट्रभक्ति पैदा करनी होगी।
इस बैठक का स्थान बहुत उपयुक्त है। इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की शुरुआत हुई और इसने भारत के लिए विज्ञान के क्षेत्र में दशकों तक काम किया। राष्ट्र निर्माण इसके डीएनए में बसा हुआ है। हम यह कभी नहीं भूल सकते कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस का मूल भी हमारे देश में विश्व स्तर के विज्ञान अनुसंधान संस्थान की स्थापना के लिए जमशेदजी टाटा और स्वामी विवेकानंद द्वारा किए गए अनुरोध में निहित है। उन दो महान भारतीयों का सपने ने इतनी लंबी दूरी तय की है।
मित्रो,
ज्ञान, खोज और नवोन्वेष चार ऐसे पहिए हैं जो हमारे देश को आगे ले जाते हैं। चौथा पहिया हमारा समाज है। प्रत्येक पहिए को सहयोग और शांति से चलना है। थोड़ी सी चूक भी हमें गलत दिशा में ले जाएगी अथवा हमें रोक देगी। वैज्ञानिकों के रूप में आपकी भारी जिम्मेदारी है। आप तीन पहियों के सीधे प्रभारी हैं परंतु जब तक आप प्रत्येक दिन को चौथे पहिए से नहीं जोड़ोगे, हमारा कोई भविष्य नहीं है।
आज भारत एक असाधारण स्थिति में है। हमारे सामने अनेक चुनौतियां हैं। हमें अपने लोगों को गरीबी से उठाना है,उनका स्वास्थ्य और खुशहाली सुनिश्चित करनी है और खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करनी है। चुनौति का आकार बहुत बड़ा है।
आप सबसे मैंने सुना कि आपके द्वारा कितनी बाधाओं को पार किया गया - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के आरंभ से और समस्त बंगलुरू इकोसिस्टम ऑफ इंस्टीट्यूशन की प्रगति तक। बंगलुरू को गार्डन सिटी होने के लिए इसकी जलवायु के लिए जाना जाता है और सूचना प्रौद्योगिकी के पावर हाउस होने के लिए भी जाना जाता है।
नैनो साइंस और मटेरियल साइंस में हम विश्व में सवोत्तम हैं। यह बंगलुरू के प्रो. सी.एन.आर राव जिन्हें भारत रत्न से विभूषित किया गया था और जो हमारे देश के बहुमूल्य व्यक्तियों में से एक थे, के नेतृत्व से संभव हुआ।
भारत जेनेरिक ड्रग्स और वैक्सिन में अग्रणी है औरबायोटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम इस शहर में असाधारण रूप से प्रकंपित है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये सफलताएं और पुरानी सफलताएं जैसे कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन,सुरक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और परमाणु ऊर्जा विभाग सभी अनुसंधान में निवेश से निकलते हैं। यह लोक निवेश नए ज्ञान और खोज को उत्पन्न करने के उद्देश्य से हैं। समय-समय पर ऊर्जात्मक निजी क्षेत्र द्वारा इसकी सराहना की गई जिससे प्रौद्योगिकी को उत्पाद में परिवर्तित किया।
संक्षिप्त में विज्ञान मानव आकर्षण और उत्सुकता के बारे में है। यह नए मोर्चों के लिए असीमित जिज्ञासा के बारे में है। हजारों वर्ष से आर्यभट्ट और चरक के युग से विज्ञान का और इसके जिज्ञासा की भावना का स्वागत हुआ है। साइंस बुद्धिमता का ट्रिगर है और बल को कई गुणा बढ़ाने वाला है।
श्रेष्ठ वैज्ञानिकों जैसे कि सी वी रमण से एस. चंद्रशेखर,जी एन रामाच्रदंगन से ओबेद सिद्दकी और सीएन राव से श्रेष्ठ मेरे पूर्ववर्ती डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम तक यह एक जिज्ञासा भरा निवेश है जिसमें समाज को पुनर्भुगतान किया है। सागा युवा वैज्ञानिकों के साथ बना हुआ है।
समाज सही मायने में रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान की मांग करता है। दूसरी ओर वैज्ञानिकों को परमाणु से नक्षत्रों तक ज्ञान के लिए अपनी जिज्ञासा के साथ समझौता नहीं करना है। ये दोनों परिश्रम एक दूसरे के विरोधी हैं। हमने देखा है कि कैसे इसरो स्वर्गीय डॉ. सतीश धवन के प्रयासों में आधुनिक विज्ञान से किसानों की मदद के साथ मिलकर और इसरो के अनुसंधान, प्रयोगों और नवोन्वेष को शैक्षिक भारतीय इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के शैक्षिक क्षमताओं के साथ जोड़ने में भी सफल रहा है।
चुनौती है भागीदारी की पुनरावृत्ति की और सभीसंस्थाओं और अनुशासनों में सहयोग की। आज आपके पास एक क्रांति को आगे बढ़ाने का अवसर है जहां सभी वैज्ञानिक संस्थान एक साथ कार्य कर रहे हैं। वे अपनी ताकत को साझा कर सकते हैं और उदाहरण से यह दिखा सकते हैं कि कैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी हमें नई ऊंचाई तक पहुंचा सकते हैं। बंगलुरू में आपके प्रयासों की चिंगारी पूरे देश में ज्ञान की ज्योति जला सकती है। यह नवोन्वेष की संस्कृति को और अधिक और गहरे रूप से प्रयोगशाला से दुकानों तक,और स्कूल के कक्षाओं तक पहुंचाने में मदद कर सकती है।
मैं देश के प्रति वैज्ञानिकों की प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं। वे भारत को गौरवान्वित करते हैं। मैं निःसंदेह रूप से कह सकता हूं कि आप सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं और 2022 के लिए आपकी प्रमुख जिम्मेदारी है। और नेतृत्व और बुद्धिमत्ता जो मैंने यहां देखी है, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं कि हम इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सही पथ पर अग्रसर हैं।
धन्यवाद, आपको शुभकामनाओं सहित
जय हिन्द।