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दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति महामहिम माटामेला सिरिल रामफोसा की राजकीय यात्रा पर राष्ट्रपति जी द्वारा राजभोज के अवसर पर अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन : 25.01.2019

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दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति श्री माटामेला सिरिल रामफोसा और प्रथम महिला डॉ. सेपो मोटसेपे,

दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल के माननीय सदस्यगण,

देवियो और सज्जनो,

सान बोनानी! नमस्कार!

1. राष्ट्रपति महोदय, भारत की आपकी प्रथम राजकीय यात्रा पर आपका और मैडम प्रथम महिला का स्वागत करना मेरे लिए सम्मान की बात है। आपकी यात्रा, एक ऐसे विशिष्‍ट अवसर पर हो रही है, जब हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती और मदीबा की 100वीं जयंती मना रहे हैं। समांतर राजनीतिक मार्ग पर चलने वाले हमारे इन दोनों नेताओं के संबंध में यह एक सुखद संयोग है। हमारे लिए और संपूर्ण मानवता के लिए, जो साझी विरासत ये महान नेता छोड़कर गए हैं, उस पर ध्‍यान केन्द्रित करने का यह उत्‍तम सुअवसर हमें प्राप्‍त हुआ है।

2. उन दोनों के जीवन के बारे में बात करते हुए, मुझे महात्‍मा गांधी के वे शब्‍द याद आते हैं जो उन्‍होंने दक्षिण अफ्रीका से विदा होते समय कहे थे। उन्‍होंने कहा था - "यह उपमहाद्वीप, मेरे लिए, मेरी मातृभूमि के बाद, अति पावन और प्रिय भ़ूमि है। मैं बहुत भारी मन से दक्षिण अफ्रीका से विदा ले रहा हूं, और दक्षिण अफ्रीका से जो जमीनी दूरी अब मुझे अलग कर रही है, वही दूरी, मुझे इसके और करीब लाएगी तथा इसकी भलाई की चिन्‍ता हमेशा मेरे हृदय में रहेगी”। राष्ट्रपति महोदय, उस राष्‍ट्र संत के इस महान उद्गार ने हमेशा हमारा मार्गदर्शन किया है और इसी भावना से हम, अपनी विशेष मैत्री तथा Strategic Partnership को आगे बढ़ाने और प्रगाढ़ करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

3. महात्मा गांधी और नेलसन मंडेला, केवल भारत और दक्षिण अफ्रीका की ही नहीं, अपितु पूरे विश्व की धरोहर हैं। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए, हमने वैश्विक कृत्रिम अंग फिटमेंट प्रोग्राम शुरू किया है जिसे हमने - "मानवता के लिए भारत” नाम दिया है।ऐसा करते हुए हम गांधीजी के सार्वभौमिक संदेश तथा दक्षिण अफ्रीकी भावना "ऊ-बुनटू” अर्थात्-अन्य लोगों के प्रति मानवीयता और करुणा की भावना से प्रेरणा प्राप्‍त करते हैं।

राष्ट्रपति महोदय

4. हमारी आर्थिक साझेदारी, हमारे संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। भारतीय उद्योग, आपकी आर्थिक नीतियों और दृष्टिकोण से बहुत उत्साहित महसूस कर रहा है। हमने भी, भारत की ओर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को आकर्षित करने और अपने विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए हैं। ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत’ और ‘स्मार्ट सिटी ’ कार्यक्रमों में अपने साथ साझेदारी के लिए हम दक्षिण अफ्रीकी कंपनियों को आमंत्रित करते हैं। इस साझेदारी में सहभागी बनने के लिए हम, नए युग के आधुनिक हितधारियों को यानि कि, नवाचारियों से लेकर नव व्यवसायियों, को स्टार्टअप से लेकर अनुभवी उद्यमियों को भी आमंत्रित करते हैं।

5. हमें ‘चौथी औद्योगिक क्रांति’ से उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाने के लिए भी आगे बढ़कर काम करना चाहिए। डिजिटल टेक्‍नोलॉजी में हमारे लोगों के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि जल्‍दी ही हम अपने टेली-एजुकेशन और टेली-मेडिसिन कार्यक्रम: ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती के लाभों को आपके साथ और अफ्रीका के अन्य देशों के साथ साझा करेंगे।

राष्ट्रपति महोदय,

6. आपके इंद्रधनुषी राष्ट्र में हमारे भारत की बहु-आयामी छटा का एक हिस्‍सा शामिल है और हमारे बहु-सांस्कृतिक ताने-बाने में दक्षिण अफ्रीका के कई रंग मौजूद हैं। पकवानों से लेकर क्रिकेट तक और बबूटी से लेकर बिरयानी तक, ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्‍हें दोनों देशों के लोग साझा करते हैं और आनंदित होते हैं। आइए, हम अपनी साझी विरासत और अपने मूल्यों से अपने-अपने राष्‍ट्र-जीवन को समृद्ध करते रहें।

राष्ट्रपति महोदय,

7. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में तीसरी बार सदस्यता से सम्‍मानित होने पर मैं दक्षिण अफ्रीका को हार्दिक बधाई देता हूं। संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रभावी, अधिक समतापूर्ण, और वर्तमान की वास्तविकताओं का बेहतर प्रतिबिम्‍ब बनाने के लिए हम आपके साथ मिलकर कार्य करते रहेंगे। हम न्यायपूर्ण, प्रातिनिधिक और लोकतांत्रिक वैश्विक व्यवस्था के लिए साथ मिलकर कार्य करते रहेंगे ताकि उसमें अफ्रीका और भारत में रहने वाली, दुनिया की एक तिहाई आबादी की आवाज़ और भूमिका को स्‍थान मिल सके।


8. इन्हीं उत्‍साहजनक शब्‍दों के साथ, मैं, आप सभी विशिष्टजनों से

अनुरोध करता हूं कि हम सब मिलकर :

·राष्ट्रपति रामाफोसा और डॉ. मोटसेपे के बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाली की;

·दक्षिण अफ्रीका के लोगों की निरंतर प्रगति और समृद्धि की; तथा

·भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चिरस्थाई मैत्री की कामना करें।

एन-गिया-बोंगा

दो-लिबो-वा

धन्यवाद !