भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर संबोधन
नई दिल्ली : 25.01.2021
हमारे जीवंत लोकतन्त्र के संचालन में चुनाव प्रक्रिया की प्रमुख भूमिका है। देश में, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के संवैधानिक दायित्व का सफलतापूर्वक वहन करने वाले भारत निर्वाचन आयोग के 72वें स्थापना दिवस पर, मैं, सभी पुरस्कार विजेताओं और देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं।
चुनाव प्रक्रिया की सफलता का आधार हमारे जागरूक मतदाता हैं। सभी मतदाताओं को जागरूक बनाने और मतदान प्रक्रिया में अधिक से अधिक भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने के प्रमुख उद्देश्य को ल ेकर वर्ष 2011 से ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ का आयोजन किया जा रहा है। आज, 11वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर मैं सभी मतदाताओं को, विशेषकर हमारे उन युवा मतदाताओं को बधाई देता हूं, जिन्हें पहली बार मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ है। आज से आपको, भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में और देश का भविष्य तय करने में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आप सबको मेरी बहुत-बहुत बधाई।
भारत निर्वाचन आयोग की यात्रा, एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत की यात्रा से ठीक एक दिन पहले 25 जनवरी, 1950 को आरंभ हुई थी। निर्वाचन आयोग, चुनाव प्रक्रिया को प्रभावी बनाए रखने के लिए समुचित उपाय करता रहा है। सशक्त निर्वाचन तंत्र के निर्माण के द्वारा भारत निर्वाचन आयोग ने पूरी दुनिया के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया है।
देवियो और सज्जनो,
भारत में गणतांत्रिक प्रणाली का समृद्ध इतिहास रहा है। स्वाधीनता प्राप्ति के बाद, भारत के संविधान के माध्यम से रोपे गए लोकतंत्र के पौधे की जड़ें, लगभग ढाई हजार वर्ष पुरानी गणतंत्र की मिट्टी से पोषण प्राप्त कर रही हैं। संभवत: इसीलिए, आज पूरी दुनिया में जब लोकतांत्रिक संस्थाओं के कमजोर होते जाने की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं, तब भारत में लोकतंत्र मजबूत होता जा रहा है। वैशाली, कपिलवस्तु और मिथिला की परंपरा से भारत ने यह सीखा है कि शासन पर, समाज के किसी एक वर्ग या वंश का एकाधिकार नहीं होता है। लोकतंत्र में ‘लोक’ यानि जनता की इच्छा ही सर्वोपरि होती है। गांधीजी के ‘ग्राम स्वराज’ से प्रेरित हमारे संविधान के ‘पंचायती-राज’ में, भारत की इसी परंपरा की सहज अभिव्यक्ति देखी जा सकती है।
भारत की चुनाव प्रक्रिया के सफल संचालन से प्रेरित होकर, विश्व के अनेक देशों ने हमारी चुनाव प्रणाली का अध्ययन करने में रुचि दिखाई है। कोविड महामारी के दौरान भी ‘सुगम, समावेशी एवं सुरक्षित’ चुनाव कराने के अपने ध्येय के अनुरूप निर्वाचन आयोग ने विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किए। अपनी ज्ञान संपदा को साझा करने की हमारी परंपरा के अनुरूप, भारत निर्वाचन आयोग ने, सितम्बर, 2020 में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में 106 देशों तथा 16 सहभागी संगठनों के साथ अपने अनुभव साझा किए।
विश्व भर में लोकतंत्र को मजबूती देने के ऐसे ही सराहनीय प्रयासों को देखते हुए, सितम्बर, 2020 में, भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को ‘असोसिएशन ऑफ़ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज’ का अध्यक्ष बनाया गया। स्वतंत्रता-प्राप्त करने के लगभग 75 वर्षों के भीतर ही भारत लोकतन्त्र के एक विश्व-व्यापी आदर्श के पोषक के रूप में उभरा है। इस उपलब्धि में, निर्वाचन आयोग के शीर्षस्थ अधिकारी से लेकर देश के छोटे से छोटे गाँव में बसे साधारण नागरिकों का अमूल्य योगदान है।
देवियो और सज्जनो,
आज इस अवसर पर, मैं, आप सभी को स्मरण कराना चाहूंगा कि हम सभी को मतदान के बहुमूल्य अधिकार का सदैव सम्मान करते रहना चाहिए। मतदान का अधिकार कोई साधारण अधिकार नहीं है। दुनिया भर में, मतदान के अधिकार के लिए लोगों ने बहुत संघर्ष किया है। प्राय:, सरलता से प्राप्त उपलब्धियों का मूल्य जल्दी समझ में नहीं आता। संविधान सभा के सदस्य के रूप में अग्रणी संविधानवेत्ता अल्लाडि कृष्णास्वामी अय्यर ने वयस्क मताधिकार को लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था की सफलता का प्रमुख आधार बताया था और इस ऐतिहासिक क़दम का महत्व समझाते हुए कहा था – "It may be stated that never before in the history of the world has such an experiment been so boldly undertaken”.
अमेरिका जो विकसित देशों की सूची में अग्रणी रहता है और जनतंत्र का प्रमुख उदाहरण माना जाता है, वहां भी, अनेक दशकों के संघर्ष और लोगों के अटूट साहस एवं धैर्य के बल पर मतदान का अधिकार लोगों को प्राप्त हो सका था। ब्रिटेन में भी, महिलाओं को मतदान का अधिकार प्राप्त करने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी।
आज़ादी से पहले, भारत की स्थिति भी मताधिकार के मामले में अन्य देशों से बहुत भिन्न नहीं थी। हमारे देश में, भारत सरकार अधिनियम 1919 और 1935 के द्वारा चुनिंदा लोगों को ही, मतदान का अधिकार दिया गया था। लेकिन, स्वतंत्र भारत के हमारे संविधान में, आरंभ से ही 21 वर्ष या अधिक आयु के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार प्रदान किया। बाद में इस आयु को घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया। योग्यता, धर्म, नस्ल, जाति के आधार पर कोई भेदभाव न करते हुए, हर पुरुष या महिला, अमीर या ग़रीब को मतदान का अधिकार है और हर व्यक्ति के मत का महत्व भी समान रखा गया है। इसके लिए हम सब अपने संविधान-निर्माताओं के ऋणी हैं।
देवियो और सज्जनो,
पिछले वर्ष, कोविड महामारी के दौरान बिहार विधान-सभा, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में सफल एवं सुरक्षित चुनावों का सम्पन्न होना हमारे लोकतन्त्र की असाधारण उपलब्धि है। मुझे यह जान कर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि चुनाव आयोग ने सुगम, समावेशी और सुरक्षित चुनाव आयोजित करने के लिए अनेक नवाचारी और समयानुकूल उपाय किए। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि बिहार विधान सभा के चुनाव में, दिव्यांग-जनों, 80 वर्ष से ऊपर के वृद्ध-जनों, आवश्यक सेवाओं में कार्यरत मतदाताओं अथवा कोविड से संक्रमित या क्वारंटीन में रखे गए मतदाताओं को डाक मतपत्र अर्थात पोस्टल बैलट की सुविधा उपलब्ध कराई गई। महिलाओं की सुविधा के लिए, महिलाओं द्वारा प्रबंधित मतदाता केन्द्रों की संख्या बढ़ाई गई। इन्हीं विशेष प्रयासों के कारण, बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए आयोजित चुनाव में, कोविड महामारी से जुड़े प्रतिबंधों एवं कठिनाइयों के बावजूद मतदान का प्रतिशत 57.05 तक पहुंच गया जो कि 2019 के लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत के लगभग बराबर था। इस सराहनीय उपलब्धि के लिए निर्वाचन आयोग, मतदान-तंत्र से जुड़े सभी लोग और हमारे जागरूक मतदाता विशेष बधाई के पात्र हैं।
मुझे बताया गया है कि चुनाव आयोग ने मतदाता संपर्क बढ़ाने के लिए डिजिटल संचार सहित मल्टीमीडिया का उपयोग बढ़ाया है। चुनाव के दौरान कोविडसुरक्षा प्रोटोकॉल तथा दिशा-निर्देशों के बारे में जागरूकता फैलाने, पंजीकरण कराने तथा मतदान में भाग लेने हेतु मतदाताओं को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से संचार माध्यमों का अधिकाधिक उपयोग किया गया।
देवियो और सज्जनो,
कोरोना महामारी अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है। 2021 में भी निर्वाचन आयोग को अनेक चुनावों का आयोजन करना है। आयोग ने मतदाताओं को ‘Safe, Empowered, Informed and Vigilant’ बनाने का ध्येय तय किया है। नए मतदाताओं के नाम जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। ‘डिजिटल इंडिया’के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए नवीन उपाय किए गए हैं। मुझे बताया गया है कि इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, 1 जनवरी 2021 तक लगभग 27 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में शामिल किए गए हैं। अब हमारे देश में मतदाताओं की संख्या 92 करोड़ से अधिक हो गई है जिनमें महिलाओं की संख्या लगभग 44 करोड़ से ऊपर है।
भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने मतदान के अधिकार को सर्वोपरि माना था। इसलिए, हम सभी का, विशेष रूप से, पहली बार मतदान का अधिकार प्राप्त करने वाले हमारे युवाओं का दायित्व है कि वे न केवल स्वयं अधिक से अधिक संख्या में, पूरी समझ-बूझ के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग करें, अपितु दूसरे लोगों को भी प्रेरित करें।
अंत में, एक बार फिर, मैं सभी देशवासियों को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ की बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि हम सब मिलकर, अपने देश में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए अपना योगदान निरंतर देते रहेंगे।
धन्यवाद,
जय हिन्द!