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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का गाँधी शांति पुरस्कार समारोह में सम्बोधन

राष्ट्रपति भवन : 26.02.2019

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1. अहिंसा के द्वारा मानवता की सेवा के लिए स्थापित ‘गांधी शांति पुरस्कार’ समारोह में भाग लेकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते हुए, जन-कल्याण में असाधारण योगदान देने वाली, आज की सभी पुरस्कृत संस्थाओं तथा श्री योहेई सासाकावा को मैं बधाई देता हूँ।

2. महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर आरंभ किए गए इस पुरस्कार से सम्मानित व्यक्तित्वों और संस्थानों ने लोक-कल्याण के प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। इन दिनों भारत और विश्व के अन्य देशों में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। गांधी जी को आदर्श मानने वाले नेल्सन मंडेला से लेकर बाबा आमटे तक, और रामकृष्ण मिशन से लेकर बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक तक, सभी ‘गांधी शांति पुरस्कार’ विजेताओं ने अहिंसा, करुणा, नैतिकता और नि:स्वार्थ सेवा की सार्थकता में लोगों की आस्था बढ़ाई है।

3. महात्मा गांधी ने भारतीय समाज, राजनीति और अध्यात्म को बहुत बड़े पैमाने पर बदला था। केवल भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व पर गांधी जी के व्यक्तित्व और कार्यों का गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी संस्कृतियों के मानवतावादी मूल्यों का संगम प्रस्तुत किया और सही मायनों में विश्व-मानव के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की। मैंने अपनी यात्राओं के दौरान, विश्व में हर जगह देखा है कि सम्‍पूर्ण मानवता के आदर्श के रूप में गांधी जी को बहुत ही सम्‍मान के साथ याद किया जाता है। विश्व समुदाय द्वारा उन्हें मूर्तिमान भारत के रूप में देखा जाता है।

4. भारतीय परंपरा के अनुरूप गांधी जी सत्य और अहिंसा को एक ही सिक्के के दो पहलू मानते थे। उन्होंने सत्य को साध्य और अहिंसा को साधन माना। वे सत्य और अहिंसा को पूरी मानवता के लिए अनिवार्य मानते थे। पूरे विश्व को एक ही परिवार मानने के ‘वसुधैव कुटुम्बक’ के आदर्श को अपनाते हुए, भारत ने सदैव विश्व-बंधुत्व, विश्व-सहयोग और विश्व-शांति का समर्थन किया है। गांधी जी ने कहा था "प्रत्येक हत्या या आघात, उसका कारण कुछ भी रहा हो, मानवता के विरुद्ध अपराध है।”

5. महात्मा गांधी ने यह सिद्ध कर दिखाया कि अहिंसा के जरिए क्रांतिकारी बदलाव लाना सर्वथा संभव है। उनके प्रसिद्ध सहयोगी विनोबा भावे कहते थे कि गांधी जी के पास मुझे हिमालय की शांति भी मिली और … क्रान्ति भी।

6. गांधी जी ने सर्वोदय के लक्ष्य पर ज़ोर दिया था। सर्वोदय अर्थात सबका उदय। सबके उदय का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब अंतिम व्यक्ति का उदय होगा। उनके अनुसार, सबसे दुर्बल और गरीब व्यक्ति के जीवन और नियति को सुधारने का उद्देश्य ही किसी भी कार्य के उचित होने की कसौटी है। उन्होंने सबके कल्याण के लिए, किए जाने वाले कार्यों की सूची बनाई थी और उसे ‘रचनात्मक कार्यक्रम’ का नाम दिया था। गांधी जी ने कहा था कि रचनात्मक कार्यक्रम को अहिंसात्मक साधनों द्वारा ही अमल में लाया जा सकता है। वे कहते थे कि हिंसा के जरिए किए गए प्रयास बहुत दुखदाई होते हैं।

7. गांधी जी ने अहिंसा के द्वारा सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और नैतिक परिवर्तन की जो महागाथा लिखी उससे प्रेरित होकर अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और पोलैंड में लेक वालेसा ने निर्बल लोगों को उनका हक दिलाने के लिए अहिंसापूर्ण आंदोलन किए। पूरे विश्व में महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले ऐसे जन-नायकों की एक बड़ी सूची है जिन्होंने 20वीं सदी में शोषण और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई और अहिंसा के बल पर कामयाबी हासिल की। यह भी कहा जा सकता है कि मानव इतिहास के आधुनिक दौर में गांधी जी और उनके विचार, विश्व-समुदाय को भारत की अमूल्य सौगात हैं।

8. आज पूरी दुनिया यह स्वीकार कर रही है कि गांधी जी के मूल्यों को अपनाकर ही, विश्व में शांति और सतत विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है। गांधी जी के बताये रास्ते पर चल कर ही, विश्व-समुदाय पर्यावरण और सामाजिक सौहार्द के क्षेत्र की गम्भीर चुनौतियों का सामना कर सकता है। आज भी विश्व में बहुत बड़ी संख्या में लोग गरीबी और अभाव में जीवन बिताने को मजबूर हैं। पूरी दुनिया ‘क्लाइमेट-चेंज’ की चुनौती का सामना कर रही है। गांधी जी कहते थे कि प्रकृति हमारी आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न करती है। यदि मनुष्य उतना ही ले जितने की आवश्यकता है, तो इस दुनिया में न गरीबी रहेगी और न ही एक भी आदमी भूख से मरेगा। उनके इन्हीं विचारों को किसी ने बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है, "The earth has enough for everyone’s need but not for everyone’s greed.”

9. गांधी शांति पुरस्कार की स्थापना अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक बदलाव के लिए की गयी है। निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले व्यक्ति और संस्थाएं अनेक हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित गांधी शांति पुरस्कार की जूरी का काम अत्यंत कठिन हो जाता है। बहुत से उत्तम नामों में से इन चार वर्षों के लिए ऐसे प्रेरणादायी awardees का चयन करने के लिए मैं जूरी का अभिनंदन करता हूँ और धन्यवाद देता हूँ।

10. संयुक्त राष्ट्र द्वारा जो Sustainable Development Goals निर्धारित किए गए हैं उनमें भी गांधी जी के कार्यक्रम और विचार, आज के विश्व-व्यापी संदर्भ में परिलक्षित होते हैं। मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि ‘इन्टरनेशनल सोलर अलायंस’ के नेतृत्व से लेकर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ तक, हमारे देश ने गांधी जी के मूल्यों के अनुरूप प्रभावकारी कदम उठाए हैं और बड़े लक्ष्य तय किए हैं।

11. आज सम्मानित किए गए संस्थानों और श्री सासाकावा के प्रशस्ति-वाचनों और भाषणों से हम सभी को मानव-कल्याण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे उनके निष्ठापूर्ण योगदान और उपलब्धियों की जानकारी मिली है। मुझे विश्वास है कि यह जानकारी जन-सेवा की भावना के प्रसार में सहायक सिद्ध होगी। मैं आशा करता हूँ कि सभी श्रोतागण इन प्रयासों के विषय में अधिक से अधिक लोगों को अवगत कराएंगे।

12. लोक-कल्याण के लिए आजीवन समर्पित रहे श्री एकनाथ रानाडे द्वारा स्थापित विवेकानंद केंद्र ने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग के माध्यम से पूरे देश में, विशेषकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में, स्वावलंबन और विकास को प्रोत्साहित किया है।

13. ‘अक्षय पात्र फाउंडेशन’ की मुहिम है कि कोई भी बच्चा भूख के कारण शिक्षा से वंचित न रह जाए। आधुनिक टेक्नॉलॉजी का प्रयोग करके बहुत बड़ी मात्रा में गुणवत्ता और स्वच्छता के साथ भोजन उपलब्ध कराके फाउंडेशन ने विश्व-स्तर का मानदंड स्थापित किया है। मुझे बताया गया है कि फाउंडेशन के प्रयासों से 12 राज्यों के लगभग 18 लाख बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक आहार मिल रहा है। इनके कार्यों से सर्वशिक्षा अभियान के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र द्वारा Sustainable Development Goals, में शामिल zero hunger तथा quality education के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल रही है।

14. इस वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के दिन यानी 2 अक्तूबर तक, पूर्ण स्वच्छता का लक्ष्य हासिल करना हमारे देश की प्राथमिकता है। स्वच्छता के लक्ष्य को सरकार द्वारा संस्थागत और सुसंगठित तरीके से प्रोत्साहन मिलने से आज स्वच्छता अभियान ने एक जन-आंदोलन का रूप ले लिया है। लोगों की सोच में बदलाव आया है। ‘खुले में शौच’ के अभिशाप से मुक्त होकर हमारी बहू-बेटियाँ नारकीय स्थितियों से बाहर आई हैं। स्वास्थ्य, सुरक्षा और गरिमा की दृष्टि से हमारी बेटियों का जीवन बेहतर हुआ है। हमारे अनेक देशवासियों का बीमारियों से बचाव हो रहा है।

15. हमारे देश में स्वच्छता को एक सुनियोजित सामाजिक अभियान के रूप में आगे बढ़ाने में डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक द्वारा स्थापित ‘सुलभ इन्टरनेशनल’ का सराहनीय योगदान रहा है। जब स्वच्छता को इतना महत्व नहीं दिया जाता था, उस दौर में उन्होंने स्वच्छता के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया। आज उनकी संस्था को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति और सम्मान प्राप्त है।

16. महात्मा गांधी मानते थे कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। आज भी हमारे देश की अधिकतर आबादी गाँवों में रहती है। इसलिए, ग्रामवासियों का विकास ही देश के समग्र विकास का आधार है। एकल अभियान ट्रस्ट द्वारा पूरे देश के सुदूर इलाकों में, 22 लाख बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जा रही है जिनमें बेटियों की संख्या 52 प्रतिशत है। ग्राम विकास के, विशेषकर आदिवासी समुदायों के बहु-आयामी विकास के लिए जो प्रयास इस ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे हैं उनके प्रभावी परिणाम गांधी जी के ग्राम-स्वराज की अवधारणा को पुष्ट करते हैं।

17. कुष्ठ निवारण और उन्मूलन तथा कुष्ठ प्रभावित लोगों के साथ भेदभाव समाप्त करने के लिए अपने विश्व-व्यापी प्रयासों द्वारा श्री योहेई सासाकावा जो योगदान दे रहे हैं वह अत्यंत सराहनीय है। उनका कार्य अंधेरे जीवन में प्रकाश फैलाने जैसा है। श्री सासाकावा जापान के लोगों की उन विशेषताओं का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जिनसे प्रभावित होकर गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने सन 1924 में टोक्यो में अपने एक व्याख्यान में कहा था, "I have a deep admiration for you people …… in your character you have combined the brilliance of the fire and the fluidity of water…”. मैं भारत में श्री सासाकावा के फाउंडेशन द्वारा किए गए सेवा-कार्यों के लिए उनकी सराहना करता हूँ।

18. शांतिदूत, अहिंसा के पुजारी और पूरी मानवता के हित में आजीवन, प्रतिपल समर्पित रहने वाले महात्मा गांधी के आदर्शों को साकार स्वरूप देने के लिए मैं एक बार फिर आज के सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूँ। मुझे विश्वास है कि उनके उदाहरण से मानव-कल्याण के अनेक अभियानों को प्रोत्साहन मिलेगा।

धन्‍यवाद।

जय हिन्‍द।