भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के लोकार्पण समारोह के अवसर पर सम्बोधन
जगदलपुर : 26.07.2018
1. छत्तीसगढ़ में अपने आदिवासी भाई-बहनों के बीच आकर मुझे हमेशा एक खास तरह का अपनापन महसूस होता है। इसीलिये, आज यहाँ आने के लिए जब डॉक्टर रमन सिंह जी का आमंत्रण मुझे मिला तो उसे स्वीकार करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। यह आमंत्रण स्वीकार करने के पीछे एक कारण और भी था। कल मेरे राष्ट्रपति कार्यकाल का एक वर्ष पूरा हुआ। मैंने यह निर्णय लिया था कि मैं उस दिन को, दिल्ली से दूर, अपने आदिवासी भाई-बहनों और बच्चों के साथ बिताऊँगा। इस तरह, बस्तर आने का आमंत्रण स्वीकार करके, मुझे अपनी उस इच्छा को पूरा करने का, सुअवसर मिला।
2. बस्तर और आस-पास के क्षेत्र से, मैं भलीभांति परिचित हूँ।‘राम कृष्ण मिशन’ द्वारा नारायणपुर और अबूझमाड़ के दुर्गम आदिवासी क्षेत्रों में काम करने का सेवा-भाव, मैंने स्वयं अपनी आँखों से देखा है। स्वामी विवेकानन्द का कहना है कि जीना उसी का जीना है जो औरों की खातिर जीते हैं। और ये भावना हमारे ग्रामीण और आदिवासी भाई-बहनों में अधिक जीवंत रूप में दिखाई देती है। मई 2017 में, जब मैं बिहार का राज्यपाल था, तब मैं सरगुजा अंचल में आया था। राष्ट्रपति बनने के बाद, पिछले वर्ष नवंबर में, मेरा छत्तीसगढ़ आना हुआ था।
3. छत्तीसगढ़ के स्नेही लोगों ने, खासकर बस्तर के आदिवासी भाई-बहनों ने, भारत की ‘अतिथि-देवो-भव’ की स्वागत परंपरा को आज भी संजो कर रखा है। कल यहाँ आने के बाद, आदिवासी भाई-बहनों से जो स्नेह और सत्कार मुझे निरंतर मिला है,उसकी यादगार मेरे दिल में हमेशा बनी रहेगी।
4. राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद, अपने देशवासियों से मिलने के लिए मैंने देश के सभी हिस्सों में अनेक यात्राएं की हैं। इन यात्राओं के दौरान, मैं आदिवासी भाई-बहनों से मिलने पूर्वोत्तर के राज्यों तथा गुजरात, मध्य प्रदेश और झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों में गया हूँ। पिछले वर्ष मैं आपके राज्य में, गिरौदपुरी भी आया था।
5. स्वर्गीय बलीराम कश्यप की स्मृति में स्थापित यहाँ का गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अध्ययन से इस आदिवासी क्षेत्र को जोड़ता है। बलीराम कश्यप जी को ‘बस्तर की आवाज’ कहा जाता था क्योंकि वे इस क्षेत्र के विकास के लिए सदैव सक्रिय रहते थे और यहाँ के बहुत ही सम्मानित जन-नेता थे। उनसे मेरा निकट का संबंध था। आज इस अस्पताल का लोकार्पण करके मुझे हर्ष का अनुभव हो रहा है। मैं इस अस्पताल को, बस्तर क्षेत्र के आप सभी निवासियों के लिए स्वास्थ्य-सेवा और जीवनदान के एक बहुत उपयोगी केंद्र के रूप में देखता हूँ और उनकी सेवा में समर्पित करता हूँ।
6. मैं मानता हूँ कि हमारे देश की आत्मा, ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में बसती है। यदि कोई भारत की जड़ों से परिचित होना चाहता है, तो उसे बस्तर जैसे अंचलों में आना चाहिए। इन्ही जड़ों से पोषण पाकर, हमारे देश के विकास का वृक्ष फलता-फूलता है। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों का विकास, भारत के विकास का आईना है।
7. मैं आप सबके बीच आकर, नजदीक से यह महसूस करना चाहता था कि आधुनिक विकास के संदर्भ में, हमारे आदिवासी भाई-बहन कहाँ खड़े हैं?इस क्षेत्र में क्या बदलाव आया है? यहाँ के बच्चे-बच्चियाँ, किसान भाई-बहन, हिंसा से प्रभावित परिवारों के लोग और युवा, आज किन परिस्थितियों में रह रहे हैं? इस क्षेत्र में खेती, रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा की कैसी सुविधाएं उपलब्ध हो पा रही हैं?इस यात्रा के दौरान मुझे यह सब देखने और अपने आदिवासी भाई-बहनों और बच्चों के साथ समय बिताने का अवसर मिला है। मैंने यह देखा कि आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले हमारे भाई-बहन, प्रकृति से तालमेल रखते हुए, आज विकास की नई कहानी लिख रहे हैं।
भाइयों और बहनों,
8. कल और आज के, यहाँ प्रवास के दौरान, मुझे एक बदलता हुआ बस्तर क्षेत्र देखने को मिला है। आज यहाँ विश्वविद्यालय है, इंजीनियरिंग कॉलेज है, मेडिकल कॉलेज है, अच्छी सड़कें हैं, इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी है और ऑप्टिकल फ़ाइबर नेटवर्क है। साथ ही, अब यहाँ रेल सेवा और नियमित हवाई यात्रा की सेवा भी उपलब्ध हो गई है। इन उपलब्धियों के पीछे जो दृष्टि, संकल्प और कर्मठता है, तथा आदिवासी भाई-बहनों के जीवन में बदलाव लाने के लिए जो प्रतिबद्धता है, वह अनुकरणीय है। इन सबके लिए, मैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को बधाई देता हूँ। इस बदलाव के लिए बस्तर की जनता, और राज्य सरकार की पूरी टीम भी बधाई की हकदार है।
9. मेरी दृष्टि में, बस्तर के विकास के बिना छत्तीसगढ़ के विकास की, और छत्तीसगढ़ के विकास के बिना, भारत के विकास की, कल्पना नहीं की जा सकती। आदिवासी भाई-बहन हमेशा मेरे चिंतन के केंद्र में रहते हैं। इसीलिये, अपनी हाल की ग्रीस, सूरीनाम और क्यूबा की यात्रा के लिए, आप सबके सांसद श्री दिनेश कश्यप को, मैंने अपने प्रतिनिधि मण्डल में शामिल किया था।
10. ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों, तथा छोटे शहरों में रहने वाले, अपेक्षाकृत पीछे रह गए, देशवासियों के कल्याण के लिए, देश में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। सबके सिर पर छत हो, इसके लिए गरीब परिवारों को घर देने का, उस घर मेंटॉयलेट, पीनेकापानी और बिजली की सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चों के पढ़ने के नए-नए स्कूलों की स्थापना की जा रही है, IIT और AIIMS खोले जा रहे हैं।युवाओं के लिए स्किल-डेवलपमेंट कीट्रेनिंगदीजारहीहै। बहुत कम ब्याज पर, बिना किसी गारंटी के,लोन की व्यवस्था की जा रही है।युवाओं को अपना रोजगार शुरू करने के लिए हर तरह की सहायता दी जा रही है। छोटे शहरों के, साधारण आमदनी वाले, उद्यमी युवा, अपना समय बचाने के लिए, किफ़ायती दर पर हवाई यात्रा की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। गरीब से गरीब परिवारों के हित में किए जा रहे इन कार्यों के लिए मैं केंद्र सरकार की सराहना करता हूँ।
11. इन प्रयासों में ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले हमारे अनेक देशवासी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, और सामाजिक बदलाव के प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की कुँवर बाई ने एक ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया था। उनके बारे में आप सभी जानते ही होंगे। छत्तीसगढ़ में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की स्वच्छता दूत, कुँवर बाई ने सफाई की अनिवार्यता को समझा। कुछ बकरियाँ ही, उनकी आजीविका का साधन थीं। उन्होने अपने घर में शौचालय बनाने के लिए, अपनी बकरियों को बेच दिया। स्वच्छता के क्षेत्र में धमतरी जिले के प्रभावशाली प्रदर्शन के पीछे कुँवर बाई की प्रेरणा का बहुत बड़ा योगदान रहा है। एक सौ छ: वर्ष की अवस्था में, इसी वर्ष, उनका देहान्त हुआ। छत्तीसगढ़ की कुँवर बाई, आज पूरे देश के लिए एक मिसाल हैं।
12. धमतरी जिले की ही एक और बहन, गोविंदी बाई आज पूरे देश के लिए आदर्श बन गई हैं।60 वर्ष की आयु में स्वयं कम्प्यूटर साक्षर बनकर वे दूसरों को साक्षर बना रही हैं। उनकी इस उपलब्धि को केंद्र सरकार द्वारा ‘डिजिटल इंडिया अभियान’ के सफल उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
भाइयों और बहनों,
13. देश के कुछ हिस्सों में, नक्सलवाद से भ्रमित होकर कुछ लोगों ने, हिंसा और भय का वातावरण उत्पन्न करने का प्रयास किया है। हमारी संस्कृति और परंपरा में, तथा हमारे संविधान में, हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि प्रशासन, और समाज के संवेदनशील लोगों ने, इन भटके हुए युवाओं का विश्वास जीता है। अहिंसा और विकास के बल पर, हिंसा और आतंक के दुष्प्रभाव को समाप्त करने की दिशा में, यह बदलाव प्रशंसनीय है। इस बदलाव के लिए मैं राज्य और केंद्र सरकारों और आप सभी से प्राप्त हो रहे जन समर्थन की सराहना करता हूँ।
14. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में, लोगों की सुरक्षा और राज्य की अस्मिता को बनाए रखने के लिए, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों और अधिकारियों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन किया है और कई शूरवीरों ने अपने प्राणों की आहुति भी दी है। एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से, मैं उन शहीदों के सम्मान में नमन करता हूँ। आज कारगिल विजय दिवस के दिन मैं भारतीय सेना और उनके परिवारों के त्याग और बलिदान को सलाम करता हूँ।
15. कल हीरानार में, महिला स्व-सहायता समूहों और किसान समूहों के भाई-बहनों से मिलकर और उनकी एकीकृत खेती-प्रणाली को देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। वे लोग, बड़े उत्साह के साथ, एक ही परिसर में, खेती, बागवानी, पशुपालन, मुर्गी-पालन, शहद उत्पादन, जैविक खेती और राइस-मिल चलाने के सभी काम कर रहे हैं। वहाँ ‘दंतेश्वरी ई-रिक्शा सेवा’ का सफल संचालन करने वाली बहनों से मिलकर, नारी-शक्ति के लिए मेरा सम्मान और भी गहरा हो गया है। अपने बच्चों और परिवार के भविष्य को सँवारने के लिए परिश्रम करने वाली वे आदिवासी बहनें, पूरे देश की महिलाओं के लिए, सशक्तीकरण और भागीदारी की मिसाल हैं। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि, महिलाओं के पास जो पैसा आता है, उसका वे परिवार के हित में बेहतर उपयोग करती हैं। इसलिए महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण, इस क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि प्रत्येक परिवार, पूरे समाज और देश के विकास को और अधिक शक्ति प्रदान करेगा।
16. कल हीरानार के ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ में, आदिवासी परिवारों के बच्चों ने बहुत उत्साह और स्नेह के साथ, मेरी अगवानी की। उनके मासूम चेहरों पर उत्साह की चमक थी और उनकी आँखों में भविष्य के सुनहरे सपने झलक रहे थे। उन्होंने मेरे साथ बहुत सारी बातें भी कीं। मैंने उन बच्चों के साथ खाना खाया। उन बच्चों के साथ समय बिताते हुए, मेरे अपने बचपन की बहुत सी यादें ताजा होती रहीं। मैंने तमाम कठिनाइयों के बीच, अपनी राह बनाने के संघर्ष की शुरुआत की थी। नंगे पाँव, कड़ी धूप में, तपते हुए रास्तों पर दौड़ते हुए, दूसरे गाँव में स्थित स्कूल तक जाना, मुझे याद आ रहा था। शायद बचपन के उन्हीं संघर्षों ने, मुझमें सच्चाई के रास्ते पर चलने के साहस और संकल्प को जन्म दिया। आधुनिक सुविधाओं के अभाव में भी, पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ने की सीख, मुझे गाँव में बिताए गए अपने बचपन के दौरान ही मिली। मेरे उसी बचपन ने, मुझमें समाज और देश के लिए कुछ करने की अभिलाषा पैदा की। और वही जज़्बा, मुझे बस्तर क्षेत्र के होनहार बच्चों की आँखों में दिखाई देता है।
17. मैं अपने देशवासियों से यह अपील करता हूँ कि, वे साल में कम-से-कम, एक या दो दिन, प्रकृति की गोद में रहने वाले आदिवासी भाई-बहनों के साथ बिताएँ; उनके दुख-दर्द को समझें, और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए भरसक प्रयास करें। ऐसा प्रयास करने वाले हमारे देशवासियों को, आनंद और संतोष का अनुभव होगा। साथ ही, उन्हें आदिवासी भाई-बहनों से, प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जीने की कला भी सीखने को मिलेगी।
18. मैं मानता हूँ कि, शिक्षा के जरिए, सभी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है और सफलता की ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है। मैं आशा करता हूँ कि जावंगा में स्थापित अटल बिहारी वाजपेयी एजुकेशन सिटी, एक चेंज-एजेंट की भूमिका निभाएगी।
19. उस एजुकेशन सिटी में, मैंने दिव्यांग बच्चों के लिए स्थापित किए गए ‘सक्षम-स्कूल’ के बच्चों के साथ कुछ समय बिताया। उन बच्चों के मासूमियत भरे स्वागत ने, मुझे भावुक कर दिया। वहाँ के बच्चों के अंदर की दिव्यता से द्रवित हुए बिना, कोई नहीं रह सकता। मैंने देखा कि, उस आवासीय विद्यालय में, आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। उन होनहार बच्चों में, जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने की, पूरी क्षमता है। मुझे विश्वास है कि ‘सक्षम-स्कूल’ के बच्चे, अपनी उपलब्धियों द्वारा, पूरे देश का नाम रोशन करेंगे।
20. उसी एजुकेशन सिटी में, ‘आस्था विद्या मंदिर’नामक आवासीय विद्यालय में, नक्सल हिंसा के आघात से जूझते परिवारों के, लगभग ग्यारह सौ बच्चों को, नया जीवन दिया जा रहा है। वहाँ उपलब्ध स्मार्ट-क्लास और टिंकरिंग लैब्स जैसी उच्च-स्तरीय सुविधाओं का उपयोग करके, उस विद्यालय के बच्चों ने, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, कई खिताब हासिल किए हैं, जिनमें इन्दु मानिकपुरी को दिया गया ‘ए.पी.जे. अब्दुल कलाम इगनाइट अवार्ड’ उल्लेखनीय है।
21. आप सबको भी याद होगा कि हाल ही में, असम के नौगांव जिले की हिमा दास ने 400 मीटर की दौड़ में, भारत के लिए, विश्व-स्तर पर पहला स्वर्ण पदक जीतकर, पूरी दुनियाँ में देश का गौरव बढ़ाया है। भारत के सभी क्षेत्रों की हमारी बेटियों में, हिमा दास और इन्दु मानिकपुरी बनने की क्षमता है। ऐसी बेटियों को प्रोत्साहित करके, हम देश के विकास की नई इबारत लिखेंगे।
22. अटल बिहारी वाजपेयी एजुकेशन सिटी में ही चल रहे, ‘युवा बी.पी.ओ.’में काम करने वाले, बस्तर क्षेत्र के लगभग एक हजार युवक-युवतियाँ, देश और विदेश की कंपनियों को अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है, जिसमे भविष्य की अनेक संभावनाएं दिखाई देती हैं। यह नामुमकिन नहीं है कि आने वाले समय में बस्तर क्षेत्र के युवा, विश्व-स्तरीय कंपनियों की स्थापना करें।
23. मुझे बताया गया है कि, बस्तर सहित पूरे राज्य में पैंतालीस लाख महिलाओं और पाँच लाख युवाओं को स्मार्ट-फोन उपलब्ध कराने और बड़ी तादाद में मोबाइल टावर लगाने की राज्य सरकार की योजना है। मुझे विश्वास है कि यह योजना, इस क्षेत्र के विकास को एक नया आयाम देगी। यहाँ के आदिवासी महिलाएं और युवा मोबाइल बैंकिंग के साथ-साथ, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मोबाइल फोन के जरिये दी जा रही अन्य सुविधाओं का, लाभ उठा सकेंगे। स्मार्ट-फोन और मोबाइल टावर की सुविधाओं में, कनेक्टिविटी की दृष्टि से, बस्तर और बेंगलुरु के बीच का अंतर समाप्त कर देने की क्षमता है। आज मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि देश के ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में भी, धीरे-धीरे आधुनिक सुविधाएं पहुँच रही हैं।
भाइयों और बहनों,
24. राष्ट्रपति के रूप में, मेरी देश-विदेश की यात्राओं के दौरान, मुझे अनेक स्मृति-चिह्न भेंट किए जाते हैं। अनेक राष्ट्राध्यक्षों ने भी मुझे स्मृति-चिह्न भेंट किए हैं। लेकिन ‘सक्षम स्कूल’ के दिव्यांग बच्चों ने और ‘आस्था विद्यालय’ के आदिवासी बच्चों ने जो स्मृति-चिह्न मुझे दिये हैं, वे मेरे लिए अनमोल हैं। आज यहाँ जो स्मृति-चिन्ह मुझे दिया गया है, उसकी शानदार शिल्पकारी बस्तर के ‘झिटकू-मिटकी’ की अमर कहानी से पूरी दुनियाँ को अवगत करा रही है। मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि, बस्तर के हुनरमंद आदिवासियों द्वारा निर्मित कलाकृति को, मैंने राष्ट्रपति भवन में विशेष स्थान दिया है।
25. हमारे लोकतन्त्र का प्रतीक, और देश की धरोहर, ‘राष्ट्रपति भवन’, आप सब का भी भवन है। मैं आप सब को ‘राष्ट्रपति भवन’ में आने और उसे देखने का आमंत्रण देता हूं। आप जब भी दिल्ली की यात्रा करें, राष्ट्रपति भवन में आप सभी का स्वागत है।
26. मैं छत्तीसगढ़ राज्य, और आप सभी निवासियों के, उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। आप सबके बारे में, अपनी भावना को व्यक्त करने के लिए, मैं आपकी ही भाषा का सहारा लूँगा, और कहना चाहूँगा कि "छत्तीसगढ़िया, सब ले बढ़िया।"