सीएसआईआर के प्लेटिनम जुबली वर्ष समारोह के समापन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
विज्ञान भवन : 26.09.2017
विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण और वन मंत्री तथा सीएसआईआर के उपाध्यक्ष, डॉ. हर्षवर्द्धन
विज्ञान और प्रद्योगिकी,पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री,श्री वाई.एस. चौधरी
महानिदेशक, सीएसआईआर, डॉ. गिरीश साहनी,
सीएसआईआर परिवार के वैज्ञानिक और सदस्यगण,
देवियो और सज्जनो,
मुझे वैज्ञानिक और अनुसंधान परिषद के 76वें स्थापना दिवस तथा भारत के सर्वोच्च विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के प्लेटिनम जुबली समारोह के समापन के अवसर पर उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। आप सभी को और विशेषकर सीएसआईआर के समर्पित वैज्ञानिकों और पुरस्कार विजेताओं को बधाई। आपकी कड़ी मेहनत के लिए धन्यवाद। देश को आप पर बहुत गर्व है।
मैंने सीएसआईआर शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकीविदों की महत्वपूर्ण उपलब्धियों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया है। यह बहुत शानदार थी। सीएसआईआर हमारे देशवासियों के जीवन की गुणवत्ता को निरंतर बढ़ाने तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विशेष अनुप्रयोगों के द्वारा कारोबार और उद्योग की सहायता करने का माध्यम रहा है। खाद्य और कृषि, जेनेरिक दवाइयों,चमड़ा,रसायन और पेट्रोकेमिकल तथा जैव दवा निर्माण इत्यादि क्षेत्रों में आपके द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को बाजार ने अपनाया है। यह कहा जाता है कि सीएसआईआर कर्मचारियों की संख्या भारत की वैज्ञानिक जनशक्ति का लगभग3 से4 प्रतिशत है परंतु भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों में इसका योगदान लगभग 10 प्रतिशत है। यह बहुत सराहनीय है कि सीएसआईआर राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में कितना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। जब एक वैज्ञानिक ईमानदारी और निष्ठा के साथ प्रयोगशाला में मेहनत करता है और उसका सपना समाज की मदद करना है तो वह राष्ट्र निर्माता की भूमिका निभा रहा होता है।
हमारी स्वतंत्रता के शुरुआती दिनों से हमारा देश सामाजिक विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रयोग के बारे में सुस्पष्ट रहा है। इसका अर्थ यह है कि भारत के पारंपरिक ज्ञान और बौद्धिक संपदा की समृद्ध पूंजी- जिसका संरक्षक सीएसआईआर है, का प्रयोग तथा अग्रणी अनुसंधान और खोज करते हुए और हमारे जनमानस की मदद के लिए उनका संभावित प्रयोग करते हुए नवीनतम विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाना। एक स्वतंत्र देश के रूप में हम20202 तक75 वर्ष पूरे करने पर हम एक नए भारत का निर्माण करने का प्रयास कर रहे हैं इसलिए हमारी यह आकांक्षा महत्वपूर्ण है। हमारे स्टार्ट अप इंडिया,मेक इन इंडिया,डिजिटल इंडिया,स्वच्छ भारत,नमामि गंगे और स्मार्ट सिटीज मिशन जैसे महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय कार्यक्रम हमारे वैज्ञानिक और हमारे प्रौद्योगिकी विकासकर्ताओं विशेषकर सीएसआईआर के योगदान के बिना सफल नहीं हो सकते। वैज्ञानिक अनुसंधान की असली परीक्षा हमारे समाज की सामाजिक क्षेत्रों में कमियों चाहे वे स्वास्थ्य और स्वच्छता हों या साफ-सफाई,शिक्षा या स्वास्थ्य हों,में मदद करना और हमें एक मानव जीवन अवधि में एक मध्यम वर्गीय आय वाला देश बनाने में है।
इन सभी क्षेत्रों में सामाजिक रूप से समावेशी परंतु किफायती अनुप्रयोग तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी उत्पादों की आवश्यकता एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। एक बार इन्हें पूरा करने पर वे अन्य विकासशील देशों के लिए एक मॉडल बन सकते हैं। हमारे लिए यह हमेशा एक प्रमुख लक्ष्य रहा है और रहेगा। भारत के विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक बड़ी ताकत है।
इस संदर्भ में, मुझे आज राष्ट्र को समर्पित की जा रही दो सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के व्यापक सामाजिक लाभों के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई है। पहला, एक सुविधाजनक मिल्क टेस्टर है जिससे हम आसानी से दूध की मिलावट पकड़ सकते हैं। दूसरी,बिना पानी की क्रोम टैनिंग टेक्नॉलाजी है जिसमें टैनिंग से पहले और बाद की दो प्रक्रियाओं में पानी के प्रयोग की जरूरत नहीं पड़ती है और जो टैनिंग के दौरान व्यर्थ पानी में घुले हुए ठोस पदार्थों को भी कम करता है। इसका एक प्रत्यक्ष पर्यावरणीय प्रभाव होगा।
मुझे यह भी बताया गया है कि सीएसआईआर का एनेरोबिक डाइजेस्टर स्वच्छ भारत मिशन में एक महत्वूपर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि यह रसोई के जैविक अवशिष्ट को बायोगैस और खाद में बदल देता है,जिसे घर के बगीचे में प्रयोग किया जा सकता है। प्रत्येक एनारोबिक डाइजेस्टर में क्षमता प्रतिदिन 3 किलो के अवशिष्ट को बदलने और स्वच्छ ईंधन के प्रयोग हेतु 400 लीटर बायोगैस पैदा करने की क्षमता है।
मुझे सीएसआईआर की एक और सराहनीय कृति दिव्य नयन के बारे में बताया गया है जो दृष्टिबाधित लोगों के लिए पढ़ने का एक यंत्र है। इस प्रकार के अन्वेषण और नवान्वेषण हमारे लोगों के पिछड़े और वंचित वर्गों को सरल और प्रयोक्ता सहायक समाधान उपलब्ध करवाते हैं। भारत अपने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है इसलिए वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सार्थक और मुझे कहना चाहिए कि इतना विस्मयकारी बनाते हैं।
मुझे यह भी ध्यान दिलाना चाहिए कि हमारे विकास लक्ष्यों का लैंगिक समानता और हमारी बेटियों और बालिकाओं के लिए समान अवसर के बिना कोई अर्थ नहीं है। पिछले सात दशकों के दौरान एक संस्था के रूप में सीएसआईआर और एक समाज के रूप में भारत ने बहुत अधिक प्रगति की है। परंतु हमारे देश के विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी खेदजनक रूप से कम है। भारत में प्रत्येक दस वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ताओं में दो से भी कम महिलाएं हैं। प्रत्येक वर्ष भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश लेने वालों में लगभग दस प्रतिशत ही महिलाएं है।
ये आंकडे़ं संतोषजनक नहीं हैं। हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बालिकाओं और महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए समुचित कदम उठाने चाहिए। यदि इस असमानता पर ध्यान नहीं दिया गया तो हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियां सदैव उत्कृष्टता और अपेक्षा से कमतर होंगी।
मित्रो,
प्रौद्योगिकी मानव समाज को एक नए युग के मुकाम पर ले आई है। शानदार प्रौद्योगिकीय उत्पाद आज हमारे जीवन में बदलाव ला रहे हैं। चौथी औद्योगिक क्रांति हमारी कल्पना से भी परे हमारी दुनिया का कायाकल्प करने वाली है। हम कृत्रिम बौद्धिकता और रोबोटिक्स, थ्री डी निर्माण और विशेष रूप से निर्मित जैवीय और दवानिर्माण उत्पाद यहां तक कि चालक रहित कार के युग में प्रवेश कर रहे हैं। मानव और मशीन के बीच संबंध हमारी नजरों के सामने विकसित हो रहे हैं।
इन सभी के बीच हमें प्रौद्योगिकी और नए से नए उत्पादों के रोमांच से अपना ध्यान आधारभूत विज्ञान और अनुसंधान से नहीं भटकाना चाहिए। यह हमारे लिए बहुत जरूरी रहेगा।
इन दोनों क्षेत्रों में - बहुत सारी नई प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ तालमेल बैठाना और उनकी खोज में हमारे देश की सहायता करने और बुनियादी वैज्ञानिक अनुसंधान को निरंतर मजबूत करने में सीएसआईआर एक ऐसा मार्गदर्शक है जिससे हमें सहायता लेनी है। सीएसआईआर का दायित्व हमारी विकास की उम्मीदों और हमारे सबसे गरीब और सबसे वंचित देशवासियों की बेहतरी के लिए नई प्रौद्योगिकियां बनाना और बुनियादी अनुसंधान करना है।
मैं आशा करता हूं कि यह समृद्ध राष्ट्रीय संस्थान अपने शताब्दी वर्ष में गर्व के साथ अग्रसर हो।
धन्यवाद
जय हिंद