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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का उद्यम संगम-2018 के उद्घाटन समारोह में सम्बोधन

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 26.06.2018

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1. दूसरे ‘यूनाइटेड नेशन्स माइक्रो, स्माल एंड मीडियम साइज्ड एंटरप्राइजेज़ डे’ के उपलक्ष में आयोजित ‘उद्यम संगम-2018’ का उद्घाटन करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

2. यह ‘उद्यम संगम’M.S.M.E.क्षेत्र के लिए प्रभावी इको-सिस्टम विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। जहां विभिन्न नदियां मिलती हैं उसे संगम कहते हैं। भारतीय परंपरा में संगम-स्थलों पर कुम्भ और महाकुंभ आयोजित किए जाते हैं। आज का यह समारोह, उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए M.S.M.E.उद्यमों से जुड़े सभी स्टेक-होल्डर्स के संगम का आयोजन है। मुझे बताया गया है कि इस‘संगम’ में फाइनान्स, ट्रेनिंग व शिक्षण संस्थानों, इंडस्ट्री, मीडिया, राज्य-सरकारों तथा गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि एक साथ मिलकर व्यापक परामर्श के जरिए भविष्य में बेहतर M.S.M.E.इको-सिस्टम प्रदान करने के रास्ते तय करेंगे। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि M.S.M.E.क्षेत्र की पूरी ‘प्रोसेस-चेन’ को ध्यान में रखा गया है। आज लॉन्च किया गया‘संपर्क-पोर्टल’ नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म‘स्किल-पूल’ को विकसित करने और प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसरों से जोड़ने में बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। मुझे बताया गया है कि इस सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इन उद्योगों को Formal Sector में लाने के लिए Higher Credit Support, Capital और Interest Subsidy और Innovations पर ध्यान दिया जा रहा है।

3. ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ को निर्धारित करते हुए‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ ने यह उल्लेख किया है कि विश्व के 90 प्रतिशत उद्यम इन्ही श्रेणियों में आते हैं जो कि 50 से 60 प्रतिशत रोजगार भी प्रदान करते हैं। मुझे बताया गया है कि विश्व का 50 प्रतिशत G.D.P. इन्ही उद्यमों से प्राप्त होता है। इसलिए माइक्रो, स्माल और मीडियम एंटरप्राइजेज़ भारत के लिए और पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

4. भारत में इन उद्यमों को अर्थ-व्यवस्था का मेरुदंड कहा जाता है। हमारे डेमोग्राफिक डिविडेंड का सबसे अधिक उपयोग इन्ही उद्यमों में हो सकेगा। कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक लोग इन्ही उद्यमों में रोजगार पाते हैं। इन उद्यमों में अपेक्षाकृत कम पूंजी की लागत पर रोजगार के अधिक अवसर पैदा होते हैं। इन उद्यमों के विषय में सबसे महत्वपूर्ण यह बात है कि इनके माध्यम से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रोजगार पैदा होते हैं। समावेशी विकास की दिशा में इन उद्यमों की क्षमता का समुचित उपयोग करने के लिए लुधियाना में ‘नेशनल शेड्यूल्ड कास्ट, शेड्यूल्ड ट्राइब हब’ की स्थापना की गई है। इस पहल के फलस्वरूपउद्यम और रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के इच्छुक इन वर्गों के युवाओं को और अधिकप्रोत्साहन मिलेगा। सरकार ने यह अनिवार्य कर दिया है कि सभी केंद्रीय मंत्रालय और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम अपनी प्रोक्योरमेंट का 20 प्रतिशत माइक्रो एंड स्माल एंटरप्राइजेज़से करें और उसमें भी 4 प्रतिशत प्रोक्योरमेंट वे अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्यमियों से करें।‘M.S.M.E.’मंत्रालय द्वारा इसी वर्ष शुरू किए गए ‘उद्यम सखी पोर्टल’ से देश की लगभग 80 लाख महिला उद्यमियों को ट्रेनिंग, फंड रेजिंग, मार्केट सर्वे और टेक्निकल असिस्टेंस की सुविधा प्राप्त होगी।

5. इस तरह M.S.M.E.क्षेत्र के उद्यमों द्वारा कमजोर वर्गों के सशक्तीकरण और विकास के विकेन्द्रीकरण के जरिए समावेशी विकास में मदद मिलती है। आज लॉन्च किया गया‘सोलर चरखा’ मिशन इसका अच्छा उदाहरण है। इस मिशन से गाँवों में, खासकर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने में, सहायता मिलेगी; साथ ही साथ ‘ग्रीन इकोनॉमी’ के विकास को भी बल मिलेगा।

6. भारत सरकार ने M.S.M.E. उद्यमियों के हित में, कई विशेष प्रावधान लागू किए हैं। इसी महीने जारी किए गए Insolvency and Bankruptcy Code (Amendment) Ordinance, 2018में इन उद्यमियों को विशेष राहत दी गई है। R.B.I.द्वारा G.S.T. के तहत .S.M.E. borrowers के loan को non-performing asset की श्रेणी में डालने के लिए delinquency norms में रियायत दी गई है। हाल ही में यह रियायत उन सभी M.S.M.E. उद्यमों के लिए भी प्रभावी कर दी गई है जो G.S.T. के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं।

7. एक सर्वेक्षण के अनुसार, हमारे देश में, लगभग साढ़े छ: करोड़ M.S.M.E. उद्यम हैं जिनमें ग्यारह करोड़ से भी अधिक रोजगार उत्पन्न हुए हैं। हाल के समय में इन उद्यमों ने 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है जो कि बड़े उद्यमों की अपेक्षा अधिक है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इन उद्यमों ने ‘इसरो’ के‘चंद्रयान’ तथा भारतीय वायुसेना के‘तेजस’ एयरक्राफ्ट्स के लिए आवश्यक उपकरण और सेवाएँ प्रदान की हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि इन उद्यमों में उच्च-स्तर की गुणवत्ता भी पाई जाती है। गुणवत्ता के इस पक्ष पर और अधिक ज़ोर देने के लिए शुरू की गई ‘ज़ीरो डिफ़ेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट’ स्कीम एक अच्छी पहल है। इससे M.S.M.E. उद्यमों की देश-विदेश के बाज़ारों में पहुँच बढ़ेगी तथा पर्यावरण पर दबाव भी कम होगा।

8. इनोवेशन द्वारा M.S.M.E.उद्यम सामाजिक समस्याओं के लिए प्रभावी और किफ़ायती समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं। तमिल नाडु केअरुणाचलम मुरुगनाथम ने महिलाओं के हाइजीन के लिए बहुत ही कम कीमत पर सैनीटरी पैड्स उपलब्ध कराकर बहुत बड़ा सामाजिक योगदान दिया है। और मुझे बताया गया है कि अब उनके उत्पाद के लिए सौ से अधिक देशों में रुचि दिखाई जा रही है। उनकी सफलता से प्रेरित होकर एक फिल्म बनाई गई जो बहुत लोकप्रिय हुई। इस तरह के और भी बहुत से प्रेरक उदाहरण हैं। उन पर भी यदि फिल्में बनें तो देश में ऐसे स्व-रोजगार के लिए अच्छा वातावरण तैयार हो सकेगा। प्रतिभाशाली लोगों को ऐसी फिल्में बनाने के लिए मंत्रालयों द्वारा सुझाव दिए जा सकते हैं।

9.‘ग्रासरूट्स इनोवेशन’के द्वारा M.S.M.E. आंत्रप्रेन्योर अपने आस-पास के क्षेत्र में स्थानीय समस्याओं के लिए,स्थानीय संसाधनों पर आधारित किफ़ायती समाधान उपलब्ध करा सकते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में बांस का इस्तेमाल करके पवन-चक्कियाँ बनाई गई हैं। स्थानीय जड़ी-बूटियों का उपयोग करके औषधियाँ बनाई जा सकती हैं। ऐसे उद्यम आस-पास के समाज और पर्यावरण के लिए लाभदायक सिद्ध होते हैं।

10 . मुझे आशा है कि इस ‘संगम’ में होने वाले विचार-विमर्श के आधार पर M.S.M.E.क्षेत्र के लिए कुछ नए समाधान उभर कर आएंगे। मैं उम्मीद करता हूँ कि यहाँ उपस्थितM.S.M.E.क्षेत्र के प्रतिनिधियों में से कुछ उद्यमी विश्व मंच पर भारत का गौरव बढ़ाएँगे।

11. इस ‘उद्यम संगम’ की सफलता और M.S.M.E. क्षेत्र के उद्यमियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

धन्यवाद

जय हिन्द!