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‘मेकिंग ऑफ़ न्यू इंडिया – ट्रांसफॉर्मेशन अंडर मोदी गवर्नमेन्ट’ पुस्तक की पहली प्रति भेंट किये जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

नई दिल्ली : 27.11.2018

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1 "मेकिंग ऑफ़ न्यू इंडिया”पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त करके मुझे बहुत ख़ुशी हुई हैlमैं इस मंच पर उपस्थित पुस्तक के संपादकों को बधाई देता हूँ, और उन अर्थशास्त्रियों, विश्लेषकों और विद्वानों को भी बधाई देता हूँ जिन्होंने विभिन्न विषय वस्तुओं पर तैयार अध्यायों में अपना योगदान दिया हैl

2. इस पुस्तक में यह बताने का प्रयास किया गया है कि सरकार ने ‘नए भारत’ के विज़न को साकार करने के लिए किस प्रकार ख़ाका तैयार किया हैlभारत असीम विविधताओं की धरती हैl हमारे यहां विविध राज्यों, क्षेत्रों, धर्मों, पृष्ठभूमि, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन शैलियों, परंपराओं और ऐसी ही बहुत सी चीजों का मिश्रण दिखाई देता हैlहम जहां एक ओर आधुनिक हैं वही दूसरी ओर अपनी प्राचीन विरासत को पोषित करना भी नहीं भूलतेl ‘नए भारत’ के सपने में हमारे देश के 130 करोड़ नागरिकों की ऐसी ही विविध आशाओं को संजोया गया हैl

3.यह कल्पना करना एकदम सामान्य सी बात है कि अलग-अलग व्यक्ति नए भारत की कल्पना अपने अनुसार भिन्न-भिन्न रूप में करेlकिंतु इन भिन्नताओं के बावजूद, नए भारत से हम सभी की एक मूल अपेक्षा हैlऔर वह अपेक्षा यह है कि हमारे देशवासी, विशेष रूप से वंचित और पिछड़े हुए लोग, विकास की इस यात्रा में कहीं पीछे न छूट जाएंlइस संदर्भ में मैं गांधी जी के उन सुविचारों को याद करता हूंl वे कहते हैं-मैं तुम्हें एक जंतर देता हूँ । जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहम् तुम पर हावी होने लगे,तो यह कसौटी आजमाओ : "जो सबसे गरीब और कमज़ोर आदमी तुमने देखा हो,उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो,वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा?क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य का मालिक बन सकेगा?यानी क्या उससे उन करोड़ो लोगों को स्वराज मिल सकेगा जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है?तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम् समाप्त हो रहा है”।

4. सरकार या सिविल सोसायटी के सदस्य के रूप में, अथवा साधारण रूप से एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में,हमें, हमारी नीतियों और कार्यों को सर्वाधिक कमजोर वर्गों की जरूरतों और आकांक्षाओं के नज़रिए से देखना होगाlऔर असल में देखा जाए तो वह वंचित व्यक्ति प्राय: महिला होती है, न कि पुरुषl

5. समकालीन प्रशासन ने "नवीन भारत” के इसी सर्व समावेशी विचार को रूप-आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैl "समावेशन” केवल एक नारा मात्र नहीं हैl सरकार ने इस संदर्शन को अपने नीति निर्माण के केन्द्र में रखा हैlयह सुनिश्चित करने के लिए असंख्य उपाय किए गए हैं कि भारत की विकास गाथा में पीछे छूट गए सामाजिक-आर्थिक समूह, समुदाय और क्षेत्र, साकल्यवादी रूप में मुख्यधारा में शामिल किये जाएंlइस सरकार ने कुछ आधारभूत कार्यक्रम आरंभ किए हैं और गरीबी को निर्णायक रूप से समाप्त करने तथा ऐसे करोड़ों लोगों के जीवन के उत्थान के प्रयास किए हैं जिन लोगों को वे सुविधाएं और सेवाएं प्राप्त नहीं हुई हैं, जिनके वे हकदार हैंl

6. परंपरागत रूप से पिछड़े वर्गों को सुरक्षा तंत्र उपलब्ध कराए जाने के प्रयोजन से अनेक पहलें की गईं हैंlइनमें मूलभूत आवश्यकताओं तक सबकी पहुंच का लक्ष्य हैlदी गई सेवाओं में शामिल हैं- पेंशन और बीमा योजनाएं, बिजली और रसोई गैस, स्वास्थ्य सुविधाएं और शौचालय, आवास और बैंक खातों की सुविधाlवहीँ, यह भी देखा गया है कि कमजोर वर्गों को संरक्षित करना मात्र ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि उन्हें सक्षम और सशक्त बनाना भी आवश्यक हैl मुद्रा योजना जैसे नवाचारी उपायों और सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग तक उनकी पहुंच ऐसे कार्यक्रमों के उदाहरण हैं, जिनसे करोड़ों लोग सक्षम बने हैंl इन कार्यक्रमों से लोग रोजगार मांगने वालों के बजाय रोजगार पैदा करने वाले बन गए हैंl

7. भ्रष्टाचार और जटिल सरकारी प्रक्रियाओं जैसी लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों के विरुद्ध मजबूत कदम उठाए गए हैंlपारदर्शी, नियम आधारित शासन, विनियमन संबंधी कमजोरी को दूर करना, अनावश्यक कानूनों को हटाना और व्यवसाय के माहौल को सुगमतर,सरलतर और किफ़ायती बनाने का कार्य किया गया हैlइन उपायों के समग्र प्रभाव से देश में प्रभावी और उत्तरदायी शासन के वातावरण के निर्माण में सहायता मिल रही हैl

देवियो और सज्जनो

8. यह कहना गलत होगा कि यह विकास यात्रा केवल सरकार की ही उपलब्धि रही हैlजिस उत्साह से आम जनता ने इस प्रयास में भागीदारी की है उसकी भी सराहना आवश्यक हैlयह देखकर बहुत ही सुखद अनुभव हुआ है कि लोगों ने स्वेच्छा से राज-सहायता और वित्तीय लाभ छोड़े हैं ताकि पात्र और वास्तविक रूप से जरूरतमंद लोग इनका लाभ लेकर सम्मान का जीवन जी सकेंlयथास्थिति को बदलने के लिए लोगों द्वारा निस्वार्थ भाव से श्रमदान करना अब आम सा हो गया हैl हमारे देश के नागरिकों द्वारा किए गए स्वतःस्फूर्त योगदान से तीव्र परिवर्तन संभव हो पाया हैl इस प्रकार के परिवर्तन से मेरे मन में हमारे देश के भविष्य के लिए बहुत उम्मीद जगती हैl

9. कई दशक पूर्व, सभी की भलाई की सामूहिक भावना की सहायता से औपनिवेशिक शासन से आज़ादी के लगभग असंभव स्वप्न साकार हुआ थाl हमारे इतिहास में कई बार यह देखने में आया है कि जब कभी भी हमने सभी की भलाई के लिए अपनी विविधता और निजता को एकजुट करने का कार्य किया है, हमने अतुलनीय सफलताएं प्राप्त की हैंl

10. सरकार के प्रयासों और जनता के सहयोग या जनभागीदारी के फल अब नजर आने लगे हैंlआर्थिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो, हम सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैंlहमारी वृहद् अर्थव्यवस्था के संकेतक मजबूत हैंlसड़क, रेलवे, हवाई अड्डे और बंदरगाहों जैसी अवसंरचनाओं का निर्माण या उन्नयन तीव्र गति से किया जा रहा हैlदेश में अब सभी गांवों में बिजली पहुंचा दी गई हैlजल्दी ही सभी घरों में बिजली होगीl आम नागरिक अपने परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा प्राप्त कर सकता हैlज्यादातर लोगों के पास मोबाइल फोन है और बैंकिंग सुविधाओं तक उनकी पहुँच हैlवैश्विक समुदाय भारतीय विकास गाथा से उत्साहित हैlप्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ रहा हैlविकसित अर्थव्यवस्थाओं और रणनीतिक भागीदारों के साथ हमारे संबंध मजबूत और सुदृढ़ हैंlहमें ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है जो व्यवसाय के वातावरण को लिए तेज गति से सुगम बना रहा हैlएक देश के रूप में, हम ऊंची उड़ान के लिए तैयार हैंl

11. इतने सारे हिस्सों के तेजी से गतिमान रहने की अवस्था में, सभी हिस्सों को एक जुट रख पाना और दूरदृष्टि से काम ले पाना प्राय: कठिन हो जाता हैlआज जारी होने वाली किताब का महत्व इन्हीं परिस्थितियों में स्पष्ट होता हैlविभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों के आकलन को एक साथ लाकर प्रस्तुत करने से, इसके पाठकों को राष्ट्रीय विकास यात्रा का बहुआयामी दृश्य दिखाई देगाlमुझे आशा है कि पुस्तक में प्रस्तुत विश्लेषण और शोध-पत्र नागरिकों और सरकार दोनों के लिए सहायक संदर्भ का काम करेंगेlजनता समझ-बूझ कर राय बनाने के लिए विभिन्न अध्यायों में दिए गए परिप्रेक्ष्य से लाभान्वित होगीlऔर सरकार और इसके अनुषंगी संगठन भी लाभान्वित होंगे क्योंकि इस पुस्तक में उन्हें ऐसे विषयों पर स्वतंत्र और अच्छी तरह से किए गए शोध से तैयार मतों से अवगत कराती है कि कौन-कौन से कार्य जो सही दिशा में जा रहे हैं- और ऐसे किन-किन कार्यों में आगे ध्यान दिए जाने की आवश्यकता हैl

12. अपना वक्तव्य समाप्त करने से पूर्व, मैं एक बार फिर, संपादकों और लेखकों को, उनके योगदान के लिए बधाई देता हूंlमैं उनकी सफलता की कामना करता हूं तथा आशा करता हूं कि वे नीतियों पर समझ-बूझ भरी और सुविचारित चर्चा को बढ़ावा देने के अपने प्रयास जारी रखेंगेl

धन्यवाद

जय हिंद!