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‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

नई दिल्ली : 28.02.2020

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1. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह में शामिल होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। हमारे देश में वैज्ञानिक जिज्ञासा की बहुत पुरानी और गरिमामयी परंपरा है। प्राचीन काल से लेकर मध्यकालीन युग और फिर आधुनिक काल तक, इस धरा पर ऐसे असाधारण विद्वान् पैदा हुए हैं जिन्होंने मानव ज्ञान की परंपरा में नए आयाम जोड़े हैं। उनकी रचनाएँ और कार्य हमारी वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत की समृद्ध धरोहर हैं।

2. स्वतंत्रता के बाद से ही, भारत ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रचार-प्रसार पर विशेष बल दिया है। हमारे संविधान ने स्वयं एक मौलिक कर्तव्य के रूप में इस विचारधारा को अंगीकृत किया गया है। अतः, भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि "वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद तथा ज्ञानार्जन एवं सुधार की भावना का विकास करें"।

3. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह की शुरुआत बड़े रोचक ढंग से हुई? मुझे बताया गया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग को विज्ञान के एक प्रशंसक का पत्र प्राप्त हुआ जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि ‘राष्ट्रीय शिक्षक दिवस’ की तर्ज पर ही ‘राष्ट्रीय वैज्ञानिक दिवस’ भी मनाया जाना चाहिए। इस सुझाव पर कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने 1987 से ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ मनाने का निर्णय लिया।

4. 28 फरवरी के दिन को इसके लिए चुना गया। इसका भी एक विशेष महत्व है। 1928 में इसी दिन, सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने प्रकाश के प्रकीर्णनसंबंधी दृष्‍य-प्रपंच की महत्वपूर्ण खोजजिसे ‘रमन प्रभाव’ के नाम से जाना जाता है, की घोषणा की थी। 1930 में उन्हें भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया और इस प्रकार किसी भी विज्ञान के क्षेत्र में यह सम्मान प्राप्त करने वाले वे पहले एशियाई बन गए। रमन प्रभाव से एक बिल्कुल नए विषय ‘रमन स्पेक्ट्रोस्कॉपी’ का उद्भव हुआ जो अब वैज्ञानिक अन्‍वेषणों तथा औद्योगिक अनुप्रयोगों की विस्तृत श्रृंखला हेतु एक शक्तिशाली उपकरण बन चुका है। जैसा कि हम जानते हैं कि विज्ञान उद्धरण सूचकांक पत्रिकाओं में प्रकाशनों की संख्या के मामले में आज चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे स्थान पर शोभायमान है।

देवियो और सज्जनो,

5. ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ का मूल उद्देश्य विज्ञान के महत्व के संदेश को प्रसारित करना है। इसके दो पहलू हैं - विशुद्ध ज्ञान की खोज के रूप में, अपने आप में विज्ञान का महत्व; और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के साधन के रूप में, समाज में विज्ञान का महत्व। निश्चित रूप से, दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं, क्योंकि दोनों ही मामलों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उनका एक अहम तत्व है।

6. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही यह संभव है कि हम पर्यावरण, स्वास्थ्य-चर्या, समान आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा, खाद्यऔर जल सुरक्षा, तथा संचार जैसी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान खोज सकते हैं। आज हमारे सामने अनेकानेक प्रकार की और जटिल चुनौतियां मौजूद हैं। विभिन्न संसाधनों की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते असंतुलन से भविष्य में संघर्ष की संभावना है। इन चुनौतियों के स्थायी समाधान की अपनी खोज में हम सभी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर निर्भर रहना होगा।

देवियो और सज्जनो,

7. मुझे यह जानकर विशेष रूप से प्रसन्नता हो रही है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने "महिला और विज्ञान” को इस वर्ष के विज्ञान दिवस के विषय के रूप में चुना है। मेरे विचार से, देश के विकास के लिए महिला सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है। मेरा प्रयास रहता है कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में मैं भाग ले सकूं। मुझे विश्वास है कि आज के इस कार्यक्रम के माध्यम से लोगों की यह अवधारणा काफी हद तक निर्मूल हो जाएगी कि विज्ञान और गणित के क्षेत्र में महिलाएं उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं कर सकती हैं। इस मंच के माध्यम से इस महत्वपूर्ण और आवश्यक विषय पर पूरे देश में सार्थक चर्चा, बहस और परिणामोन्मुखी कार्यों के आरंभन को ऊर्जा मिलेगी।

8. भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक महिलाएं प्रभावशाली योगदान करती आ रही हैं। इसरो की श्रीहरिकोटा रेंज की अपनी हालिया यात्रा में, मैं एक महिला वैज्ञानिक से मिला जो ‘चंद्रयान परियोजना’ के लिए इतनी अधिक समर्पित थी कि उसने अपने छह महीने के बेटे को अपने माता-पिता के पास छोड़ दिया और स्वयं इस अभियान में पूर्ण समर्पण के साथ शामिल हो गई। ‘मंगलयान’ के नाम से विख्यात, इसरो का ‘मार्स ऑर्बिट मिशन’ विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की क्षमताओं का एक और प्रेरणादायक उदाहरण है। भारत की ‘मिसाइल वूमन’ के नाम से प्रसिद्ध डॉक्टर टेसी थॉमस को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करने का अवसर भी मुझे प्राप्त हुआ।

9. ऐसी अति कार्यनिष्‍ठ महिला वैज्ञानिकों की मौजूदगी के बावजूद ‘राष्ट्रीय टास्क फोर्स’ की रिपोर्ट के अनुसार,अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी विश्व के 30% औसत की तुलना में हमारे देश भारत में 15% ही है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षण संस्थानों के मामले में भी इन आंकड़ों में बहुत अधिक अंतर नहीं है। विज्ञान का अध्ययन करने वाली कुछ ही प्रतिशत महिलाएं इस क्षेत्र में सफल कैरियर बना पाती हैं और इस क्षेत्र में अपना योगदान दे पाती हैं। विज्ञान में उच्च अध्ययन के क्षेत्र में जाने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने हेतु मैंने केंद्रीय विश्वविद्यालय के विजिटर के रूप में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में उल्लेखनीय वृद्धि की है। उच्च अध्ययन के क्षेत्र में और अनुकूल वातावरण तैयार करने और संकाय सदस्‍यों के रूप में महिलाओं के नियोजन की संख्या बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

10. आज इस अवसर पर, मुझे हमारे शैक्षणिक तथा अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में स्त्री-पुरुष समानता और सवंर्धन के लिए तीन नई पहल आरंभ करने पर प्रसन्नता हो रही है
·पहली है ‘गति’ अर्थात ‘जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टिट्यूशंस’। इससे सुपरिभाषित मापदंडों के आधार पर स्त्री-पुरुष समानता में बेहतरी लाने में प्रतिभागी संस्थानों द्वारा की गई प्रगति का मूल्यांकन किया जा सकेगा।
·दूसरी पहल महिलाओं के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी संसाधनों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल का निर्माण करने से जुड़ी है। इसके माध्यम से सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों, अध्‍येतावृत्तियों, करियर परामर्श और विभिन्न विषयक्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों के विवरण के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।
·‘विज्ञान ज्योति’ नामक तीसरी पहल के अंतर्गत उच्च शिक्षा में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की पढ़ाई के लिए, हाई स्कूलों में उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं हेतु बराबरी का वातावरण तैयार करना है।

11. डॉ हर्षवर्धन के नेतृत्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रयासों की मैं सराहना करता हूं। मैं विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में श्रीमती स्मृति ईरानी के नेतृत्व वाले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रयासों की भी प्रशंसा करता हूं। मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्‍हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संचार और इसे लोकप्रिय बनाने तथा सामाजिक लाभ के लिए प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के साथ-साथ शोध कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने हेतु लेखन कौशल को बढ़ावा देने के लिए आज पुरस्‍कार प्राप्‍त हुए हैं।

देवियो और सज्जनो,

12. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर, आइए हमारे वैज्ञानिक उद्यम की गुणवत्ता और प्रासंगिकता को बढ़ाने का संकल्प लें। विज्ञान को देशवासियों के विकास और भलाई में योगदान करके उनका हित साधन करना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा तरीका यह है कि हम समाज के साथ विज्ञान के प्रत्यक्ष जुड़ाव को और बढ़ाएं। हमें अपने विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं के समस्त साधनों, ज्ञान, जनशक्ति और अवसंरचना के साथ विज्ञान के और वास्तव में पूरे समाज के सभी हितधारकों तक पहुंचने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

13. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग इस दिशा में कार्य करता रहा है। ‘कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी’की तर्ज पर ही ‘साइंटिफिक सोशल रिस्पांसिबिलिटी’ की अवधारणा विभाग द्वारा विकसित की जा रही है और इसे नीतिगत रूप दिया जा रहा है। इसमें वैज्ञानिक अवसंरचना साझा करना, महाविद्यालयों के संकाय सदस्यों का मार्गदर्शन करना, अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देना, और युवा विद्यार्थियों को उत्कृष्ट प्रयोगशालाओं के भ्रमण कराने जैसी स्‍वैच्छिक गतिविधियां शामिल रहेंगी। विभिन्न संचार माध्‍यमों की सहायता से लोकोपयोगी विज्ञान पर सार्वजनिक व्‍याख्‍यानों का आयोजन और प्रसार करने, जनता के बीच इसकी पहुंच में बहुत बढ़ सकती है।

14. हमें यह याद रहना चाहिए कि वैज्ञानिक शोध का परिणाम सर्वाधिक प्रभावी तभी हो सकता है जब यह हमारी अल्‍प-सुविधा प्राप्त संस्थाओं, हमारे युवाओं, हमारी महिलाओं और सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक पहुंचे। आज के दिन, आइए यह संकल्प लें कि विज्ञान को समावेशी प्रगति का ऐसा साधन बनाएं कि इससे 130 करोड़ जनता की विविधता की शक्ति का यथेष्ट उपयोग हो सके।

15. आज श्रोताओं में उपस्थित आप सभी युवा विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए यह श्रेयस्‍कर होगा कि आप सब 1969में स्नातक की शिक्षा पूरी करने वाले युवाओं के सामने डॉक्टर सी. वी. रमन की सलाह का स्‍मरण करें-
"हमें विजय प्राप्त करने की भावना जगानी होगी, इसी भाव को लेकर हम धरा पर अपना उचित स्‍थान प्राप्‍त कर सकेंगे, इसी भावना के बलबूते हमें यह अहसास हो सकेगा कि एक गौरवशाली सभ्‍यता के उत्‍तराधिकार के रूप में इस धरती पर हम अपने उचित स्‍थान के हकदार हैं अगर वह अदम्य भावना उत्पन्न हो जाती है तो हमें अपने वास्तविक स्थान को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता”।

16. आप सभी के वैज्ञानिक प्रयासों के लिए मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं!

धन्यवाद।

जय हिन्द!