भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह के अवसर पर सम्बोधन
रांची : 28.02.2020
1. भगवान बिरसा मुंडा के क्षेत्र झारखंड की पावन धरती पर स्थित इस विश्वविद्यालय के नूतन परिसर के दीक्षांत मंडप में, ऊर्जावान युवा विद्यार्थियों के बीच आकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है।
2. आज उपाधि प्राप्त कर रहे स्नातकों,परा-स्नातकों और शोधार्थियों को मैं हृदय से बधाई देता हूं। सभी पदक विजेता विद्यार्थी विशेष प्रशंसा के पात्र हैं। साथ ही, शिक्षकों एवं अभिभावकों को भी मैं हार्दिक बधाई देता हूं।
3. इस प्रथम दीक्षांत समारोह के आयोजन के लिए मैं विश्वविद्यालय-परिवार की सराहना करता हूं। दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। इसलिए मेरी अपेक्षा है कि भविष्य में दीक्षांत समारोह समय पर आयोजित होते रहें।
4. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि उत्तर में लद्दाख से लेकर दक्षिण में केरल तक और पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में महाराष्ट्र तक, लगभग 20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से आए हुए विद्यार्थी यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मुझे बताया गया है कि भूटान, मलेशिया और यमन से आए विद्यार्थी भी यहां शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। मैं आशा करता हूं कि विभिन्न क्षेत्रों में, विशेषकर पर्यावरण से जुड़े विषयों पर, आपके विश्वविद्यालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ किए जा रहे सहयोग से उपयोगी परिणाम निकलेंगे।
5. झारखंड का यह क्षेत्र जिस पूर्ववर्ती बिहार का हिस्सा रहा है, वहां के नालंदा विश्वविद्यालय ने प्राचीन काल में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा अर्जित की थी। वह स्थान यहां से थोड़ी ही दूरी पर है। उस आदर्श शिक्षा केंद्र से प्रेरणा लेकर, आप सबके इस विश्वविद्यालय-परिवार को, उत्कृष्टता के विश्व-स्तरीय प्रतिमान स्थापित करने की आकांक्षा के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
प्यारे विद्यार्थियो,
6. झारखंड की लगभग 26 प्रतिशत आबादी जन-जातीय है। प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जीवन-यापन करने तथा स्वस्थ परम्पराओं को जीवित रखने की शिक्षा, पूरे समाज को, खासकर युवा पीढ़ी को, आदिवासी समुदाय से प्राप्त हो सकती है। हमारी युवा पीढ़ी को, अपने आदिवासी भाई-बहनो के समग्र विकास के लिए,संवेदनशीलता के साथ, अपना योगदान देना है। जन-जातीय समुदाय के विकास में योगदान देने के लिए आप सब विकास भारती तथा रामकृष्ण मिशन जैसे संस्थानों से प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। कल मैं विकास भारती,बिशुनपुर के समाज-कल्याण के कार्यों को देखने जाऊंगा।
प्यारे विद्यार्थियो,
7. आपके विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य‘ज्ञानात् हि बुद्धि कौशलम्’ अर्थात ज्ञान से ही बुद्धि और कौशल को प्राप्त किया जा सकता है, निजी तथा सामाजिक जीवन में ज्ञान की उपयोगिता को रेखांकित करता है। नैतिकता तथा अन्य चारित्रिक गुणों को आत्मसात करना भी शिक्षा का अनिवार्य अंग है। महात्मा गांधी ने कहा था,"शिक्षा मात्र एक साधन है। यदि यह सच्चाई, संकल्प, धैर्य और ऐसे ही अन्य गुणों से युक्त नहीं होगी तो यह निर्जीव हो जाएगी।” इसी बात को सामान्य भाषा में कहें तो शिक्षा का उद्देश्य है, एक बेहतर इंसान बनाना। जो अच्छा इंसान होगा वह अच्छा इंजीनियर, अच्छा डॉक्टर,अच्छा वकील, अच्छा शिक्षक,अच्छा अधिकारी व अच्छा समाज-सेवक सिद्ध होगा।
8. समाज सेवा के महत्व को समझना और उसमें सक्रिय होना राष्ट्र-निर्माण के साथ-साथ आत्म-निर्माण के लिए भी जरूरी है। मातृ-ऋण, पितृ-ऋण, आचार्य-ऋण आदि ऋणों के साथ-साथ समाज-ऋण को चुकाने के लिए भी सभी को पूरी निष्ठा से तत्पर रहना चाहिए। किसी विश्वविद्यालय की स्थापना और संचालन में पूरे समाज का योगदान होता है। इसलिए, विश्वविद्यालयों को भी चाहिए कि वे पूरे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
9. जून 2018 में नई दिल्ली में आयोजित राज्यपाल सम्मेलन में मैंने यह विचार दिया था कि कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी की तरह विश्वविद्यालयों को University Social Responsibility (USR) के लिए सक्रिय होना चाहिए। इस जिम्मेदारी को निभाने का एक तरीका यह हो सकता है कि यहां के विद्यार्थी नजदीक के गांवों और बस्तियों में लोगों के बीच कुछ समय बिताएं, उनकी समस्याओं के समाधान में हाथ बंटाएं और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार का प्रयास करें। वे विशेष तौर पर गांव की साफ-सफाई, साक्षरता, बच्चों के टीकाकरण और न्यूट्रीशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं के बारे में ग्रामवासियों में जागरूकता बढ़ा सकते हैं। विश्वविद्यालय, अपने स्तर पर, अपने आस-पास के गांवों को गोद ले सकता है और उनकी प्रगति में सहभागी बन सकता है।
10. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि आपके विश्वविद्यालय ने आस-पास के पांच गांवों को गोद लेने के लिए पहल की है तथा कुछ ग्रामीण बच्चों को शिक्षण सामग्री देने और उन्हें पढ़ाने की ज़िम्मेदारी भी आप सबने ली है। आप सब समाज के अपेक्षाकृत पीछे रह गए लोगों के लिए ऐसे अनेक कार्यक्रम चला सकते हैं।
प्यारे विद्यार्थियो,
11. महिला सशक्तीकरण सामाजिक विकास के लिए जरूरी है। शिक्षा सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है। हमारी बेटियां उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। मैंने अधिकांश विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में यह देखा है कि स्वर्ण पदक विजेता विद्यार्थियों में बेटियों की संख्या बेटों से अधिक होती है। आपके विश्वविद्यालय में भी विगत 6 वर्षों में कुल 96 स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 64 बेटियां हैं और 32 बेटे हैं। इस प्रकार स्वर्ण पदक विजेता बेटियों के संख्या बेटों से दोगुनी है। बेटियों का यह शानदार प्रदर्शन, भविष्य के विकसित भारत की सुनहरी तस्वीर प्रस्तुत करता है। प्राय: बेटों की तुलना में,हमारी बेटियों को अधिक चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए उनकी यह उपलब्धि और भी सराहनीय है। लेकिन, बेटियों की सफलता का यह अनुपात विज्ञान और टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में कम दिखाई देता है।
12. संयोग से आज ‘नेशनल साइंस डे’ भी है। इस अवसर पर, आज सुबह मैंने केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में आयोजित एक महत्वपूर्ण समारोह में भाग लिया। वहां साइंस और टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में बेटियों की भागीदारी अपेक्षाकृत कम होने के कारणों पर चर्चा हुई और उनके समाधान के लिए कुछ योजनाएं भी घोषित की गईं। इस विश्वविद्यालय के साइंस और इंजीनियरिंग के अध्यापकों और छात्राओं को मैं खास तौर पर बताना चाहता हूं कि केंद्र सरकार द्वाराविज्ञान और टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष योजनाएं शुरू की गई हैं।Gender Advancement for Transforming Institutions अथवा ‘GATI’ नामक कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं की समानता के लिए विश्व की श्रेष्ठ पद्धतियों को अपनाने में संस्थानों की सहायता की जाएगी। महिलाओं के लिए साइंस और टेक्नॉलॉजी से जुड़ी उपयोगी सामग्री से युक्त ऑन-लाइन पोर्टल बनाया गया है। इस पोर्टल पर महिलाओं के हित में चल रही सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों तथा करियर काउंसेलिंग की जानकारी उपलब्ध रहेगी। मैं चाहूंगा कि विज्ञान और टेक्नॉलॉजी से जुड़ी सभी बेटियां इन विशेष सुविधाओं का लाभ उठाएं और अन्य क्षेत्रों की तरह इस क्षेत्र में भी अपना योगदान बढ़ाएं।
13. इस सदी के विश्व बाजार में ज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण पूंजी के रूप में उभरा है। ज्ञान,बुद्धि और कौशल के क्षेत्र में निरंतर बदलाव भी हो रहे हैं। नित नए इनोवेशन के परिणाम-स्वरूप तेजी से हो रहे परिवर्तनों के इस दौर में अपने ज्ञान और कौशल को निरंतर प्रासंगिक बनाए रखना एक चुनौती भी है और अवसर भी। सदैव कुछ न कुछ नया जानने और सीखने वाला व्यक्ति ही इस दौर की चुनौतियों का सामना कर सकेगा। साथ ही ,जिज्ञासा, उत्साह और सतर्कता के साथ अपने ज्ञान, कौशल और बुद्धि का सदैव विकास करने वाले व्यक्ति के लिए आज अपार अवसर भी उपलब्ध हैं। केवल अपने कौशल के बल पर आधुनिक टेक्नॉलॉजी के जरिए अनेक भारतीय युवाओं ने विश्व-स्तरीय सफलताएं अर्जित की हैं। स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। इन अवसरों का समुचित उपयोग करते हुए आप जैसे विद्यार्थी जॉब क्रिएटर भी बन सकते हैं।
14. आज से लगभग 100 वर्ष पहले भारत की तत्कालीन युवा पीढ़ी ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारे देश की स्वाधीनता और हमारे समाज में बदलाव लाने के महान आंदोलन को पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ाया था। उन राष्ट्र-निर्माताओं के नैतिकता व राष्ट्र-प्रेम के आदर्शों को आत्मसात करते हुए आज की युवा पीढ़ी 21वीं सदी के भारत को सफलता की नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी,यह मेरा दृढ़ विश्वास है।
15. मैं आप सभी विद्यार्थियों को, सफलता के पथ पर हमेशा आगे बढ़ते रहने के लिए, शुभकामनाएं और आशीर्वाद देता हूं।