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अपने सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

कोलकाता : 28.11.2017

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1. कोलकाता शहर में इस हार्दिक स्वागत और वास्तव में भावपूर्ण स्वागत समारोह के लिए धन्यवाद। भारत के राष्ट्रपति के रूप में बंगाल की यह मेरी पहली यात्रा है और मैं इस गौरवपूर्ण राज्य और इस प्यारे शहर, दिलवाले शहर में आकर बहुत खुश हूं।

2. मैं बंगाल के लिए अनजान नहीं हूं। मैं इस राज्य की यात्रा पर आता रहा हूं और मेरा दशकों से कोलकाता आना जाना रहा है। मैं कहना चाहता हूं कि मैं लम्बे समय से बंगाल और इसकी संस्कृति तथा इसके इतिहास का प्रशंसक रहा हूं। वास्तव में, हमारे देश में कहीं भी ऐसे लोग कम ही होंगे जो बंगाल से या बंगाल की किसी कृति से न जुड़े हों । इस राज्य ने किसी न किसी रूप में, किसी न किसी प्रकार से , प्रत्येक भारतीय को स्पर्श किया है और प्रत्येक भारतीय के जीवन को समृद्ध किया है। प्रत्येक भारतीय बालक या बालिका बंगाल के बारे में या बंगाल में लिखी गई कहानियों को पढ़कर बड़ी हुई है।

3. बंगाल हमारी राष्ट्रीय अस्मिता के केन्द्र में रहा है। हमारा राष्ट्र गान जन गण मन नोबेल विजेता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बंगाल की धरती पर लिखा गया। गुरुदेब के प्रोणाम कोरते जाबो। अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि देने के लिए मेरी योजना कल सुबह गुरुदेव के पैतृक घर जोड़ासांको के दर्शन करने की है।

4. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के आह्वान गीत, हमारे राष्ट्र गीत वंदे मातरम् की रचना 19वीं शताब्दी में ही महर्षि बंकिम चन्द्र चटर्जी ने कर दी थी। हमारा प्रिय नारा जय हिन्द हमें बंगाल के महान सपूत और महान नेतृत्वकारी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने दिया जिन्हें हमारे देश के सभी हिस्सों में आज तक प्यार किया जाता है, याद किया जाता है और जिनकी कमी महसूस की जाती है।

5. कुछ दिन पहले, मुझे मणिपुर के मोइरांग में भारतीय राष्ट्रीय सैन्य स्मारक का दौरा करने का सम्मान प्राप्त हुआ। यहीं पर नेताजी की प्रेरणा से आजाद हिन्द फौज के स्वतंत्रता सेनानियों ने पहली बार भारतीय धरती पर राष्ट्र ध्वज फहराया था। मेरे लिए वह क्षण बहुत ही हृदयस्पर्शी था।

6. गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर, महर्षि बंकिम चंद्र चटर्जी और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस-तीनों ने ही हमारे राष्ट्रवाद को निरूपित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। हमारी जनता को इन्होंने जो ऊर्जा प्रदान की, उसके कारण स्वतंत्रता अपेक्षाकृत जल्दी हासिल हो गई।

7. यहां के अपने यात्रा कार्यक्रम के दौरान, मेरा विचार नेताजी भवन का दौरा करने का भी है जहां मेरी समझ से नेताजी के जीवन और कार्यों के प्रति समर्पित स्मारक और शोध केन्द्र बनाया गया है।

8. मैं बंगाल के उन दो अन्य प्रख्यात सपूतों-रामकृष्ण परमहंस और उनके महानतम शिष्य स्वामी विवेकानन्द के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बेलूर भी जा रहा हूं जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय जीवन में प्रभूत योगदान दिया। उन्होंने अपने-अपने तरीके से न केवल हमारे लिए भारत में बल्कि विश्व के लिए भी हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा की पुन: खोज की। स्वामीजी हमारे सर्वाधिक प्रारंभिक आधुनिक सांस्कृतिक दूतों में से एक थे। उनका कार्य रामकृष्ण मिशन के माध्यम से आज भी आगे बढ़ रहा है। यह संस्थान हमारी राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है।

मित्रो

9. हमारे राष्ट्र निर्माण का बहुत बड़ा श्रेय बंगाल को और इस भूमि के लोगों के त्याग और उपलब्धियों को जाता है। बंगाल के क्रांतिकारी नायकों के विशिष्ट समूह ने, बिना किसी प्रतिदान की इच्छा के चुपचाप अपना यथोचित योगदान देते हुए आजादी हासिल करने में हमारी मदद की। युवा खुदीराम बोस अपने होठों पर मुस्कान और अपनी आंखों में स्वतंत्र भारत का सपना लिए फांसी के फंदे पर झूल गए। बुजुर्ग लेकिन दृढ़ संकल्प से भरी मातंगिनी हाजरा को औपनिवेशी पुलिस ने गोली मार दी। अपने होठों पर वंदेमातरम् और दिल में अपनी मातृभूमि के लिए उम्मीदें लिए हुए उन्होंने प्राण त्यागे।

10. 1940 के दशक में बंगाल का भीषण अकाल मनुष्य द्वारा पैदा की गई ऐसी विपदा थी जो क्रूर साम्राज्यवादी सरकार ने मासूम लोगों पर ढायी थी। यह अकाल मानव इतिहास की भीषणतम त्रासदियों में से एक था। बंगाल ने धैर्य के साथ वह त्रासदी सहन की। प्रत्येक भारतीय ने बंगाल की पीड़ा साझा की।

11. 25 वर्ष बाद, बंगाल ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में बर्बरतापूर्ण सैन्य कार्रवाई से बचकर भागे शरणार्थियों को गले लगाया। बंगाल ने उत्पीड़न से बचकर भागे और अपना सब कुछ खो देने वाले लोगों के साथ जो कुछ थोड़ा बहुत था, उदारतापूर्वक साझा किया। हम वह घटना कभी नहीं भूल सकते। दुनिया वह घटना कभी नहीं भूल सकती। इसीलिए मैंने कोलकाता को दिलवाला शहर और बंगालियों को दिलवाले लोग कहा है।

12. बल्कि मैं तो बंगाल के लोगों को ‘दिलवाले लोग’ और ‘दिमाग वाले’ लोग’ कहूंगा। हमारी अनेक अग्रणी महिला नेता बंगाल से थीं। शायद उनमें से सर्वाधिक प्रसिद्ध सरोजिनी चट्टोपाध्याय थीं, जो विवाह के बाद सरोजिनी नायडू बन गईं। हमारे बहुत से बुनियादी समाज सुधार आंदोलन यहीं पर राजा राम मोहन राय से लेकर बाद में ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समय में शुरू हुए, जिन्होंने सबसे पहले के महिला शिक्षा संस्थानों में से कुछ संस्थानों की स्थापना की।

13. शिक्षा के क्षेत्र में हम उल्लेखनीय पिता और पुत्र आशुतोष मुखर्जी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को या फिर कानून के क्षेत्र में न्यायमूर्ति विधिवेत्ता राधा बिनोद पाल की मानवता को नहीं भूल सकते। दो-दो परमाणु बमों की विभीषिका झेलने वाले साधारण पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के प्रति उनकी सहानुभूति के लिए उन्हें अभी तक जापान में प्यार से याद किया जाता है।

14. हाल के समय में, बंगाल के एक और प्रख्यात सपूत श्री प्रणब मुखर्जी ने भारत के राष्ट्रपति के रूप में सर्वोच्च पद पर रहते हुए राष्ट्र की सेवा की। हम सब प्यार से उन्हें ‘प्रणब दा’ कहते हैं।

15. कल सुबह, मैं जगदीश चन्द्र बोस संस्थान जा रहा हूं। यह संस्थान अपना शताब्दी समारोह मना रहा है और जिनके नाम पर इसका नामकरण किया गया है, उस वैज्ञानिक-विद्वान की शिक्षाओं को नए सिरे से देख रहा है। जे.सी. बोस, एस.एन. बोस, मेघनाद साहा-कितने नाम गिनाऊं-बंगाल के बिना भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की कल्पना नहीं की जा सकती। शरत चन्द्र के उपन्यासों और नजरुल इस्लाम के काव्य के बिना हमारे साहित्य की गति क्या होती? सत्यजीत रे की दक्षता के बिना हमारे सिनेमा का क्या होता? आर उत्तोम कुमार के केयु भूलते पारे की?

16. मैंने बंगाल में पैदा हुए प्रतिभावान असंख्य स्त्री-पुरुषों में से केवल कुछ ऐतिहासिक और कद्दावर महानुभावों का ही जिक्र किया है। यदि मुझे सभी महापुरुषों के नाम लेने हों तो मुझे कुछ मिनट नहीं बल्कि कुछ घंटे लगेंगे। बंगाल की विरासत इतनी महान है।

मित्रो

17. बंगाल का इतिहास महान है परन्तु हममें से हर एक को यह सुनिश्चित करना होगा कि बंगाल का भविष्य भी महान हो। यह राज्य हमारे देश केशुरुआती दिनों में औद्योगिक और विनिर्माण का केन्द्र था। डिजिटल और रोबोटिक प्रौद्योगिकियों के इस युग में इसकी अर्थव्यवस्था को दोबारा फलना-फूलना चाहिए। इसके हरे-भरे खेतों और मेहनती किसानों की क्षमताओं को साकार करने के लिए उन्हेंकृषि संबंधी नवीनतम ज्ञान से सम्पन्न किया जाना चाहिए।

18. 2022 में, भारत एक स्वतंत्र देश के रूप में 75 वर्ष पूरे करने का समारोह मनाएगा। यह एक ऐसा अवसर होगा कि हम अपने लोगों के लिए विकास के कुछ पड़ावों तक पहुंच चुके हों और एक बेहतर भारत का निर्माण कर चुके हों। अवसर होगा। इसके लिए, हमें उसी आदर्शवाद और जोश को जगाना होगा जिसने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया था। बंगाल, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के अगुवाकारों में से एक था। 2022 तक एक श्रेष्ठ भारत के निर्माण के प्रयास में भी इसे नेतृत्व करना चाहिए।

19. आपको मालूम ही होगा कि भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ आरंभ की है। इसमें संयोज्यता परियोजनाओं का निर्माण और आर्थिक पहलों की शुरुआत करने जैसे घटक शामिल हैं। इससे हमारे पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों तथा पड़ोसी देशें को परस्पर लाभ होगा। बंगाल के लोग इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

20. सीमावर्ती राज्य होने के कारण बंगाल को कुछ फायदे भी हैं और इससे इस पर कुछ जिम्मेदारियां भी आ जाती हैं। कट्टरतावादी और उग्रवादी ताकतें, जिनमें से कुछ के संपर्क सीमापार से हैं, हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से उत्पन्न गुंजाइश का फायदा उठाना चाहती हैं। हमें इनसे देश की रक्षा करनी होगी।

मित्रो

21. अपनी बात समाप्त करते हुए, मैं इस हार्दिक स्वागत के लिए एक बार फिर आपका धन्यवाद करता हूं। इसने वाकई मेरा दिल छू लिया है। खूब ही भालो लागलाे। मैं इस स्वागत समारोह के लिए बंगाल की मुख्य मंत्री और सरकार का तथा सबसे बढ़कर बंगाल के लोगों का धन्यवाद करता हूं। इसकी मधुर स्मृति हमेशा मेरे मन में रहेगी। विशेष तौर से, मैं यहां उपस्थित बच्चों का धन्यवाद करता हूं। वे बंगाल और भारत के भविष्य हैं। मैं उनकी शानदार सफलता की कामना करता हूं।

22. मैं वादा करता हूं कि मैं दोबारा बंगाल आऊंगा; और मिष्ठी, अड्डा और फुटबॉल के शहर कोलकाता में फिर से आऊंगा मैं।

23. हाल ही में, हमारे देश में अंडर-17 फुटबाल विश्व कप खेला गया। कोलकाता ने फाइनल समेत अधिकांश मैचों की मेजबानी की। आपमें से कुछ लोगों ने स्टेडियम में मैच देखे होंगे। आपने श्रेष्ठ मेजबान की भूमिका निभाई। और आपने हम सभी को गौरवान्वित किया। बहुत-बहुत बधाई।

24. विश्व कप के आयोजन की सफलता से आपको अन्य दिशाओं में भी प्रयास करने की प्रेरणा प्राप्त हो।


धन्यवाद

जय हिन्द!