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‘विज्ञान चिंतन-कोलकाता में वैज्ञानिक वातावरण’ (वैज्ञानिक समुदाय से बातचीत) पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण

राज भवन, कोलकाता : 28.11.2017

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कोलकाता के वैज्ञानिक समुदाय के इस विशेष आयोजन में उपस्थित होकर और हमारे देश के कुछ बेहतरीन प्रबुद्धजनों से बातचीत करने और उनसे कुछ सीखने का अवसर पाकर बहुत खुशी हुई है। मुझे उनके कार्यों और भावी योजनाओं के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई है।

2. मैं एक ऐसे शहर में हूं जो कई मायनों में, आधुनिक भारतीय विज्ञान की राजधानी रहा है। 1876 में ही,डॉ. महेन्द्र लाल सरकार ने कोलकाता में ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस’ की स्थापना की थी। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह महसूस किया गया कि भारतीयों में विज्ञान और जिज्ञासा की भावना पैदा करने और उसे बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

3. बाद के वर्षों में, इस शहर ने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के हमारे वैज्ञानिक संसार में अनेक विख्यात नाम जोड़े। जे.सी. बोस और एस.एन. बोस तथा मेघनाथ साहा के नाम भारत के घर-घर में जाने जाते हैं। सी.वी. रमन ने यहीं कोलकाता में कार्य किया और अपने निष्कर्षों और आविष्कारों के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रतिभावान गणितज्ञ राधानाथ सिकदर ने 19वीं शताब्दी में पहली बार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का मापन किया। परंतु तत्कालीन औपनिवेशिक सरकार ने उन्हें इसके श्रेय से वंचित कर दिया।

4. बंगाल के वैज्ञानिकों ने स्वयं को केवल प्रयोगशाला तक ही सीमित नहीं रखा। रसायनज्ञ आचार्य पी.सी. राय एक कट्टर राष्ट्रवादी थे जिन्होंने भारतीय स्वामित्व वाली प्रथम औषध कंपनी ‘बंगाल कैमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स’ की स्थापना करने के लिए अपने ज्ञान का इस्तेमाल किया। कुछ सप्ताह पहले,मैं बंगलुरु की यात्रा पर गया था और उस शहर के भारतीय विज्ञान संस्थान में वैज्ञानिकों के साथ मेरी ऐसी ही बातचीत हुई थी। मुझे ज्ञात हुआ कि ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ तब शुरू हुआ जब इसी बंगाल के अपने स्वामी विवेकानंद ने हमारे देश में एक विश्व स्तरीय विज्ञान अनुसंधान संस्थान स्थापित करने का अनुरोध जमशेदजी टाटा से किया।

5. बंगाल वास्तव में कुछ विशेष है। इसी धरती पर यह संभव है कि आध्यात्मिकता के प्रति समर्पित एक सन्यासी को भी आधुनिक विज्ञान के प्रति गहरा सम्मान और आकर्षण हो सकता है।

6. बंगाल के युवा विद्यार्थी; युवा विज्ञान स्नातक और वैज्ञानिक, युवा इंजीनियर और प्रौद्योगिकीविद आज तक विज्ञान और ज्ञान के विस्तार में प्रचुर योगदान कर रहे हैं और यह कार्य वे पूरे देश और पूरी दुनिया में कर रहे हैं। स्वयं बंगाल की बेहतरी के लिए बंगाल के वैज्ञानिक प्रतिभा भंडार का सदुपयोग करना और एक बार फिर कोलकाता को भारत के प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में बदलना आवश्यक है। जैसा कि पहले कभी एक शताब्दी या 50 वर्ष पहले यह शहर हुआ करता था।

7. मैं राष्ट्र के प्रति वैज्ञानिकों की निष्ठा की प्रशंसा करता हूं। आपने भारत को गौरवान्वित किया है। मैं कह सकता हूं कि आप निःसंदेह सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं और आप पर नए भारत-एक ऐसे भारत जो 2020 तक विकास के कतिपय पड़ावों को पार कर जाएगा, को साकार करने की महती जिम्मेदारी है। जब तक नये बंगाल का निर्माण नहीं होता,तब तक नया भारत भी नहीं बन सकता।

8. तथापि,मैं चाहता हूं कि चाहे स्वास्थ्यचर्या हो या स्वच्छता; कृषि हो या नवीकरणीय ऊर्जा हो, विज्ञान के रोमांच को विकास के लक्ष्यों की संकीर्ण उपलब्धियों तक सीमित रखा जाए।

9. संक्षेप में कहूं तो, विज्ञान का संबंध मानव कल्पना और जिज्ञासा से है। विज्ञान का संबंध नए सीमान्तों की अनंत खोज से है। आर्यभट्ट और चरक के युग से अब तक के हजारों वर्षों में भारत ने विज्ञान और जिज्ञासा भावना को अंगीकार किया है। विज्ञान हमारे लिए बौद्धिक प्रेरणा होने के साथ-साथ और हमारा शक्ति प्रवर्धक भी रहा है।

10. आधुनिक काल में, कोलकाता और बंगाल इस प्रक्रिया में केन्द्रीय भूमिका में रहे हैं। आज चुनौती यह है कि उस संस्कृति को राज्य में और उसके बाहर अन्य भौगोलिक क्षेत्रों तक प्रसारित किया जाए साथ ही, हमारे प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों से लेकर स्कूलों तक और हमारी शिक्षा प्रणाली तक उस संस्कृति को पुष्ट किया जाए; इसके लिए एक ऐसा समाज तैयार किया जाना होगा जो नवान्वेषण को समझे,उसे प्रोत्साहन दे और उसे अपनाए।

11. आज आप सभी के विचारों को सुनने के बाद, मुझे विश्वास है कि हम सही रास्ते पर चल रहे हैं। गोपाल कृष्ण गोखले के शब्दों में कहा जाए तो हम एक ऐसे गतिशील युग की उम्मीद कर सकते हैं जब ऐसा कहा जाएगाः ‘जो नवान्वेषण आज बंगाल में हो रहे हैं, वही नवान्वेषण कल पूरे भारत में किए जा रहे होंगे।’

12. उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के लिए मैं, आप सभी का धन्यवाद करता हूं। मुझे विश्वास है कि आज हुई परस्पर चर्चा के बाद आप और अधिक उर्जस्वित और दृढ़ संकल्पित होकर जाएंगे। उत्कृष्टता प्राप्त करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान के आपके गहन प्रयासों के लिए आपको और आपके सहकर्मियों को शुभकामनाएं देता हूं।


धन्यवाद,

जय हिन्द!