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“150 इयर्स ऑफ़ महात्मा गांधी- रेलेवेन्स फॉर टुडे” विषय पर जीआरएम स्वायत्त विश्वविद्यालय, सांता क्रूज़, बोलिविया में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

सांता क्रूज़ : 29.03.2019

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1. मुझे गेब्रियल रेने मोरेनो स्वायत्त विश्वविद्यालय आकर खुशी हो रही है। यहां के विद्यार्थियों और अकादमिक समुदाय को संबोधित करने और आप सभी के माध्यम से बोलिविया की जनता तक अपनी बात पहुंचा सकने के लिए विश्वविद्यालय ने मुझे जो मंच प्रदान किया है मैं उसकी सराहना करता हूं, इस भव्य सभागार का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखने के पीछे निहित भावना का भी मैं आदर करता हूं। सही मायनों में, यह उस महान व्यक्ति को श्रद्धांजलि है, जिन्हें हम भारत में अपना राष्ट्रपिता मानते हैं और 2019 में जिनकी 150वीं जयंती मनाई जा रही है।

2. मुझे बताया गया है कि यह विश्वविद्यालय बोलिविया में उच्च शिक्षा के प्राचीनतम और विशालतम केन्द्रों में से एक है। यहाँ लगभग110,000 विद्यार्थी पढ़ते हैं, जो लगभग 140 वर्षों से चली आ रही विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुझे यह महसूस करते हुए सुखद अनुभूति होती है कि जब इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी, तब महात्मा गांधी का इस पृथ्वी पर अवतरण हो चुका था। तब वे छोटे बच्चे थे। इसलिए यह सर्वथा उचित है कि आज मेरे संबोधन के विषय‘गांधीजी’हों। हम इतिहास के मामले में भाग्यशाली हैं और मुझे विश्वास है कि इससे हमारे देशों के बीच की भौगोलिक दूरी को पाट पाने में मदद मिलेगी।

3. बोलिविया की यात्रा पर आने वाला मैं भारत का पहला राष्ट्रपति हूं। यह यात्रा लंबे समय से प्रतीक्षित रही है। बोलिविया,जिसका नाम लैटिन अमेरिका को आजादी दिलाने वाले ‘सिमोन बोलिवर’के नाम पर रखा गया, मेंतथा, उपनिवेशवाद से मुक्ति के लिए भारत और दक्षिण एशिया में अधिकांशत: अहिंसक संघर्ष का नेतृत्व करने वाले, महात्मा गांधी की भूमि भारत में बहुत सी बातें समान हैं। और हमें अभी मिलकर बहुत कुछ करना है। हम अपनी जनता के लिए और सर्वाधिक गरीब और वंचित लोगों की गरिमा के लिए संजोये गए एक समान सपनों और आदर्शों के साथ स्वतंत्र राष्ट्र बने हैं। अब समय आ गया है कि हम उन आदर्शों को एक सार्थक और पारस्परिक हितकर साझेदारी में परिवर्तित करें। मेरी राजकीय यात्रा इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि यह प्रक्रिया,महात्मा गांधी के नैतिक बल से प्रेरित है।

4. हालांकि गांधीजी का जन्म भारत में हुआ था, लेकिन वे केवल भारत के ही नहीं हैं। उनका नाम सभी महाद्वीपों में गुंजायमान है। महात्मा गांधी 20वीं सदी के सर्वाधिक प्रभावशाली भारतीय थे। आज भी, उनके द्वारा स्‍थापित मानदण्डों की कसौटी पर लोक सेवा में रत पुरुषों और महिलाओं,राजनीतिक विचारों तथा सरकारी नीतियों, और हमारे देश एवं हमारे लोगों और हमारी साझी धरती की आशाओं और आकांक्षाओं को परखते हैं। उन्होंने न केवल हमें स्वतंत्रता दिलाई बल्कि उन्होंने - प्रत्येक पुरुष और प्रत्येक महिला, प्रत्येक व्यक्ति तथा प्रत्येक संस्था – को इस स्वतंत्रता को संजोने और संरक्षित करने,एवं वैश्विक शांति की अवधारणा को संजोने और संरक्षित करने के लिए भी प्रेरित किया।

5. महात्मा गांधी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वे राष्ट्रवादी और अंतर्राष्ट्रवादी व्यक्ति थे; वे राजनेता तथा आध्यात्मिक गुरु; लेखक, विचारक और आंदोलनकारी थे; वे ऐसे व्यक्ति थे जो भारतीय परंपराओं और सभ्यता को सहज भाव से स्‍वीकार करते थे, लेकिन फिर भी सामाजिक सुधार और परिवर्तन के लिए उत्साही क्रांतिकारी की चेतना भी रखते थे। इन सबसे कहीं बढ़कर,वह भारत की अंतरात्मा के संरक्षक थे। उन्होंने केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए ही हमारा नेतृत्व नहीं किया - बल्कि बेहतर भारत, अधिक सिद्धांतवादी भारत और ऐसे समाज के निर्माण का प्रयास किया, जो जाति, धर्म, अर्थ और यहां तक ​​कि स्त्री-पुरुष पूर्वाग्रहों से भी मुक्त हो।

6. महात्मा गांधी हमारे लिए केवल ऐतिहासिक महापुरुष मात्र नहीं हैं। वे हमारे वर्तमान के मार्गदर्शक और भविष्य के प्रकाश स्तम्भ भी हैं। विकास तथा कूटनीति से लेकर, छोटे से छोटे गाँव तक और उससे परे वैश्विक गाँव तक हमारी घरेलू और विदेशी नीतियां किसी न किसी रूप में गाँधीवादी दर्शन में निहित हैं।

7. महात्मा गांधी ने हमें दो मूलमंत्र दिए हैं- सत्याग्रह और सर्वोदय।‘सत्याग्रह’का शाब्दिक अर्थ है-‘सत्य के प्रति अडिग रहना’। इसका अर्थ है- सत्य के मार्ग का प्रयोग करते हुए सत्य तक पहुंचना, महान तौर-तरीकों का प्रयोग करते हुए महान लक्ष्यों तक पहुंचना, और लक्ष्‍यों के साथ-साथ उन लक्ष्‍यों की प्राप्ति के लिए अपनाए जाने वाले साधनों के लिए प्रतिबद्ध होना। जबकि ‘सर्वोदय’का अर्थ है – ‘सभी का उत्थान’ -हर पुरुष, स्त्री और बालक,हर राष्ट्रीयता तथा हर जातीयता; और सबसे अधिक, हमारे बीच मौजूद सर्वाधिक वंचितों का उत्थान। इसका अर्थ है - प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा का सम्मान।

8. गांधीजी ने अपने शब्दों में,हमें किसी भी नीति और असल में किसी भी कार्य की कसौटी के लिए एक जंतर दिया कि– जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्‍ल याद करो और अपने दिल से पूछोक्या हमारे द्वारा उठाये गए कदम से उसे कुछ लाभ पहुंचेगा,क्या उससे वह अपने भाग्य पर काबू रख पाएगा’। यह जंतर हर समय, हर स्थान और सभी स्थितियों के लिए कारगर है।

9. इन सिद्धांतों से भारत के विकास के अनुभव को आकार मिला है। यही कारण है कि भारत की आर्थिक सफलता का सही माप सिर्फ यह नहीं है कि यह दुनिया की सर्वाधिक तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है,बल्कि यह भी है कि यह आने वाले दशक में घोर गरीबी को समाप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत में चलाए गए जिन बड़े राष्ट्रीय अभियानों पर हमें गर्व है,वे केवल पिछले पांच वर्षों में आरम्भ किये गए अभियान जैसे- हमारे इतिहास में सड़कों और राजमार्गों का तीव्रतम और महत्वाकांक्षी विस्तार ही नहीं हैं,बल्कि वे अभियान भी हैं जिनके तहत हमने लाखों गरीब परिवारों की रसोई तक रसोई गैस और हर गाँव के प्रत्येक घर में बिजली पहुचाई है।

10. हमारी उपलब्धि का केवल यह नहीं है कि2022 में जब हम अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता की75वीं वर्षगांठ मना रहे होंगे,तब भारत की पहली बुलेट ट्रेन का उद्घाटन करेंगे। इसका अर्थ यह सुनिश्चित करना भी है कि प्रत्येक भारतीय परिवार,भले ही वह कितना भी वंचित क्यों न हो, 2022तक अपने स्वयं के घर में रह रहा हो। हमारी उद्यमिता का आशय केवल ऐसे दवा उद्योग का निर्माण करना भर नहीं है,जो कम लागत, उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं और टीकों का सबसे बड़ा निर्माता हो, बल्कि भारत हो या कोई अन्य देश, इन उत्पादों का उपयोग अपेक्षाकृत गरीब वर्गों के लोगों तक भी स्वास्थ्य चर्या सुलभ कराने के लिए हो।

11. कुछ महीने पहले,भारत सरकार ने दुनिया में अपनी किस्‍म का सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम‘आयुष्मान भारत’आरम्भ किया। यह वंचित और गरीब परिवारों के लाभ के लिए गुणवत्ता के प्रति सजग और लागत प्रभावी हमारे फार्मा उद्योग, अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं की अवसंरचनाओं के सदुपयोग का एक प्रयास है। मुझे जानकारी है कि केवल एक महीने पहले बोलिविया सरकार ने इसी तरह के दृष्टिकोण के साथ एक कार्यक्रम आरम्भ किया है। इस प्रयास में, भारत बोलिविया की सहायता और भागीदारी के लिए तत्पर है।

12. हमें यह याद रहना चाहिए कि सार्वजनिक स्वास्थ्य एक ऐसा मुद्दा था जिसे महात्मा गांधी अक्सर उठाया करते थे,और यह मुद्दा स्वतंत्रता और स्वाधीनता की उनकी अवधारणा का हिस्सा था। वह स्वच्छता के महत्व के बारे में बात करने वाले आधुनिक इतिहास के पहले राजनेताओं में से एक थे। इस प्रकार,उनकी 150वीं जयंती के वर्ष 2 अक्टूबर, 2019को उनके जन्मदिन पर, स्वच्छ भारत मिशन को पूरा करना,भारत की ओर से उनके प्रति सबसे अच्‍छी श्रद्धांजलि होगी। खुले में शौच की बरसों पुरानी प्रथा को समाप्त करने और आधुनिक स्वच्छता को आदत बनाने के उद्देश्य से पिछले पाँच वर्षों में‘स्वच्छ भारत’,सरकार द्वारा शुरू किया गया और लोगों द्वारा संचालित आंदोलन है। इस अभियान से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ मिलना आरम्भ भी हो गया है - साथ ही इसका योगदान स्त्री-पुरुष समानता और मानव गरिमा की रक्षा में भी है।

13. भारत में, ‘स्वच्छ भारत’ हमारे लिए बहुत बड़ा अनुभव रहा है। इसने महात्मा गांधी की ज्ञान गंगा को आईटी और डिजिटल प्रौद्योगिकियों, समकालीन प्रबंधन प्रथाओं और व्यवहार परिवर्तन के जन आंदोलन के साथ जोड़ दिया है। इसने दिखाया है कि सामाजिक क्षेत्र के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी कैसे उत्प्रेरक का कार्य कर सकती है। सितंबर2018 में,नई दिल्ली में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन में इस तरह के निष्कर्षों को साझा किया गया था। मुझे उस सम्मेलन का उद्घाटन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,जिसमें हमने बोलिविया के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल का भी स्वागत किया था।

देवियो और सज्जनो तथा प्रिय छात्रो,

14. आज की दुनिया उस दुनिया से बहुत अलग है,जिसमें महात्मा गांधी ने अपना जीवन जिया और काम किया। और फिर भी,गांधी जी 21वीं सदी की वैश्विक समस्याओं के लिए आज भी बहुत प्रासंगिक हैं। सातत्‍य,पारिस्थितिकी संवेदनशीलता और प्रकृति के साथ सामंजस्‍य में रहने की अपनी सलाह के रूप में,उन्होंने हमारे समय की कुछ चुनौतियों का अनुमान लगा लिया था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य गांधीवादी दर्शन का क्रियात्‍मक पक्ष हैं।

15. जलवायु परिवर्तन की कार्रवाई पर किसी भी चर्चा में महात्मा गांधी को याद करना बिलकुल स्वाभाविक है। अंतर्राष्ट्रीय संगठन के तौर पर, ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ जिसकी सह-संकल्‍पना भारत ने कीऔर जिसका मुख्यालय हमारे देश में है,में भी भारत की भूमिका में महात्मा गांधी की छाप देखी जा सकती है। बोलिविया के अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन परिवार का हिस्सा बनने पर हमें ख़ुशी है।

16. भारत के लिए,सौर और नवीकरणीय ऊर्जा केवल नारा भर नहीं है –बल्कि यह हमारी अटूट निष्‍ठा का प्रतीक है।हम ऐसी पहली बड़ी अर्थव्यवस्था हैं जो जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करते हुए और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता की मात्रा को कम करते हुए औद्योगीकरण के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। भारत ने 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 100 गीगावाट‘सौर ऊर्जा’होगी। हम उस लक्ष्य को न केवल प्राप्त करने के कगार पर हैं बल्कि हम इसे पार करने वाले हैं। बोलिविया का अपना सौर तथा स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रम इससे मेल खाता है।

देवियो और सज्जनो,

17. निष्‍कर्ष के रूप में कहें तो,गांधीवादी दर्शन के केन्‍द्र में जन-साधारण को रखा गया है। दर्शन,अपनी सभी विविधताओं तथा जैव विविधताओं के साथ सदियों से प्रकृति की गोद में बसने वाले आम नागरिकों,सामान्य परिवारों और स्वदेशी समुदायों के ज्ञान,संस्कृति, संसाधनों और जीवन पद्धतियों को संजोने और पोषित करने के साथ-साथ नवीकृत करने का दर्शन है। बोलिविया की तरह,हम भारत में स्वदेशी भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों के संरक्षण को बहुत महत्व देते हैं।

18. ऐसा ही एक उदाहरण योग है,जो भारत की ओर से दुनिया के लिए उपहार है और हर साल 21जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’के रूप में मनाया जाता है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सांताक्रूज सहित बोलिविया में और2017 में सुप्रसिद्ध लेक टिटिकाका में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम का आयोजन यादगार तरीके से किया गया। मेरे लिए, यह इस बात का प्रमाण है कि प्राचीन सभ्यताओं के उत्तराधिकारी के रूप में बोलिविया और भारत के लोग एक-दूसरे से किस प्रकार स्‍वाभाविक रूप से जुड़े हुए हैं।

19. किसी जन-केन्द्रित कार्य-नीति में आर्थिक परियोजनाओं और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए संवेदनशील और सकल्‍यवादी योजना अपनाई जाती है। हमें ऐसी परियोजनाओं को केवल उत्पादकता और बैलेंस शीट के संदर्भ में मापने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए सातत्‍य,और रोजगार तथा मूल्य सृजन की कसौटी पर उनका आकलन करने की है। व्यवसायिक पहल और निवेश से केवल लाभ अर्जित करने के बजाय आत्मज्ञान बढ़ाने और इसे संवारने का प्रयास होना चाहिए। ऐसी सोच अन्य देशों के साथ भारत की आर्थिक भागीदारी के केन्द्र में है - और यहां भी हम महात्मा गांधी के नक्शेकदम पर चलते हैं।

20. इसी भावना के साथ भारत,निश्चित रूप से इस सभागार में उपस्थित आप सभी के साथ-साथ बोलिविया के सभी लोगों और सरकार के समक्ष, आपकी अपनी विकास संबंधी प्राथमिकताओं के अनुसार आपके साथ बोलिविया के हित में और बोलिविया के युवाओं के भविष्‍य के ि‍लए भागीदारी करने के लिए हाथ बढ़ाता है। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार पुनः आप सब के साथ मुझे अपने विचार साझा करने का अवसर प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय को धन्यवाद देता हूं और भारत के लोगों की ओर से, आप सभी को शुभकामनाएं देता हूँ और बोलिविया के लोगों के उज्ज्वल और खुशहाल भविष्य की कामना करता हूं।

धन्यवाद।

मुचास ग्रेसियास।