भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में अभिभाषण
सूरत : 29.05.2018
1. वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के 49 वें दीक्षान्त समारोह के अवसर पर आपके बीच आकर मुझे प्रसन्नता हुई है।
2. इस विश्वविद्यालय के साथ उन्नीसवीं सदी के महान रचनाकार नर्मदाशंकर लालशंकर दवे अर्थात् कवि नर्मद का नाम जुड़ा हुआ है। उनकी गिनती गुजराती भाषा के पुरोधाओं में की जाती है। वे कवि, लेखक, चिंतक, भविष्यदृष्टा और कोशकार थे। इन सबसे बढ़कर वे एक समाज-सुधारक थे।महिला-कल्याण, विधवा-विवाह और राष्ट्र-उत्थान के लिए उन्होंने जीवन-भर संघर्ष किया। ‘गरवी गुजरात’ गीत लिखकर उन्होंने गुजरात को एक विशेष पहचान दी और एक प्रदेश के रूप में उसकी रूप-रेखा सामने रखी। वे मूलत: कवि थे लेकिन गद्य में लिखी उनकी आत्मकथा ‘मेरी हक़ीक़त’ गुजराती भाषा की पहली आत्मकथा मानी जाती है। कवि नर्मद की आत्मीयता गुजराती से थी लेकिन उनकी सोच राष्ट्रीय थी। उनकी स्मृति को नमन करते हुए आज मुझे प्रसन्नता हो रही है।
3. मुझे प्रसन्नता इसलिए भी है कि मैं आज गुजरात की उस धरती पर आया हूं जिसने देश को महर्षि दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी, सरदार पटेल जैसी महान विभूतियां दी हैं। इसी प्रदेश ने देश को मोरारजी भाई देसाई और नरेन्द्र मोदी जैसे कर्मठ प्रधानमंत्री दिए हैं। इन सभी ने कठिन समय में देश का मार्ग-दर्शन किया है। सही मायने में गुजरात के बिना भारत की विकास-गाथा अधूरी है।
4. दक्षिण गुजरात का यह क्षेत्र, गुजरात का economic engine है और सूरत शहर का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। टेक्सटाइल्स और हीरा उद्योग इस नगर की विशेष पहचान है। मुझे बताया गया है कि दुनिया भर के 90 प्रतिशत से अधिक हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग सूरत में होती है। यह एक ऐतिहासिक नगर भी है। कहा जाता है कि इस का नाम पहले ‘सूर्यपुर’ था और एक व्यापारिक नगर के तौर पर इसका उल्लेख चीनी यात्री ‘ह्वेन सांग’ ने भी किया है। पिछले कुछ दशकों में इसकी तीव्र प्रगति आश्चर्य-चकित करने वाली रही है। आज यह एक अंतर-राष्ट्रीय नगर बन गया है।
देवियो और सज्जनो,
5. वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, गुजरात के औद्योगिक नगर सूरत में स्थित है। यहां पर काम करने के लिए दूर-दूर के प्रदेशों से लोग आते हैं। यहां उन्हें रोज़गार मिलता है और वे भारत का भविष्य संवारने के लिए काम करते हैं। इसीलिए इस नगर को ‘मिनी इंडिया’ भी कहा जाता है। ऐसे नगर में स्थित होने से इस संस्थान की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। देश के युवाओं को राष्ट्र-निर्माण के लिए तैयार करने में उच्च शिक्षा और नवाचार-चिंतन का विशेष स्थान है। शिक्षा का उद्देश्य जीवन-निर्माण के अलावा विद्यार्थी के अंदर विचार और कर्म की स्वतंत्रता का पोषण करना है। और दूसरों के कल्याण एवं उनकी भावनाओं को सम्मान देने का भी है। हमें ऐसे ही विद्यार्थी तैयार करने चाहिए। इन्हीं से देश आगे बढ़ेगा। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय के कार्य-क्षेत्र में आदिवासी बेटे-बेटियों की जनसंख्या काफी बड़ी है। विश्वविद्यालय इन वर्गों के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
6. विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य ‘सत्यम्, ज्ञानम्, अनंतम्’ बहुत सामयिक है। संभवत: इसके पीछे गांधी जी की ‘सत्य’ के प्रति, वीर नर्मद की ‘ज्ञान’ के प्रति और महर्षि दयानन्द की ‘अनन्त’ के प्रति निष्ठा की प्रेरणा रही होगी। मुझे बताया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से इस विश्वविद्यालय को ‘ए’ ग्रेड प्राप्त हुआ है। इससे संस्था की शैक्षिक उपलब्धियों का प्रमाण मिलता है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल-कूद भी आवश्यक हैं। मैंने गौर किया है कि विश्वविद्यालय के कई विद्यार्थियों ने अंतर-राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में उच्च स्थान प्राप्त किए हैं।
7. मुझे यह जानकर विशेष खुशी हुई है कि इस विश्वविद्यालय के एक लाख इकतालीस हजार विद्यार्थियों में से बेटियों की संख्या लगभग 82 हजार है जो विद्यार्थियों की कुल संख्या के आधे से काफी अधिक है। आज पदक और पुरस्कार प्राप्त करने वालों में भी बेटियों की संख्या बहुत अच्छी है। आज दिए गए 82 पदकों में से बेटियों ने 62 पदक जीते हैं और 71 पुरस्कारों में से 54 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय और इन विद्यार्थियों के माता-पिता बधाई के पात्र हैं। बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं। यह देश के लिए शुभ लक्षण है।
8. जिन विद्यार्थियों को पदक और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, वे सभी बधाई के पात्र हैं। जो उपलब्धियां उन्होंने प्राप्त की हैं, उनमें शिक्षकों की मेहनत के साथ-साथ उनके माता-पिता और समाज का भी योगदान है। मैं उन सभी विद्यार्थियों को भी शुभ-कामनाएं देता हूं जिन्होंने आज स्नातक, स्नातकोत्तर और पी-एच.डी. की उपाधियां प्राप्त की हैं और विश्वविद्यालयी शिक्षा के रूप में अपने जीवन का एक पड़ाव पार किया है। इसके आगे वे जीवन के एक नए क्षेत्र में प्रवेश करने जा रहे हैं। नई-नई चुनौतियां और नए-नए अवसर उनके सामने आने वाले हैं। अवसरों का सदुपयोग करते हुए समाज और देश के विकास का लक्ष्य रखकर उन्हें आगे बढ़ना होगा।
देवियो और सज्जनो,
9. राज्यपाल श्री ओम प्रकाश कोहली जी स्वयं एक शिक्षाविद् हैं और 35 वर्ष से अधिक समय तक दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं। उनके अनुभवों का लाभ प्रदेश को प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री के तौर पर देश और प्रदेश की प्रगति में श्री विजयभाई रूपानी महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं।
10. इस विश्वविद्यालय के विकास में नागरिकों और उद्यमियों ने भरपूर योगदान किया है। सूरत के साथ वीर नर्मद विश्वविद्यालय का संयोग यह आशा जगाता है कि अपनी चमक से सूरत इस संस्थान को प्रेरित करेगा और यह संस्थान सूरत शहर को प्रेरित करेगा। इसी मंगल कामना के साथ मैं वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, अन्य कार्मिकों और विद्यार्थियों को बधाई देता हूं और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभ-कामना करता हूं।