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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित खेल पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर सम्बोधन

राष्ट्रपति भवन : 29.08.2020

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1. सभी पुरस्कार विजेताओं को मेरी हार्दिक बधाई! मेजर ध्यानचंद, खिलाड़ियों के साथ-साथ अन्य सभी देशवासियों के लिए भी एक आदर्श हैं। साधारण परिवेश तथा सुविधाओं के बीच उन्होंने अपनी निष्ठा व कौशल से हॉकी के मैदान में असाधारण उपलब्धियां हासिल कीं। अपनी सफलताओं से उन्होंने विश्व समुदाय में भारत का गौरव बढ़ाया। इसलिए हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जन्म-तिथि के दिन प्रतिवर्ष खेल दिवस का आयोजन करने की परंपरा सराहनीय है।

2. कहा जाता है कि 1930 के दशक के यूरोप में, महात्मा गांधी के बाद मेजर ध्यानचंद सबसे अधिक चर्चित भारतीय थे। मेजर ध्यानचंद से लेकर आज के पुरस्कार विजेताओं और प्रशिक्षकों के विषय में एक बात समान रूप से कही जा सकती है। आप सबके प्रयासों के बल पर विश्व पटल पर भारत का गौरव बढ़ता रहा है। आप सबने अपने प्रदर्शन से, सभी भारतवासियों को, सामूहिक सफलता के अहसास के अविस्मरणीय क्षण प्रदान किए हैं। जब आप जैसे खिलाड़ी, विश्व के किसी भी कोने में आयोजित खेल प्रतियोगिता में विजय प्राप्त करने के बाद, स्टेडियम में तिरंगा लेकर उल्लास के साथ दौड़ते हैं तब वह दृश्य देखकर सभी भारतवासी गर्व और खुशी से भर जाते हैं। जब आपकी सफलता के परिणाम-स्वरूप राष्ट्रगान की धुन बजती है तब सभी देशवासी एकजुट होकर आपकी सफलता का उत्सव मनाते हैं। देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में रहने वाले खिलाड़ी के विजय का जश्न केरल और लक्षद्वीप तक मनाया जाता है। जब तमिलनाडु का खिलाड़ी पदक जीतता है तो लद्दाख तक सभी देशवासियों में खुशी की लहर दौड़ जाती है। खेल और खिलाड़ी हमारे देशवासियों में एकजुटता की भावना को मजबूत बनाते हैं।

3. आप सभी खिलाड़ियों के पुरस्कार पाने के विषय में और आपकी सफलता के बारे में बहुत से लोग जान जाते हैं। लेकिन, बहुत कम लोग उस परिश्रम, संघर्ष तथा आशा-निराशा के अच्छे-बुरे अनुभवों को समझ पाते हैं जिनसे गुजरते हुए आप सबने, आपके प्रशिक्षकों, परिवार-जनों और शुभचिंतकों ने अपनी मंजिल पाई है। आप सबने यह सिद्ध किया है कि इच्छा, लगन और मेहनत के बल पर सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है। यही खेल-कूद की सबसे बड़ी विशेषता है, यही अच्छे खिलाड़ी का आदर्श है। आज का यह पुरस्कार समारोह, कड़ी मेहनत और समर्पण से प्राप्त की गई आप सबकी सफलता का उत्सव है। मुझे आप सबको सम्मानित करके बहुत प्रसन्नता हुई है।

4. देश के विभिन्न हिस्सों, सुदूर कस्बों और गांवों से अपनी खेल यात्रा शुरू करने वाले आज के ये पुरस्कार विजेता यह साबित करते हैं कि हमारे देश में खेल-कूद की असीम प्रतिभा और संभावनाएं मौजूद हैं।

5. इस बार पुरस्कार विजेताओं का चयन पारंपरिक सोच से अलग हटकर किया गया है और कई बदलाव किए गए हैं। मुझे इस बात की विशेष प्रसन्नता है कि पुरस्कारों की विभिन्न श्रेणियों में महिला खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व है। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि खेल-रत्न पुरस्कार पाने वाले पांच खिलाड़ियों में तीन बेटियां – मनिका बत्रा, विनेश और रानी तथा एक पैरा-एथलीट शामिल हैं। पैरा-स्पोर्ट्स के क्षेत्र में खेल-रत्न मरियप्पन जैसे खिलाड़ियों ने विगत कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में हमारी साख बढ़ाई है।

6. मुझे यह देखकर खुशी हुई है कि हमारे देश में खेल-कूद के क्षेत्र में विविधता बढ़ी है तथा कई खेलों के राष्ट्रीय विजेता विश्व-स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। आज के पुरस्कार विजेता 20 से अधिक खेलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे पारंपरिक खेलों - कबड्डी, खो-खो और मल्लखंब की बढ़ती लोकप्रियता जन-सामान्य को खेलों से जोड़ने में सहायक होगी। आज क्रिकेट और फुटबॉल के अलावा वॉलीबॉल और कबड्डी जैसे खेलों के लीग टूर्नामेंट लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं। यह एक सुखद बदलाव है।

7. समर्पित और प्रतिबद्ध प्रशिक्षकों का खिलाड़ियों की सफलता में निर्णायक योगदान होता है। प्रशिक्षक ही खिलाड़ियों की मानसिक और शारीरिक क्षमताओं को निखार कर विजेता खिलाड़ी का निर्माण करते हैं। ऐसे प्रशिक्षकों को सम्मानित करने के लिए दिए गए ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ के सभी विजेताओं को मैं विशेष बधाई देता हूं। ऐसे उत्कृष्ट और प्रेरक प्रशिक्षकों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बड़ी संख्या में प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण करना उपयोगी सिद्ध होगा। इसी प्रकार खेल के प्रति आजीवन समर्पण व योगदान के लिए ‘ध्यानचंद पुरस्कार’ से सम्मानित सभी विजेता भी विशेष बधाई के हकदार हैं।

8. हमें यह भी ध्यान रखना है कि खेलों में उत्कृष्टता और उपलब्धियां केवल सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है। हर वर्ग तथा क्षेत्र के लोगों की भागीदारी से ही खेल की संस्कृति को बढ़ावा मिल सकता है। खेलों में निवेश राष्ट्र-निर्माण की दिशा में एक सामूहिक प्रयास है जिससे समाज मजबूत होता है और आगे बढ़ता है। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि अनेक कॉरपोरेट्स, एनजीओ तथा शिक्षण संस्थान इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। मुझे आशा है कि इस दिशा में, उनकी भागीदारी और बढ़ेगी। आज के ‘राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार’ विजेता संस्थानों से प्रेरणा लेकर अन्य संस्थान भी खेल-कूद को प्रोत्साहन देने में अपनी भूमिका निभाएंगे।

9. यह अच्छी बात है कि स्पोर्ट्स और फिटनेस अब युवाओं की सोच और दिनचर्या का हिस्सा बन रहे हैं। साथ ही, माता-पिता-अभिभावक तथा शिक्षक भी खेल-कूद के प्रति अपना नजरिया बदल रहे हैं। अब वे खेल-कूद को व्यक्तित्व और प्रतिभा के विकास में सहायक मानने लगे हैं। ‘जो खेलेगा, वो खिलेगा’, इस विचार का प्रभाव अब व्यापक हो रहा है। यह भारत को स्वस्थ और समृद्ध बनाने की दिशा में अच्छा बदलाव है। हमारे युवा ही हमारी सबसे बहुमूल्य संपत्ति हैं। फिटनेस और स्पोर्ट्स में उनकी रुचि और सक्रियता हमारे डेमोग्राफिक डिविडेंड को बढ़ाएगी।

10. खेल-कूद के मैदान में जीवन का प्रतिबिंब दिखाई देता है। प्रतियोगिता, टीम-वर्क, जीत-हार, संघर्ष व संकल्प, ये सभी जीवन के ही आयाम हैं। खेल-कूद से न केवल शरीर और चरित्र का निर्माण होता है, बल्कि जीवन में विकास के मार्ग प्रशस्त होते हैं। खेल-कूद के जरिए हमारे देश के दूर दराज के क्षेत्रों के युवा राष्ट्रीय मुख्यधारा से जुड़ते हैं। युवाओं को खेल-कूद से जोड़ना उन्हें राष्ट्र-निर्माण से जोड़ने का ही एक विशेष रूप है।

11. कोविड-19 के कारण खेल जगत पर भी बहुत अधिक असर पड़ा है। पहली बार ओलम्पिक खेल स्थगित किए गए हैं। हमारे देश में भी खेल-कूद की सभी गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। अभ्यास तथा प्रतियोगिताओं के रुकने से खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों का हौसला कम हो सकता है। उनकी मानसिक और शारीरिक तैयारी के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि यथासंभव ऑनलाइन कोचिंग और वेबिनार के जरिए खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को जोड़ा गया है। खेल मंत्रालय तथा अन्य संस्थानों ने प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों के साथ संपर्क और सक्रियता बनाए रखी है। आज का यह आयोजन, वैश्विक महामारी के बावजूद, खेल-कूद से जुड़ी गतिविधियों को जारी रखने का प्रयास है।


आप सबने वर्षों की मेहनत, लगन और साहस के बल पर अपनी खास पहचान बनाई है। कोविड का यह दौर आप सबके तथा अन्य खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के साहस और धीरज के इम्तिहान की घड़ी है। मुझे विश्वास है कि खेल जगत के लोग और भी अधिक मानसिक शक्ति के साथ इस परीक्षा से बाहर आएंगे और उपलब्धियों के नए इतिहास रचेंगे।

12. मुझे विश्वास है कि सबकी भागीदारी के बल पर किए गए सामूहिक प्रयासों से भारत एक खेल महाशक्ति के रूप में उभरेगा। 2028 के ओलंपिक खेलों में Top Ten Podium Finisher Countries में रहने का हमारा लक्ष्य है। हम इस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे।

13. ऐसे लक्ष्यों व प्रयासों के लिए मैं श्री किरण रिजिजू के उत्साही नेतृत्व में कार्यरत पूरी टीम की सराहना करता हूं। आप सबके ये प्रयास केवल खेल-कूद के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि भारत की भावी पीढ़ी के विकास में तथा देश के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

14. मैं एक बार फिर आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों व संस्थानों को बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि आप सभी, देश के विभिन्न हिस्सों से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोज कर आगे बढ़ाने में योगदान करेंगे। मुझे विश्वास है कि आप सभी के सम्मिलित प्रयासों से विश्व के खेल-मानचित्र पर भारत को प्रभावशाली स्थान प्राप्त होगा।

धन्यवाद,

जय हिन्द!