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महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

नई दिल्ली : 29.09.2018

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1. आप सभी को नमस्कार और सुप्रभात, आपका हार्दिक स्‍वागत है।महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर यहां आ कर मुझे खुशी हुई है। इस सम्मेलन का समय, विषय और परिवेश समीचीन है। अब से चार दिनों के बाद 2 अक्टूबर को हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ करेंगे और यह सम्मेलन एक उपयुक्त प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम इस अभूतपूर्व महोत्सव का स्‍वागत करेंगे। महात्मा गांधी, स्वच्छता के सार्वभौमिक अधिकार के आरंभिक प्रतिपादक थे। वे मानते थे कि हमारी साझी पृथ्‍वी पर रहने वालों की मानवीय स्‍वतंत्रता और गरिमा के प्रयास में यह अधिकार आवश्‍यक है।

2. हम भारतीयों के लिए महात्मा गांधी एक नैतिक प्रतिमान, एक आदर्श और मार्गदर्शक बने हुए हैं और हमेशा बने रहेंगे। हमारे मन-मस्तिष्क में बसे उनके सिद्धांतों को लेकर ही भारत सरकार ने 2 अक्टूबर, 2014 को भारत की आधुनिक स्वच्छता प्रणालियों को संस्थागत बनाने और भारत में खुले में शौच की बुराई को समाप्‍त करने के लिए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ आरंभ किया था। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले चार वर्षों में गांधीजी की परंपराओं और शिक्षाओं के अनुकूल, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी से स्वच्छ भारत एक जन आंदोलन बन चुका है।

3. बहुत से लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि स्वच्छता जैसे मुद्दे से गांधीजी का क्या लेना-देना था। उन्होंने साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद से भारत और सच कहूं तो दक्षिण एशिया की स्वतंत्रता और स्वाधीनता के लिए, अधिकांशत: शांतिपूर्ण और अहिंसक संघर्ष का नेतृत्व किया। वे एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के अन्य समाजों और राष्ट्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत थे क्योंकि वे भी औपनिवेशिक उत्पीड़न से मुक्ति प्राप्‍त करने और स्‍वयं अपने भाग्य के निर्माता के रूप में अपने पैरों पर खड़े होने के लिए लड़ रहे थे।

4. उनके जाने के दशकों बाद, महात्मा गांधी आज भी उन समाजों के लिए जहां वे रहे और उन समाजों के लिए जिन्‍होंने उन्हें प्रशंसनीय भाव से देखा है और उन समाजों में भी जिन्‍होंने उस समय उनका विरोध किया होगा, आशा का प्रतीक बने हुए हैं। चाहे जातीय या नस्लीय समानता की बात हो यादुनिया के किसी भी हिस्‍से में रहने वाले सामान्य पुरुषों और महिलाओं के लिए नागरिक स्वतंत्रता का संघर्ष हो, महात्मा गांधी हमेशा मानव सभ्यता का बीज मंत्र बने रहेंगे।

5. तथापि, गांधीजी के लिए राजनीतिक स्‍वाधीनता और स्‍वशासन, मानव स्वतंत्रता के अपेक्षाकृत व्‍यापक उपक्रम का हिस्‍सा थे। उनके लिए प्रत्येक मानव जीवन, प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा सर्वोपरि थी। उन्होंने न केवल स्वतंत्र भारत के लिए बल्कि एक बेहतर और न्यायपूर्ण भारत तथा एक बेहतर और न्यायपूर्ण विश्व के लिए संघर्ष किया। अपने अनुभूतिक्षम तरीके से, उन्‍होंने स्वच्छता तथा स्वतंत्रता एवं गरिमा की व्यापक संकल्पना के बीच शुरुआती संबंध महसूस कर लिया था। 1925 में, नवजीवन अखबार में, जिसका वे संपादन किया करते थे, लिखते हुए गांधीजी ने कहा था, ‘शौचालय भी, ड्राइंग रूम की तरह ही स्वच्छ होना चाहिए....। हमारी बहुत सी बीमारियों का कारण हमारे शौचालय की खराब हालत और कहीं भी और हर जगह मल फेंकने की बुरी आदत है। इसलिए, मैं मानता हूं कि शौच के लिए स्वच्छ स्थान और उस समय प्रयोग के लिए स्वच्छ वस्तुओं की परम आवश्यकता है।’

6. 12 वर्ष बाद, 1937 में, हमारे देश के पूर्वी भाग, जोवर्तमान में पश्चिम बंगाल के नाम से जाना जाता है, के एक गांव में रहने वाले एक भारतीय ने गांधी जी को पत्र लिखा। उसने गांधी जी से पूछा कि ‘‘आदर्श ग्राम की’’ उनकी परिभाषा क्‍या है। उनका उत्‍तर एकदम स्‍पष्‍ट था। गांधीजी ने अपने उत्तर में लिखा कि ‘आदर्श ग्राम’ का निर्माण इस प्रकार किया जाए कि उसमें पूर्ण स्‍वच्‍छता रह सके… गांव के कार्यकर्ता के सुलझाने के लिए सबसे पहली समस्या स्वच्छता की होगी।’

7. स्वच्छता सुविधाओं की नित्‍य उपलब्‍धता के संदर्भ में मानव स्वतंत्रता को महत्व देने का काम कोई दूरदर्शी और जागरुक व्यक्ति ही कर सकता है। सभी को स्वच्छता उपलब्ध करवाने की बात राजनीति और राजनीतिक सक्रियता के दायरे में लाने का काम कोई दूरदर्शी जागरूक व्यक्ति ही कर सकता है। महात्मा गांधी ऐसे ही दूरदर्शी और जागरुक व्यक्ति थे। हम सभी भाग्यशाली हैं कि हमारे पास उनकी महिमामयी विरासत है।

देवियो और सज्जनो,

8. तीन वर्ष पहले, सितंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के 193 सदस्य राष्ट्रों ने हमारी दुनिया को बदलने का संकल्प लिया। उन्होंने सतत विकास के लिए 2030 की कार्यसूची को सर्वसम्मति से अंगीकार किया।2030 की कार्यसूची हमारे लोगों, हमारी धरती और हमारी सामूहिक समृद्धि के लिए कार्रवाई का आह्वान है। इस धरती के राष्ट्रों ने ‘हर तरह की गरीबी को समाप्त करने’, विश्व को एक ‘सतत् और समुत्‍थानशील पथ’ पर अग्रसर करने और यह सुनिश्चित करने कि‘कोई भी व्‍यक्ति छूट न जाए’के प्रति वचनबद्धता जताई है। यह वादा कि ‘कोई भी छूटने न दिया जाएगा’, विशेषकर स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने और इन सेवाओं के मामले में असमानता दूर करने के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

9. 2030 तक पर्याप्त और समान स्वच्छता एवं साफ-सफाई तक सभी की पहुंच का लक्ष्‍य साधना, दुनिया के अनेक हिस्सों के लिए एक बड़ी चुनौती है। पेयजल, स्वच्छता और साफ-सफाई सतत विकास लक्ष्य 6, विशेषकर लक्ष्‍य संख्‍या 6.1 6.2 और 6.3 के लिए अत्‍यावश्‍य हैं। सतत विकास लक्ष्य 3 की परिकल्‍पना के अनुसार, ये सुविधाएं हमारे लोगों के स्वास्थ्य और सेहत के लिए भी बहुत जरूरी हैं।

10. सतत विकास लक्ष्यों के उद्देश्‍य 6.2 में, देशों को खुले में शौच से मु‍क्‍त बनाने,बुनियादी शौचालय तक प्रत्येक व्‍यक्ति की पहुंच सुनिश्चित करने और मल के सुरक्षित प्रबंधन की प्रणालियों की स्थापना करना जरूरी कहा गया है। उद्देश्‍य 6.2 में भी स्वच्छता के महत्व पर बल दिया गया है और इसमें महिलाओं और बालिकाओं की आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया गया है।

11. स्वच्छता तक पहुंच में सुधार करने और खुले में शौच को समाप्त करने की चुनौतियां बहुत मुश्किल हैं। इनमें व्‍यापक तौर पर सामाजिक और आर्थिक निवेश किया जाना होता है। मुझे बताया गया है कि विशेष रूप से शौच करने के बाद अपने हाथों को साबुन से धोने से डायरिया संबंधी बीमारियों में 40% की और श्‍वसन संक्रमण में 30% तक की कमी लाई जा सकती है। यह उल्लेखनीय है कि भारत में बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या में मृत्यु का कारण डायरिया और श्‍वसन संक्रमण ही होता है।

12. और अक्सर होने वाले डायरिया के हमलों से बच जाने के बावजूद बच्‍चे कुपोषण और निमोनिया जैसे संक्रमण के प्रति असुरक्षित हो जाते हैं। कुपोषण के परिणामस्वरूप विद्यालयों में बच्‍चे का मानसिक विकास और शिक्षा प्रभावित होती है। वर्षों बाद, नौकरियों और रोजगार की संभावनाओं पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है। स्पष्ट है कि उपयुक्‍त शौचालय और समुचित साफ-सफाई और स्वच्छता की आदत के अभाव में जीवन भर नुकसान झेलना पड़ सकता है। इसलिए किसी भी देश की तरह, भारत में भी हमारी मानव पूंजी और हमारे जन सांख्यिकीय लाभ को सुरक्षित बनाने और हमारे बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए ‘स्वच्छ भारत’ जैसा अभियान बहुत महत्‍वपूर्ण है।

13. बालिकाओं और महिलाओं के मामले में हालात और ज्‍यादा खराब हैं। घरों में, कार्य स्थलों पर और संभवत: सबसे जरूरी स्कूलों में शौचालय सुविधाओं के अभाव में हमारी बेटियों पर अस्वीकार्य भार आ जाता है। स्‍वच्‍छ शौचालय जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की तलाश में व्यक्तिगत गरिमा और शारीरिक सुरक्षा के जोखिमों के अलावा स्वास्थ्य समस्याएं भी खड़ी हो जाती हैं। बालिकाओं के लिए शौचालय उपलब्ध न होने के कारण किसी भी बालिका को विद्यालय छोड़ना पड़े, ऐसी स्थिति नहीं आने देनी चाहिए।

14. ऐसी घटनाएं हमारी सामूहिक चेतना पर एक दाग होंगी। यदि हमने ऐसे अन्याय को दूर करने के भरसक प्रयास नहीं किऐ तो गांधीजी हमें कभी माफ नहीं करेंगे। इसीलिए इस प्रकार की स्थिति और ऐसी समस्याओं को स्वच्छ भारत अभियान और इसके जमीनी कार्यकर्ता, चाहे वे लाखों समर्पित स्वच्छताकर्मी हों, करोड़ों आत्‍मप्रेरित स्वयं सेवक हों या वरिष्ठ सरकारी अधिकारी हों, दूर करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। स्वच्छता को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने के लिए मैं प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार की सराहना करता हूं।

15. स्वच्छ भारत का वास्तविक अर्थ है साफ-सुथरा भारत। अपनी प्रचालन शुरुआत के चार वर्षों में, स्वच्छ भारत अभियान और अधिक कुशल अपशिष्ट प्रबंधन, अधिक स्‍वच्‍छ सार्वजनिक और निजी स्थानों, बेहतर स्वच्छता, सभी के द्वारा शौचालयों का प्रयोग आदि के साथ स्वच्छ भारत के निर्माण का प्रयास किया है। ऐसा होते हुए भी, इतना ही नहीं स्वच्छ भारत का अर्थ केवल शारीरिक साफ-सफाई ही नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक स्वच्छता और पुनर्जागरण भी है। जब यह अभियान पूरा हो जाएगा तो यह भारत के 1.3 अरब लोगों, जो दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा हैं, में से प्रत्येक के लिए परिवर्तनकारी प्रगति का अवसर उपलब्‍ध कराएगा। स्‍वच्‍छ भारत अभियान, संकेंद्रित स्वच्छता प्रयास तथा व्यापक सतत विकास लक्ष्यअनेक पीढ़ियों में घटित होने वाली अपूर्व घटना है। हम उसी चुनिंदा पीढ़ी का हिस्‍सा हैं।

16. विगत 4 वर्षों के अथक और कड़े परिश्रम से भारत ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।2014 में स्वच्छ भारत की शुरुआत के समय स्वच्छता के दायरे में 39 प्रतिशत लोग शामिल थे। आज यह आंकड़ा लगभग 95% तक पहुंच गया है। मुझे बताया गया है कि आज सुबह तक भारत के 699 जिलों में से 503 को ‘खुले में शौच से मुक्त’ घोषित कर दिया गया है; भारत के 4041 शहरी स्थानीय निकायों में से 3622 को ‘खुले में शौच से मुक्त’ घोषित किया जा चुका है और 4,87, 445 गांवों को ‘खुले में शौच से मुक्त’ घोषित कर दिया गया है। लगभग आठ करोड़ पचास लाख ग्रामीण परिवारों और साठ लाख शहरी परिवारों ने पहली बार शौचालय का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। स्वच्छ भारत ने खुले में शौच की कष्‍टकारी स्थिति से निकलने में उनकी मदद की है।

17. संकल्प,दृढ़-निश्चय और असाधारण तात्कालिकता की भावना से भारत इस क्षेत्र में अग्रसर हुआ है। स्वच्छ भारत, हकारी आंखों के सामने घटित हो रही क्रांतिकारी घटना है। सामूहिक एकजुटता के साधन के रूप में, एक जन आंदोलन के रूप में और एक राष्ट्रीय लक्ष्य जिसके लिए लगभग पूरी प्रतिबद्धता दिखाई दे रही है, स्वच्छ भारत मेरे लिए हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की भावना का प्रतिबिंब है। मेरी सोच यह है कि आज महात्मा गांधी को इस अभियान के सच्चे नायकों के तौर पर करोड़ों साधारण पुरुषों और महिलाओं पर गर्व हो रहा होगा। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि उनका आशीर्वाद हमारे साथ है और भारत 2 अक्टूबर 2019 तक पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। गांधीजी के 150वें जन्मदिन पर उन्‍हें भेंट किया जा सकने वाला यह सर्वोत्तम उपहार होगा।

देवियो और सज्जनो,

18. स्वच्छ भारत अभियान की रूपरेखा, विश्व के प्रमुख स्वच्छता विशेषज्ञों जिनमें से कुछ इस कक्ष में है और इस मंच पर भी आसीन हैं, द्वारा बनाई गई है। इसकी पटकथा असाधारण विशेषता वाले साधारण भारतीयों, अप्रतिम रूप से साहसी, दूरदर्शी, सामाजिक समानुभूति और नागरिक गौरव से युक्‍त पुरुषों और महिलाओं द्वारा मिलकर लिखी गई है। व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उन्होंने अपने आस-पड़ोस, अपने गांवों और अपने शहरों और नगरों को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए कार्य किया है। उन्‍होंने धीरे-धीरे दिन-प्रति-दिन प्रयास करके,व्यक्ति-दर-व्‍यक्ति,परिवार-दर-परिवार आगे बढ़ते हुए आम नागरिकों से अपना व्यवहार बदलने का आग्रह किया है। हमारे स्वच्छता आग्रही देश के सभी हिस्सों, समाज के सभी वर्गों, सभी समुदायों और सभी सामाजिक और आर्थिक समूहों से ताल्‍लुक रखते हैं। मुझे 2017 में कानपुर में ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के उद्घाटन के दौरान उनमें से कुछ से मिलने और उन्‍हें सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। मैंने तब महसूस किया था कि इस कार्यक्रम ने जमीनी स्तर के करोड़ों कार्यकर्ताओं को तैयार किया है। महात्मा गांधी ने हमारे देश को ‘सत्याग्रही’ दिए और स्वच्छ भारत ने हमें ‘स्वच्छाग्रही’ दिए हैं।

19. हमारे स्वच्छाग्रही एक उल्लेखनीय विरासत का निर्माण कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के नवीनतम अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि स्वच्छ भारत ने अपनी कार्यक्रम अवधि के दौरान ही 300000 लोगों का जीवन बचाया होगा। दीर्घकाल में इससे प्रति वर्ष 150000 लोगों का जीवन बचेगा। गिनती के सामाजिक निवेश ही इतने लाभकारी रहे हैं। स्‍वच्‍छ भारत अभियान का लागत-लाभ विश्‍लेषण करने वाले ‘यूनिसेफ’ के अनुसार, स्वच्छता सुधार में निवेश किएगए प्रत्येक रुपए पर अंतत: भारतीय परिवारों और भारतीय समाज को 4 और 5 रुपये की बीच बचत होगी।

मित्रो,

20. गांधीजी की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी थी कि वे उत्‍साही राष्ट्रवादी और अंतरराष्ट्रीयतावादी दोनों थे। भारत के राष्ट्रपति के रूप में विदेश की अपनी यात्राओं के दौरान, मैं विभिन्न देशों के लोगों की उनके प्रति अभिव्यक्त भावनाओं और सम्मान से भाव-विह्वल हुआ हूं। उनकी प्रतिमाएं और स्मारक आज भी निर्मित किए जा रहे हैं। महात्मा गांधी ने भारत की चिंता की और दुनिया की चिंता की। भारत के प्राचीन प्रज्ञा का अनुकरण करते हुए उन्होंने हमें दुनिया को एक परिवार के रूप में देखने और सभी की बेहतरी को हमारे सभी घरेलू और राष्ट्रीय प्रयासों का अंतिम लक्ष्य बनाने की शिक्षा दी। इसलिए ‘स्वच्छ भारत’ संयुक्त राष्ट्र में सतत विकास लक्ष्यों की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए भारत की आत्‍मा से निकली आवाज और प्रतिबद्धता है तथा उन साझेदार राष्ट्रों के लिए एक आदर्श है जिनके लिए हमारे अनुभव किसी भी प्रकार से लाभकारी हो सकते हैं।

21. स्वच्छ भारत अभियान में हासिल हमारी सफलताएं, स्वच्छता के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां, हमारी पद्धतियां और हमारी व्यवस्थाएं आप सभी के लिए और यहां उपस्थित सभी मित्र देशों के लिए और अन्य लोगों के लिए आपकी आवश्यकतानुसार प्रयोग के लिए उपलब्ध हैं।निष्कर्ष रूप में यही कहूंगा कि बेहतर स्वच्छता तक पहुंच किसी एक देश या अन्य देश के लिए कोई लक्ष्य याउद्देश्य नहीं है बल्कि यह मानवता का परस्पर जुड़ा साझा हुआ भविष्य है।

22. इस संबंध में और भारत में अपने अनुभव के आधार पर, मैं ऐसे पांच महत्वपूर्ण विषय सुझाना चाहूंगा जिन्‍हें अपर्याप्त स्वच्छता की समस्या से निपटने के दौरान कोई भी देश अंगीकार कर सकता है। हम इसे स्‍वच्‍छता का ‘पंचशील’ कह सकते हैं:

I. यह सुनिश्चित करें कि लोग स्‍वयं ही स्वच्छता कार्यक्रमों की योजना, कार्यान्वयन और प्रबंधन का नेतृत्व करें।

II. प्रभावी और कुशल सेवा संदाय के लिए स्मार्ट और किफायती प्रौद्योगिकियों का प्रयोग करें।

III. सेवा संदाय में सभी प्रकार की असमानताओं को दूर करें।

IV. स्वच्छता आंदोलन के वित्‍तपोषण, और सातत्‍य के लिए नवान्वेषी वित्तीय साधनों का सृजन करें।

V. स्वच्छता कार्यक्रमों की योजना, कार्यान्‍वयन और निगरानी के लिए सरकारके अंदर क्षमता का विकास करें।

23. आगामी चार दिन, समग्र स्वच्छता हासिल करने और प्रत्येक व्यक्ति में साफ- सफाई की आदत डालने के तरीकों पर परिचर्चा के दौरान इन पांच विषयों को ध्यान में रखें।इनसे हमें अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखने में मदद मिलेगी। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन के सत्रों और कार्यवाहियों से सतत विकास लक्ष्यों और विशेषकर सतत विकास लक्ष्य 6 को प्राप्त करने के हमारे संयुक्‍त संकल्प के लिए व्‍यवहार्य विचार और एक सशक्त वक्तव्य सामने आएगा। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन में शामिल आप सभी प्रतिनिधियों को, आपके कल्‍याणकारी और ऐतिहासिक अभियान के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

जय हिंद!