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118 हेलिकॉप्टर यूनिट को पताका और वायु रक्षा महाविद्यालय को ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

वायु सेना स्टेशन गुवाहाटी : 29.11.2018

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1. असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र की यात्रा से मुझे हमेशा खुशी होती है। मैं आज यहां वायुसेना स्टेशन गुवाहाटी पर 118 हेलिकॉप्टर यूनिट को पताका और वायु रक्षा महाविद्यालय को ध्वज प्रदान करने आने पर विशेष प्रसन्न हूं।

2. इन दोनों इकाइयों ने देश की उत्कृष्ट सेवा करते हुए खुद के लिए विशिष्ट स्थान पर अर्जित किया है। पेशेवर उत्कृष्टता का उनका समृद्ध इतिहास है और उन्होंने अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन विशिष्ट योग्यता के साथ किया है। प्रतिकूल परिस्थितियों में उनके निस्वार्थ सेवाभाव, पेशेवर रवैये और साहस-प्रदर्शन के लिए राष्ट्र आज उन्हें सम्मानित करता है।

3. मैं अभी वियतनाम और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा से लौटा हूं। मैंने इन दोनों देशों के नेताओं के साथ आपसी हित के विभिन्न क्षेत्रों जैसे प्रतिरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापार और संस्कृति पर चर्चा की। चर्चा से एक बात एकदम स्‍पष्‍ट सामने आई कि, दुनिया आज भारत को अलग नज़रिए से देखती है। भारत को एक प्रमुख शक्ति के रूप में देखा जाता है, और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापार एवं वाणिज्य तथा पर्यावरण संरक्षण के संबंध में वैश्विक प्रतिमान को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाने की उम्मीद भारत से की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भारत के उदय के कई आयाम हैं। और काफ़ी हद तक हमारे सशस्त्र बलों की क्षमताओं और शौर्य का प्रचुर योगदान इसमें हैं।

4. हालाँकि हम शांति के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं, फिर भी अपने राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा के लिए हम अपनी समस्‍त शक्तियों के उपयोग करने का पक्‍का इरादा रखते हैं। जब कभी ऐसा मौका आया है, हमारी सेना के जांबाज़ पुरुषों और महिलाओं ने यह सुनिश्चित किया है कि इन सुरक्षा चुनौतियों से हमारा राष्ट्र जबरदस्त और प्रभावी ढंग से निपट सके। हमारे सामने खड़े प्रथम पंक्ति के वायु वीरों द्वारा पेश किये गए उदाहरणों से हमारे सशस्त्र बल, राष्ट्र की रक्षा के हमारे दृढ़ संकल्प को प्रतिबिम्बित करते हैं।

5. भारतीय वायु सेना के प्रमुख हवाई अड्डों में से एक, वायु सेना स्टेशन गुवाहाटी में 118 हेलीकॉप्टर इकाई को पताका और वायु सेना महाविद्यालय को ध्वज प्रस्तुत करते हुए आज मुझे खुशी हो रही है।

6. 118 हेलीकॉप्टर इकाई या "चैलेंजर्स" का गठन चाबुआ में 22 नवंबर, 1971 को किया गया था और तब इसे एमआई-8 हेलीकॉप्‍टरों से लैस किया गया था। चाहे एमआई-8 हो या अजेय एमआई-17 हेलीकॉप्टर, इस यूनिट का प्रचालन रिकॉर्ड उल्लेखनीय रहा है। यूनिट ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता और राहत कार्यों में भी योगदान दिया है। यूनिट का आदर्श वाक्य है ‘आपत्सु मित्रम्’, जिसका अर्थ है – ‘संकट के समय मित्र’, जो वास्तव में उपयुक्त है। मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में "चैलेंजर्स" बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करते रहेंगे और एक अजेय बल के रूप में अपने प्रचालन जारी रखेंगे।

7. वायु रक्षा महाविद्यालय ने, पिछले 60 वर्षों में वायु रक्षा प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। महाविद्यालय न केवल भारतीय वायु सेना के अधिकारियों को बल्कि मित्र देशों की अनुषंगी सेवाओं और अधिकारियों को भी पेशेवर प्रशिक्षण प्रदान करता है। महाविद्यालय से प्रशिक्षित वायु वीरों ने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपनी स्थापना के बाद से ही, महाविद्यालय ने प्रशिक्षण के लिए भविष्‍योन्‍मुखी दृष्टिकोण अपनाते हुए स्वयं के लिए विशिष्ट स्‍थान बनाया है। महाविद्यालय अपने आदर्श वाक्य रक्षणेपुण्यश्स्‍य शिखामहे’ अर्थात् – ‘प्रतिरक्षा में उत्कृष्टता की शिक्षा के अनुरुप कार्य करता है’।

8. आपके उत्कृष्ट प्रदर्शन के सम्मान में, मैं 118 हेलीकॉप्टर इकाई को पताका और वायु सेना महाविद्यालय को ध्वज प्रदान कर रहा हूं। मैं राष्ट्र के प्रति समर्पण और सेवा के लिए, यूनिट के पूर्व और वर्तमान कार्मिकों और उनके परिवारों की सराहना करता हूं। अपने साहस और पेशेवर रवैये के लिए मशहूर भारतीय वायु सेना एक बेहतरीन बल है। हमारी सीमाओं और वायु क्षेत्र की रक्षा के प्रति आपकी निरंतर तत्परता से हर नागरिक निश्चिंत और सुरक्षित महसूस करता है। भारत को वास्तव में आप पर गर्व है।

जय हिन्द!