राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 134वें पाठ्यक्रम की पासिंग आउट परेड के निरीक्षण के अवसर पर, भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
खड़गवासला : 30.05.2018
1. मुझे, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 134वें पाठ्यक्रम की पासिंग आउट परेड के निरीक्षण के लिए आज सुबह यहां आकर प्रसन्नता हुई है। मैं, इस अनुशासित अभ्यास और उत्कृष्ट साज-सज्जा के लिए सभी कैडेट को बधाई देता हूं। यह एक सुंदर दृश्य है और यह दृश्य हमारे राष्ट्र की शान और गौरव को प्रतिबिंबित करता है। सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर होने के नाते, मेरे लिए यह अवसर परम संतुष्टिदायक रहा है। सशस्त्र बल पूरे देश के लिए उत्कृष्टता और समर्पण के प्रतीक हैं। इस परेड में भारत के सभी हिस्सों और विभिन्न समुदायों के कैडेट्स सम्मिलित हैं। इनके ताल-मेल से, एक समाज के रूप में हमारी मौलिक एकता और हमारे बहुलवाद का पता चलता है।
2. कोई वर्दीधारी सैनिक या अधिकारी चाहे व थलसेना, नौसेना या वायुसेना कहीं से भी हो, देश में हर जगह प्रशंसा और भरोसा जगाता है। यदि देश का कोई नागरिक रेलवे स्टेशन पर या बाजार में या किसी अन्य जगह पर सशस्त्र बलों के किसी सदस्य को देखता है, तो उसके मन में गर्व और सम्मान की भावना जाग्रत हो जाती है। युद्ध और शांति के समय या सीमा पर या देश के अंद प्राकृतिक आपदा के दौरान राष्ट्र के प्रति उनकी असाधारण और निर्विवाद सेवा के कारण उनके प्रति यह भाव मौजूद है। सशस्त्र बल भारतीय लोकाचार का सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व करते हैं। मुझे विश्वास है कि आज स्नातक बन रहे कैडेट्स ने इन मूल्यों को अपना लिया है।
3. भारत का राष्ट्रपति बनने के बाद से मेरा मजबूत जुड़ाव सशस्त्र सेनाओं के साथ रहा है। पद ग्रहण करने बाद, दिल्ली से बाहर मेरी पहली यात्रा, सुदूर सीमा पर तैनात बहादुर सैनिकों से मिलने के लिए लद्दाख की थी। उसके बाद, मैंने अनेक वायु सेना केन्द्र और नौसेना केन्द्र की यात्राएं की हैं। कुछ हफ्ते पहले मुझे सियाचिन ग्लेशियर जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वहां के मुश्किल हालात को महसूस करते हुए, वहां तैनात पराक्रमी सैनिकों और अधिकारियों के संकल्प और दृढ़ निश्चय को देखकर मुझे बहुत गर्व हुआ। मुस्कुराते हुए चेहरों और फौलादी संकल्प के साथ उन्होंने राष्ट्रीय झंडे को ऊंचा रखा हुआ है। यहां उपस्थित आप सभी लोग उस शानदार विरासत को आगे ले जाएंगे।
4. एनडीए सिर्फ एक प्रशिक्षण केन्द्र ही नहीं बल्कि इससे बढ़कर कुछ है। यह वीरता और बहादुरी की कड़ी परीक्षा है। परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, शौर्य चक्र जैसे वीरता पुरस्कार और अन्य सम्मान प्राप्त करने वाले पूर्व पास आउट कैडेट्स इसके प्रमाण हैं। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ने कैडेटों और अधिकारियों की अनेक पीढ़ियों में राष्ट्र सेवा का संकल्प और भाव संचारित किया है। अपनी इसी परंपरा की वजह से दिसंबर 1978 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने एनडीए को राष्ट्रपति के ध्वज से सम्मानित किया था।
5. कैडेट्स, आज क्वार्टरडेक से बाहर कदम रखते हुए याद रखें कि आप अपने माता-पिता और परिजनों के प्रति ऋणी हैं जिन्होंने आपका साथ देने के लिए इनता अधिक त्याग किया है। अपनी व्यवसायिक मान्यताओं के लिए आप राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के भी ऋणी हैं जिन्होंने आपको नेतृत्वकारी भूमिका के लिए तैयार किया है। विशेष रूप से सियाचिन, जम्मू और कश्मीर तथा पूर्वोत्तर में सैन्य अभियानों के दौरान अपना कर्तव्य निभाने वाले अनुभवी दिवंगत सूबेदार मेजर राजीव कुमार राय को याद करें जो राष्ट्रीय रक्षा अमादमी के सूबेदार मेजर ड्रिल थे और जिन्होंने आपको इस समारोह के लिए प्रशिक्षण दिया है। दुर्भाग्यवश, कुछ दिन पहले ही उनका देहांत हुआ है। उनके परिवार और सहकर्मियों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करते हुए, उनकी स्मृति आपको और ऊंचे शिखर पर पहुंचने की प्रेरणा देगी।
6. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के सूत्र वाक्य ‘सेवा परमो धर्म’ से भी आपको हौसला प्राप्त हुआ होगा। इस सूत्र वाक्य को अपने हृदय में धारण करें और इसे अपने कार्यों में उतारें। ये तीन शब्द आपकी व्यक्तिगत आचार संहिता हैं। आप सभी को मेरी शुभकामनाएं और ध्वज प्राप्त करने के लिए किलो स्क्वाड्रन के कैडेटों को बधाई।
कैडेटो,
7. सशस्त्र बल केवल अपना काम ही नहीं कर रहे बल्कि वे हर आह्वान का जवाब देने वाले वीर हैं। और उनका आह्वान मानव-जाति की एक दुर्लभ प्रजाति के प्रति आह्वान है। आज, आप बर्फ से ढके पहाड़ों और रेगिस्तानी धूप में, तूफानी समुद्र में और मेघाच्छादित परंतु असीम गगन में हमारे युवाओं के लिए रोल मॉडल, हमारी शांति और समृद्धि की जिम्मेदारी संभालने वाले और हमारे देश के रक्षक बन गए हैं।
8. आपको प्रत्येक कदम पर सफलता और विजय प्राप्त हो! आप अपने पूर्ववर्ती अटल और निडर अधिकारियों के योग्य उत्तराधिकारी साबित हों और शक्तिशाली बनें।