भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क एवं केन्द्रीय उत्पाद कर) के 68वें बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों की भेंट के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 30.08.2018
1. मैं राष्ट्रपति भवन में आप सभी का स्वागत करता हूं और प्रतिष्ठित भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और केन्द्रीय उत्पाद कर) में चयन के लिए आपको बधाई देता हूं। आप सभी ने सिविल सेवा में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत की है और मुझे विश्वास है कि आप ऐसे कर प्रशासक बनने के लिए भी उतनी ही मेहनत करेंगे कि हम सभी को आप पर गर्व हो।
2. आपके बैच में अलग-अलग राज्यों और प्रदेशों के युवा,भारत की ऊर्जा के रूप में शामिल हैं। अब, भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों के रूप में आपको अपनी-अपनी गौरवशाली पृष्ठभूमि के साथ मजबूती से जुड़े रहते हुए भी राष्ट्रीय दृष्टि विकसित होगी। आप सबवास्तव में भाग्यशाली हैं कि इस सेवा में चयनित होने से राष्ट्र और इसकी जनता की सेवा करने का अवसर प्राप्तप्राप्त हुआ है।मुझे विश्वास है कि आप इस अवसर का लाभ उठाएंगे।
3. कर-व्यवस्था युगों-युगों से शासन की आधार स्तंभ रही है। प्राचीनकाल में शासकों और राज्यों को उनकी कर प्रणाली के आधार पर आंका जाता था। किसी राष्ट्र का कर ढांचा न्यायपूर्ण,दक्ष, ईमानदार और समतामूलक होना चाहिए। प्रशासकों के रूप में आपका प्रमुख कर्तव्य यह सुनिश्चित करने का है कि हमारे देश में चाहे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का निर्माण हो,चाहे स्कूल और अस्पतालों का निर्माण हो,और प्रतिरक्षा और सुरक्षा आदि का मामला हो, राष्ट्रीय विकास के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों को वित्त प्रदान के लिए कर-संसाधन उपलब्ध हों। आपको अपना कर्तव्य इस प्रकार निभाना होगा जिससे कर-दाताओं को कम से कम परेशानी के साथ निष्ठापूर्वक कर अनुपालन को प्रोत्साहन मिले।
4. यहां पर मैं प्रसिद्ध अर्थशास्त्री चाणक्य के कथन का उल्लेख करना चाहूंगा। उनका कहना था कि कर प्रक्रिया को निर्धारण का मानदंड ऐसा होना चाहिए जैसे मधुमक्खियां विभिन्न प्रकार के फूलों से उन्हें किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना पराग चुनकर शहद के छत्ते में डालती रहती हैं। यहां पर पराग की तुलना टैक्स से, फूलों की तुलना कर दाताओं से और मधुमक्खियों की तुलना कर अधिकारी से की गई है।
5. राष्ट्र निर्माण में करदाता आपका साझेदार होता है। कर-दाता के साथ आपका संपर्क-संबंध इस प्रकार का होना चाहिए कि उसे असुविधा ना हो। जहां तक संभव हो, उसके साथ आपका संपर्क डिजिटल माध्यमों से हो और इसके लिए आमने-सामने संपर्क की जरूरत नहीं होनी चाहिए। लेकिन, साथ ही साथ आपको उन लोगों के साथ कड़ाई से निपटना होगा जो गलत तरीके अपनाते हैं और कर का भुगतान करने से बचते हैं। इस प्रकार के कर अपवंचन से सरकार के संसाधनों पर जोर पड़ता है और सार्वजनिक परियोजनाओं का वित्त पोषण करने में कठिनाई होती है। इसके अलावा, कर संरचना को तर्कसंगत बनाना भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
6. पिछले वर्ष सरकार ने, वस्तु और सेवा कर की शुरुआत की थी जो राष्ट्र का अभी तक का सर्वाधिक व्यापक कर सुधार था। आपकी सेवा को सुनिश्चित करने का दायित्व दिया गया था कि यह विराट सुधार पूरे राष्ट्र में कार्यान्वित किया जाए और करदाताओं को नई कर प्रणाली के बारे में पूरी तरह से जागरूक किया जाए। यह संतोष का विषय है कि वस्तु और सेवा कर व्यवस्था सफलता के साथ कार्यान्वित हो गई है जिससे अर्थव्यवस्था के लिए तथा ईमानदार करदाताओं के लिए भी लाभप्रद प्रगतिशील कर ढांचे की शुरुआत हो चुकी है। आपको एक दक्ष कर व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के साथ कार्य करके इस बेहतर शुरुआत को आगे बढ़ाना चाहिए। उदाहरण के लिए, आपकोवस्तु और सेवा कर व्यवस्था से जुड़े नियमों और प्रक्रियाओं को समझने में सनदी लेखाकारों की मदद करनी चाहिएताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि जिन करदाताओं को वे सलाह देते हैं, वे बेहतर ढंग से इस व्यवस्था का अनुपालन कर सकें।
7. मैं जानता हूं कि आप सभी को विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसमें सार्वजनिक वित्त और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से लेकर आत्मरक्षा और सॉफ्ट स्किल जैसे अनेक विषय शामिल हैं। मुझे विश्वास है कि प्रशिक्षण से आप एक कुशल प्रबंधक, संवेदनशील मुखिया और प्रेरक अधिकारी के रूप में सुसज्जित हो सकेंगे। सबसे बढ़कर, इससे आप समाज में एक परिवर्तन लाने में सक्षम बनेंगे।
8. वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकीय प्रगति के नए युग ने व्यापार और निवेश में अपार अवसर पैदा किए हैं। ऐसे परिदृश्य में, भारतकारोबार करने की सुगमता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। परंतु यह लक्ष्य सरकार के संप्रभु कर्तव्यों को वित्त पोषित करने के लिए आवश्यक हमारे कर संसाधनों से समझौता किए बिना हासिल करना होगा। कर अधिकारियों के रूप में आपको कर निर्धारण नियमों के प्रवर्तक तथा कारोबार के साझीदार और सहायक के तौर पर अपनी भूमिका के बीच बेहतर संतुलन कायम रखना होगा।
9. वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकीय प्रगति की ताकतों से, खेदजनक रूप से,जालसाजी और काले धन को सफेद करने के नए अवसर भी पनपे हैं।
10. इसलिए आप जो कार्य कर रहे हैं उनके,एक निष्पक्ष और पूर्वानुमानित कर व्यवस्था वाले, विश्वसनीय कारोबार गंतव्य के रूप में भारत और भारत की विश्व प्रतिष्ठा के लिए काफी मायने हैं। इस भारी जिम्मेदारी का ध्यान रखें।
11. आप सभी एक लंबी और रोमांचक यात्रा आरंभ कर रहे हैं। आपकी जीवनवृत्ति एक आर्थिक शक्ति के रूप में हमारे देश के उत्थान के साथ समानांतर रूप से चलेगी। परिवर्तन के ऐसे दौर में, यह बहुत जरूरी है कि आप इन प्रमुख बातों को ध्यान में रखें कि आप जनसेवक हैं और जनता के विश्वास के धारक हैं। आपको पूर्ण समर्पण,मेहनत, ईमानदारी और निष्ठा के साथ राष्ट्र और देश की जनता की सेवा करनी होगी। किसी भी कार्य में और उससे अधिक आपके कार्य में निष्ठा अपरिहार्य है। विश्वसनीय कर अधिकारी ही एक विश्वसनीय का प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं।
12. मैं आप सभी को भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं।