भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द जी का हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षान्त समारोह में सम्बोधन
शिमला : 30.10.2018
1. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षान्त समारोह में आप सबके बीच आकर मैं बहुत प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। रावी, व्यास, सतलुज और चन्द्रभागा नदियों की निर्मल जल-धाराओं वाले हिमाचल प्रदेश में स्थित यह विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है और प्रदेश के विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मैं पहली बार इस प्रदेश में 1974 में आया था, और उसके बाद से लगातार यहां आता रहा हूं। अपनी विशिष्ट वेश-भूषा और अनुपम प्राकृतिक छटा के कारण मुझे इस प्रदेश में हर बार नवीनता और ताज़गी का अनुभव होता रहा है।
2. हिमाचल प्रदेश के युवा, न केवल समाज-सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि देश की रक्षा में भी, सदैव आगे रहते हैं। प्रदेश की आबादी को देखते हुए सैन्य बलों में हिमाचल प्रदेश के सैनिकों का प्रतिशत, देश में सबसे अधिक है। सैन्य-बलों में अपने पराक्रम और शौर्य के बल पर उनकी विशेष पहचान है। और, चार परमवीर चक्र प्रदेश के सैनिकों को प्राप्त हो चुके हैं। सैन्य बलों का सुप्रीम कमांडर होने के नाते मैं उनकी सेवाओं और बलिदान के प्रति पूरे देश की कृतज्ञता प्रदर्शित करता हूं।
3. प्रदेश में आदिवासी समाज बड़ी संख्या में है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने, अपनी स्थापना से ही इस क्षेत्र में शिक्षा के प्रसार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है। अपने शैक्षिक एवं सामाजिक दायित्वों का बेहतर ढंग से अनुपालन करने के लिए उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की संस्था-NAAC से ‘A’ ग्रेड मिला है। यह किसी भी विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय ने सबसे पहले दूरस्थ शिक्षा- distance education के माध्यम से शिक्षण की शुरुआत की थी। और अब यह विश्वविद्यालय, देश का पहला ‘Model disabled friendly’विश्वविद्यालय बनने की ओर अग्रसर है। मैं इसके लिए पूरे विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूं।
4. हर विश्वविद्यालय को अपने वर्तमान और पूर्व-विद्यार्थियों की उपलब्धियों पर गर्व होता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व-विद्यार्थियों ने न्याय पालिका, खेल-कूद और जन-सेवा जैसे अनेक क्षेत्रों में नाम कमाया है। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति श्री हामिद करज़ई, जस्टिस राजीव शर्मा, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस धर्म चन्द चौधरी, जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर, जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर, जस्टिस अजय मोहन गोयल, जस्टिस संदीप वर्मा, जस्टिस चन्द्र भूषण के साथ-साथ 1964 की हॉकी टीम के कप्तान श्री चरणजीत सिंह, अर्जुन पुरस्कार विजेता खिलाड़ी सुमन रावत मेहता और ऐसे ही अनेक नाम हैं, जिन्होंने विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है।
5. मुझे बताया गया है कि लगभग 21 महीने बाद विश्वविद्यालय, अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे कर रहा है। यह अवसर, जहां अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने का होगा, वहीं अपने लिए नए लक्ष्य तय करने का भी होगा। आप जानते होंगे कि भारत सरकार ने उच्चतर शिक्षा के 20 संस्थानों को ‘Institute of Eminence’ का दर्जा देने का निर्णय लिया है। अभी हाल ही में कुछ संस्थानों को यह दर्जा दिए जाने की घोषणा की गई है। यह सर्वथा उपयुक्त होगा कि देश के 903 विश्विविद्यालयों में से एक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय अपनी स्वर्ण-जयन्ती को यादगार बनाने के लिए इन 20 उत्कृष्ट संस्थानों में स्थान बनाने का संकल्प लेकर आगे बढ़े।
6. इस कार्य में हिमाचल प्रदेश के राज्यपालआचार्य देवव्रत का मार्गदर्शन आपको सतत प्राप्त होता रहता है। वे स्वयं एक शिक्षाविद् और समाज-सेवी रहे हैं। और, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ तथा ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती के प्रकल्पों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। अपनी दूर-दृष्टि और ऊर्जा से प्रदेश को आगे बढ़ाने में मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर को उनका सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है।
प्यारे विद्यार्थियो,
7. विद्यार्थी, किसी भी देश की युवा शक्ति का आधार होते हैं। भारत इस अर्थ में भाग्यशाली है कि दुनिया की विशालतम युवा-शक्ति आज भारत के पास है। ‘बदलाव’ लाने की अपार शक्तियुवाओं और विद्यार्थियों में होती है। इसीलिए, भारत के राष्ट्रपति के रूप में विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों की अपनी यात्राओं के समय उनकी गतिविधियों को देखने-सुनने का मेरा प्रयास रहता है। इन यात्राओं के दौरान एक सुखद और संतोषदायक तथ्य मेरे ध्यान में यह आया है कि पढ़ाई-लिखाई सहित अनेक क्षेत्रों में बेटियां आज बेटों की तुलना में आगे बढ़ रही हैं। इसमें देश के सुनहरे भविष्य की झलक दिखाई देती है।
8. आज के दीक्षान्त समारोह में जिन 230 विद्यार्थियों को स्वर्ण-पदक प्रदान किए गए हैं, उनमें बेटियों की संख्या 180 है। इतना ही नहीं जिन 170 विद्यार्थियों को आज पीएच-डी. उपाधि दी गई है, उनमें भी बेटियों की संख्या, बेटों से अधिक है। यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि जिन 10 विद्यार्थियों को इस मंच पर स्वर्ण-पदक देने का सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ है, वे सभी बेटियां हैं।मैं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को इसके लिए बधाई देता हूं।यह बदलाव न केवल प्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए कल्याणकारी और उन्नतिकारी है।
9. आज आप जिस मुक़ाम तक पहुंचे हैं, वहां तक पहुंचने में आपके शिक्षकों का, परिवार के सदस्यों का, विश्वविद्यालय का, और पूरे समाज का योगदान रहा है। आप सब को इनके योगदान के महत्व को पहचानना होगा, और जीवन-पर्यन्त ध्यान में रखना होगा। इतना ही नहीं, बल्कि समाज को कुछ ‘लौटाना’ भी होगा और ‘लौटाने’ का यह दायित्व आज से आरंभ हो रहा है।
10. विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा पूरी करके, आज से आप जीवन में अन्य प्रकार की शिक्षा के क्षेत्र में या कर्म के क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। वैसे तो हमारी परम्परा में कहा गया है कि ‘शिक्षा’ कभी पूरी नहीं होती, जीवन भर चलती रहती है और, इस सत्य को समझ लेना ही शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है। फिर भी, शिक्षा प्राप्त करके और, प्राप्त की गई शिक्षा के सदुपयोग की ‘दीक्षा’ लेकर, जिस नए अनुभव संसार में आप प्रवेश करने जा रहे हैं, वहां अनेक चुनौतियां आपके सामने आ सकती हैं। लेकिन, इन चुनौतियों को अवसरों में बदल कर, ज़िन्दगी में हमेशा आगे बढ़ते रहना ही आप की शिक्षा की सार्थकता होगी।
11. आज हमारे सामने एक नई दुनिया है - उन्मुक्त और संभावनाओं से भरी दुनिया है। विश्व की नज़र आज एशिया पर है, भारत पर है। हमारी अर्थव्यवस्था 7.3 प्रतिशत की मज़बूत दर से बढ़ रही है और अब विश्व में छठे स्थान से पांचवें स्थान की ओर अग्रसर है। हमारे युवाओं के सामने मेधावी वैज्ञानिक, Innovative Engineers, Energetic entrepreneurs बनने के साथ-साथ उन्नत चिकित्सक, शिक्षक और बिजनेस लीडर बनने के असंख्य अवसर मौजूद हैं।Artificial Intelligence और fourth industrial revolution आपकी भागीदारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन अवसरों को अपनी मुट्ठी में करने की क्षमता रखने वाली युवा शक्ति हमारे पास है। जरूरत है तो बस अपनी शक्ति को पहचानने की, और इन अवसरों का भरपूर उपयोग करने की। और मुझे विश्वास है कि, हमारे देश के नौजवान, चुनौतियों पर विजय पाकर, उन्हे अवसरों में बदलकर आगे बढ़ते रहेंगे।
प्यारे विद्यार्थियो,
12. हर विद्यार्थी का यह स्वप्न होता है कि वह, अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करे और अपनी, अपने परिवार की, तथा देश और समाज की प्रगति एवं कल्याण के लिए काम करे। इस मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए, पहली सीढ़ी आपने तय कर ली है। आज जिन विद्यार्थियों को डिग्री, डिप्लोमा और Gold Medals प्राप्त हुए हैं, मैं उन सबको बधाई देता हूं, और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
13. आप जैसे युवाओं पर राष्ट्र-निर्माण की जिम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि इस जिम्मेदारी को पूरा करने की शक्ति और संकल्प आप के अंदर मौजूद है। इससे भी आगे, भारत को एक उन्नत राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हमारे सामने है। लक्ष्य बड़ा है, लेकिन बड़ा होने के कारण ही तो प्राप्त करने योग्य है। आइए, हम सब मिलकर भारत को उन्नत राष्ट्र बनाने में जुट जाएं!