अदम्य चेतना सेवा उत्सव, 2018 एवं नेशनल एजुकेशन सोसायटी के शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
बंगलुरु : 30.12.2017
राष्ट्रपति बनने के बाद कर्नाटक की यह मेरी दूसरी यात्रा है। मुझे विशेष रूप से खुशी है कि मैं शिक्षण और शिक्षा कार्य से तथा समाज को प्रतिदान से जुड़े हुए समारोह में उपस्थित हुआ हूं। ये ऐसी विशेषताएं हैं जो इस राज्य के लोगों के लिए बहुत प्रिय और खास हैं। आखिरकार, कर्नाटक में संस्कृति और ज्ञान की तथा जन चेतना रखने वाले नागरिकों की एक समृद्ध परंपरा रही है।
2. आज हम इस राज्य की दो संस्थाओं द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्य को याद कर रहे हैं। पहली संस्था है अदम्य चेतना फाउंडेशन और दूसरी है नेशनल एजुकेशन सोसायटी ऑफ कर्नाटक। मुझे बताया गया है कि अदम्य चेतना फाउंडेशन प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण मध्याह्न भोजन उपलब्ध करवाता है। यह संस्था वार्षिक सेवा उत्सव का भी आयोजन करती है जो आज से शुरू हो रहा है। इसके साथ ही साथ हम नेशनल एजुकेशन सोसायटी ऑफ कर्नाटक तथा इस समारोह के आयोजक नेशनल हाई स्कूल की 100वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
3. अदम्य चेतना फाउंडेशन अपनी अन्नपूर्णा परियोजना के ज़रिए स्कूली बच्चों को ताजा और पौष्टिक भोजन मुहैया करवा रहा है। फाउंडेशन की यह पहल,सेवा के अपने दर्शन और ‘अन्न-अक्षर-आरोग्य’के अपने ध्येय के अनुरुप है।
4. हमारे स्कूलों में चलाया जा रहा मध्याह्न भोजन कार्यक्रम इस सभी उद्देश्यों को पूरा करता है। इस कार्यक्रम से शिक्षा को बढ़ावा मिलता है क्योंकि हमारे देशवासियों में से जो पिछड़े हुए हैं वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने का प्रयास करते हैं। भोजन प्राप्ति के विचार से वे प्रोत्साहित होते हैं। अपेक्षाकृत गरीब परिवार के बच्चे को दिन में मिलने वाले भोजन की तुलना में यह भोजन अधिक पौष्टिक और स्वास्थ्यकर होता है। पौष्टिक भोजन शारीरिक ही नहीं मानसिक विकास से भी जुड़ा हुआ है, जिससे बच्चे को सीखने में मदद मिलती है।
5. मुझे जानकर खुशी हुई है कि इस वर्ष के अदम्य चेतना सेवा उत्सव का विषय प्रकृति-संस्कृति पर केन्द्रित है। यह विषय एक ऐसे देश और एक समाज, जो ऐतिहासिक रूप से प्रकृति को दिव्य मानता रहा है, के लिए समीचीन है। हम भारतीय नदियों की पूजा करते हैं, हम पेड़ों और वनों को महत्व देते हैं, हम चीजों को रिसाइकिल करते हैं और उन्हें पुनः प्रयोग में लाते हैं। यह हमारी परंपरा है। कभी-कभार हम इसे भूल जाते हैं मगर हमें इसे याद रखने की कोशिश करनी चाहिए। स्कूली बच्चों में इन आदतों और इन गुणों को जगाकर इस प्रयास की शुरुआत की जा सकती है। इन बच्चों का प्रभाव हमारे परिवार पर सबसे ज्यादा होता है।
देवियो और सज्जनो,
6. यह वर्ष नेशनल एजुकेशन सोसायटी ऑफ कर्नाटक का शताब्दी वर्ष है। यह सोसायटी नेशनल हाई स्कूल सहित अनेक अग्रगण्य शिक्षा संस्थान चलाती है। यह कोई सामान्य स्कूल नहीं है। इस सोसायटी की तरह इसकी स्थापना भी 100 वर्ष पहले हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की एक प्रमुख स्तंभ, डॉ. एनी बेसेंट ने की थी।
7. एनी बेसेंट एक विलक्षण महिला थीं। हालांकि वे लंदन में पैदा हुई थीं लेकिन बाद में वे भारत आ गईं और उन्होंने भारत, इसकी संस्कृति और इसके लोगों को उत्साहपूर्वक अपनाया। वे भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए लड़ीं और उन्होंने हमारी प्राचीन परंपराओं के पुनराविष्कार में योगदान दिया। इस प्रकार वह एक विशुद्ध राष्ट्र निर्माता बन गईं। यह स्कूल उनके राष्ट्र निर्माण प्रयासों का प्रतीक है।
8. नेशनल हाई स्कूल ने कर्नाटक को और हमारे देश को कतिपय बहुत ही प्रतिभावान और विशिष्ट नागरिक दिए हैं। इसके पूर्व विद्यार्थियों में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, श्री एच.डी. कुमार स्वामी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष, डॉ. ए.एस. किरण कुमार, सुविख्यात फिल्म अभिनेता स्वर्गीय विष्णुवर्द्धन और हमारे पूर्व क्रिकेट कप्तान,अनिल कुंबले शामिल हैं।
9. जब मुझे इस समारोह का निमंत्रण मिला तो मुझे एक रोचक कहानी सुनाई गई। 1936 में, महात्मा गांधी ने इस स्कूल की यात्रा की थी। उन्हें अपने लिए हिन्दी से कन्नड में अनुवाद करने के लिए किसी की सेवाओं की जरूरत थी। उन्हें इस स्कूल का एक 16 वर्षीय विद्यार्थी मिला जिसने उनकी तसल्ली के मुताबिक काम किया। यह प्रतिभावान विद्यार्थी होसूर नरसिम्हैया थे। बड़े होकर वे एक बुद्धिजीवी, शिक्षाविद् और गांधीवादी विद्वान बने। उन्हें विज्ञान को बढ़ावा देने वाले व्यक्ति के रूप में प्रसिद्धि मिली और बाद में उन्होंने बैंगलोर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य किया। आज हम उन्हें भी सम्मान से स्मरण कर रहे हैं।
10. महान कार्य करने वाले ऐसे प्रतिभाशाली पूर्व विद्यार्थियों की लंबी परंपरा से स्कूल के विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलेगी। उनकी महान परम्परा का अनुकरण करने और इसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी इन विद्यार्थियों की है। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। मैं नेशनल एजुकेशन सोसायटी को भी शुभकामनाएं देता हूं जो संस्थाओं का ऐसा नेटवर्क चलाती है जिसमें अब तक 15लाख से ज्यादा विद्यार्थियों ने शिक्षा प्राप्त की है। कामना है कि इसकी दूसरी शताब्दी,पहली से भी बेहतर सिद्ध हो।
11. मैं अदम्य चेतना सेवा उत्सव 2018 के प्रति भी शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं। अंत में यहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को सुखद और समृद्ध नववर्ष की मैं बधाई देता हूं।
धन्यवाद
जय हिन्द!