गाम्बिया की नेशनल असेम्बली में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
बंजुल : 31.07.2019
1. गांबिया की राजकीय यात्रा करने वाला भारत का मैं प्रथम राष्ट्रपति हूं। हमारी पुरानी मित्रता की परंपरा में यह ऐतिहासिक दिन है। अपनी राष्ट्रीय असेंबली के विशेष अधिवेशन के आयोजन और उसे संबोधित करने के लिए मुझे आमंत्रित करके आपने इस अवसर को और भी स्मरणीय बना दिया है। मैं आपकी भावनाओं का हृदय से सम्मान करता हूं।
2. मैं अपने साथ भारत के एक अरब तीस करोड़ लोगों की शुभकामनाएं लाया हूं। उनके लिए यह भवन भारत—गांबिया मैत्री और हमारे साझा लोकतान्त्रिक मूल्यों का उज्ज्वल प्रतीक है।
3. बांजुल में असाधारण गर्मजोशी और स्नेह के साथ मेरा स्वागत हुआ। जब मैं हवाई अड्डे से आ रहा था तो यहां के लोग झंडे और मालाएं लिए मेरा स्वागत करने के लिए सड़कों पर खड़े थे। यह भाव-विभोर करने वाला अनुभव था। अफ्रीका का ‘मुस्कराता तट’ (स्माइलिंग कोस्ट) कहे जाने वाले देश में, ऐसा उत्साहपूर्ण स्वागत स्वाभाविक था!
4. अपने सम्बन्धों को और भी घनिष्ठ बनाने के लिए मैं गांबिया आया हूं। मैं अफ्रीका और अफ्रीका के लोगों के साथ अपने विशेष और ऐतिहासिक सम्बन्धों के प्रति अपनी वचनबद्धता को फिर से व्यक्त करने के लिए भी यहां आया हूं। दो वर्ष पूर्व भारत का राष्ट्रपति बनने के बाद मैंने सर्वप्रथम जिन सात देशों की यात्रा की, वे सब अफ्रीकी देश ही थे। अब भारत में नई सरकार के कार्यभार संभालने के बाद, मैं अपनी पहली विदेश—यात्रा के लिए अफ्रीका ही आया हूं। इस यात्रा के दौरान, मैं बेनिन जा चुका हूं और यहां से गिनी गणराज्य जाऊंगा। भारत के किसी राष्ट्राध्यक्ष की, इन देशों में यह पहली यात्रा है। पिछले पांच वर्षों में, भारत के राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने 30 अफ्रीकी देशों की यात्रा की है।
5. गांबिया के जिंदादिल लोगों, मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य, आकर्षक जैव—विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए पूरा विश्व गांबिया की ओर खिंचा चला आता है। परंतु भारत और भारतीयों के लिए तो यहां इन सबसे भी कहीं आगे जाने का अवसर है। हमारी मैत्री उपनिवेशवाद के खिलाफ हमारे साझा संघर्ष और बेहतर भविष्य के लिए हमारे समान प्रयासों पर आधारित है।
6. अफ्रीका को औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाने में भारत की अग्रणी भूमिका को मैं गर्व के साथ याद करता हूं। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अफ्रीका की जनता के साथ हमारी एकजुटता के ध्वजवाहक थे। वह 21 वर्ष तक अफ्रीका में रहे। उनका मानना था कि जब तक अफ्रीका पराधीन है, भारत की आज़ादी अधूरी रहेगी। उनके विचारों ने दुनिया के कोने-कोने में नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और गांबिया के देशभक्त एडवर्ड फ़्रांसेस स्माल जैसे नायकों को प्रेरित किया। 18 फरवरी, 1965 को जब स्वतन्त्रता ने आपके द्वार पर दस्तक दी और आपने अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराया, उस समय आपका उत्साह बढ़ाने और आपको बधाई देने के लिए हम आपके साथ खड़े थे।
7. इस वर्ष हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं। मैं राष्ट्रपति एडामा बारो को उनकी सुंदर रचना— ‘वॉट गांधी मीन्स टु मी’ (मेरी नज़र में गांधी) के लिए धन्यवाद देता हूं। उन्होंने लिखा है, ‘टु मी, महात्मा गांधी रिमेन्स ए रेलेवेंट इंटरजेनरेशनल आइकन फॉर लिबेरशन।’ (मेरी नज़र में, महात्मा गांधी पीढ़ी दर पीढ़ी मुक्ति के प्रतीक बने रहेंगे)। भविष्यवाणी जैसे इन सुंदर शब्दों से प्रेरणा लेते हुए, मेरे गांबिया प्रवास के दौरान महात्मा गांधी के बारे में यहां एक प्रदर्शनी लगाई जा रही है। कल ईबुनजान थिएटर में मुझे इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करने का सुअवसर मिलेगा। मुझे उम्मीद है कि उनकी मधुर स्मृति का उत्सव मिलजुल कर मनाने के लिए आप अवश्य आएंगे।
8. हमारी साझी अपेक्षाओं पर आधारित, भारत—गांबिया संबंध बहुत व्यापक हो चुके हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच की यह सद्भावना, मैत्री और एकजुटता के बहुमूल्य बंधनों को बखूबी व्यक्त करती है। आपकी दोस्ती की गर्मजोशी और यहां के काजू का स्वाद भारत के घर—घर में सराहा जाता है। आज हमारे सम्बन्ध एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं।
9. लोकतन्त्र की विजय से आपके देश में शांति और स्थिरता आई है। इन लोकतान्त्रिक परम्पराओं को बढ़ावा देने और देश की राजनीति में स्थिरता लाने में महामहिम राष्ट्रपति बारो की भूमिका की हम सराहना करते हैं। ये जीवन—मूल्य फलें—फूलें और स्थायी बनें, यह सुनिश्चित करने में राष्ट्रीय असेंबली की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सुशासन, सामाजिक सौहार्द तथा नई ऊर्जा से युक्त अर्थव्यवस्था के रूपमें गांबिया की 2018—2021 की राष्ट्रीय विकास योजना के अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अपने देश के लिए आपकी आकांक्षाओं को साकार करने में भारत हमेशा आपके साथ रहेगा।
10. गांबिया के साथ अपनी विशिष्ट विकास भागीदारी को हम बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। आपकी सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए, आपकी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए हमने, क्षमता—निर्माण और बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की परियोजनाओं को पूरा करने मेंआपको सहायता पहुंचाई है। ग्रामीण विकास, कृषि, पेयजल, स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आपकी सहायता के लिए और बुनियादी ढांचा तैयार करने के 78.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रियायती ऋण सुविधाएं दी गई हैं। इसके अलावा, 9.2 करोड़ डॉलर की एक और ऋण सुविधा दी जा रही है। गांबिया के युवा शिक्षा प्राप्त करने, विभिन्न कौशल सीखने और डिजिटल दुनिया में काम करने योग्य बनने के लिए हर साल भारत आते हैं। पिछले ही महीने आपके 25 परमानेंट सेक्रेटरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को मसूरी में भारत केनेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस में आमंत्रित किया गया ताकि हम एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करें और सीखें। मुझे बताया गया है कि एक भारतीय कंपनी को आपकी नेशनल युनिवर्सिटी की स्थापना का काम सौंपा गया है। संस्थाओं के निर्माण की आपकी क्षमता बेहतर बनाने और आपके लोकतन्त्र को सक्षम बनाने में सहयोग के प्रति हम वचनबद्ध हैं।
11. भारत और गांबिया युवा राष्ट्र तो हैं ही, हमें अपनी विशाल युवा आबादी का भी लाभ मिला है। उद्योगों और उद्यमिता को बढ़ावा देना हमारे विकास की बुनियादी ज़रूरत है। इस क्षेत्र में गांबिया का सहभागी बनने का सुअवसर हमें मिला है। गांबियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में हमारे सहयोग से स्थापित व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र और गांबियन टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में उद्योग पोषण केंद्र (इंक्यूबेशन सेंटर) के अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं।
12. मैंने अपने संबोधन के प्रारम्भ में ही कहा था कि यह भवन हमारे घनिष्ठ सम्बन्धों का उज्ज्वल प्रतीक है। अगर आप विस्तार में जाएं तो यह विविध क्षेत्रों में हमारी भागीदारी के भविष्य का भी दिशा—निर्देशक है। ये क्षेत्र हैं— टेक्नॉलॉजी में सहयोग, विकास को नई गति देने के प्रयास, कुशल समाधान और सस्टेनेबिलिटी।
13. मुझे प्रसन्नता है कि हम इस राह पर चल पड़े हैं। इंटरनेशनल सोलर एलाएन्स पर आपकी सहमति आज हमें मिल गई है। मुझे आशा है कि सौर परियोजनाएं शुरू करने और जलवायु परिवर्तन का सामना करने में हम आपकी मदद कर सकेंगे। टिकाऊ और सतत विकास के ये प्रयास, गांबिया में बाढ़ और आपदा प्रबंधन के लिए हाल ही में शुरू की गई भारत—संयुक्त राष्ट्र परियोजना (इंडिया—यूएन प्रोजेक्ट फॉर "लैंड एंड डिजास्टर मैनेजमेंट इन दि गांबिया) जिसमें ड्रोन और पूर्व चेतावनी प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा, के पूरक सिद्ध होंगे। इससे आपकी टेक्नॉलॉजी परिसंपत्तियां और भी समृद्ध होंगी।
14. हमारी आपसी भागीदारी तो मजबूत हो ही रही है, वैश्विक मंचों पर भी हमारा सहयोग बढ़ रहा है। हमने अंतर्राष्ट्रीय मंचों और संयुक्त राष्ट्र में भी एक—दूसरे का समर्थन किया है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी हमें एक—दूसरे के सहयोग की आवश्यकता है। हमारे नागरिकों का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है। इबोला जैसी नई—नई बीमारियों से निबटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण ज़रूरी है। हमें संतोष है कि भारतीय दवाओं, टीकों और स्वास्थ्य—सेवा के क्षेत्र में हमारी विशेषज्ञता की वजह से गांबिया और अन्य देशों में उपचार के किफ़ायती विकल्प उपलब्ध हो रहे हैं। हमें अपनी परंपरागत औषधियों और ज्ञान संपदा को भी बढ़ावा देना चाहिए। मुझे प्रसन्नता है कि आज एक समझौते पर हस्ताक्षर करके हमने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। विकास की हमारी योजनाओं में भी कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। अगर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो ये सारे प्रयास बेकार हो जाएंगे। हमारा मानना है कि आतंकवाद आज मानव जाति के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। आपके क्षेत्र में इसके हिंसक और खूनी परिणाम देखे गए हैं। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष को मजबूत बनाने के अलावा हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है।
15. हमारे द्विपक्षीय संबंध और प्रगाढ़ होते जा रहे हैं। अफ्रीका और भारत की विशेष मैत्री तथा हमारे समान आदर्शों सेइन सम्बन्धों को निरंतर शक्ति मिल रही है। इसलिए, मैं अफ्रीकी समुदाय के साथ भारत के सम्बन्धों की रूपरेखा को अवश्य रेखांकित करना चाहूंगा। भारत और अफ्रीका स्वाभाविक सहयोगी हैं। हमारी ऐतिहासिक घनिष्ठता और एकजुटता इस मैत्री को दिशा देती रही है। भारत में 2015 में आयोजित तीसरे भारत— अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन में हमें अफ्रीका के 41 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों का आतिथ्य करने का अवसर मिला था। हमें 2017 में पहली बार अफ्रीकी विकास बैंक की वार्षिक बैठक की मेजबानी करने का भी अवसर मिला था।
16. भारत और अफ्रीका की विकास की चुनौतियां और हमारी आवश्यकताएं समान हैं। अफ्रीका की आर्थिक संभावनाएं और भारत की प्रगति एक—दूसरे के पूरक बन सकते हैं। हमारे व्यापार और निवेश संबंध निरंतर मजबूत हो रहे हैं। 2017—18 में हमारा द्विपक्षीय व्यापार 62 अरब डॉलर से अधिक था। भारत अफ्रीका में पांचवां सबसे बड़ा निवेशक बन गया है, हमारा समेकित निवेश 54 अरब डॉलर का है। इसी महीने शुरूहुए अफ्रीकन कोंटिनेंटफ्री ट्रेड एरिया एग्रीमेंट (अफ्रीका महाद्वीप मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौता) से अफ्रीका विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बन जाएगा। भारत इस समझौते को अफ्रीका के साथ आर्थिक संबंध और मजबूत बनाने के एक और अवसर के रूप में देखता है।
17. परस्पर विकास के लिए हमारा सहयोग अफ्रीका की प्राथमिकताओं और निरंतर जारी रहने में सक्षम भागीदारियों पर आधारित है और यह सहयोग अफ्रीका के साथ हमारे सम्बन्धों का प्रमुख अंग है। भारत से विदेश सहायता प्राप्त करने में दक्षिण एशिया के बाद अफ्रीका महाद्वीप ही सबसे बड़ा क्षेत्र है। भारत ने अफ्रीका के 41 देशों को 181 समझौतों के तहत करीब 11 अरब डॉलर की ऋण सुविधा दी है। हमारे परियोजनाओं से पूरे अफ्रीका महाद्वीप में लोगों के जीवन—स्तर में भारी बदलाव आए हैं।
18. अफ्रीका और भारत में कुल मिलाकर विश्व की एक तिहाई जनसंख्या रहती है। विश्व भर की युवा—शक्ति का एक बड़ा हिस्सा भी हमारे पास है। विश्व आज जलवायु परिवर्तन, शांति, सुरक्षा और वैश्विक व्यवस्था से जुड़े मुद्दों के सार्थक समाधान तलाश रहा है। ऐसे में, हमारे लोगों और हमारे युवाओं की आवाजें अवश्य सुनी जानी चाहिए। भारत और अफ्रीका की कहानी असाधारण उपलब्धियों और आशाओं की गाथा है। हमारे आपसी सम्बन्धों को इस गाथा से लाभ उठाना है, इसके साथ विकास करना है।
19. आज हमने अपने सम्बन्धों में एक और मील का पत्थर पार किया है। आपसी भागीदारी में हमारा विश्वास और भी मजबूत हुआ है। आपके लोकतन्त्र ने गांबियन नदी के प्रवाह को नई व अनुकूल दिशा दी है। हमें इन लहरों के जरिए प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ना है। यही हमारी मैत्री की शक्ति है। वोलोफ बोली की प्रसिद्ध लोकोक्ति है, ‘Nyar A Man Kenn, Ku Nu Sot Nga Jaam Ko’. अर्थात, एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं। हम दोनों देश मिल-जुलकर, अपने साझा और उज्ज्वल भविष्य के लिए परिवर्तन की ऐसी ही शक्ति बनें।