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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-डी) द्वारा बनाई गई अक्षय निधि (एंडाउमेंट फंड) के शुभारंभ के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

नई दिल्ली : 31.10.2019

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1. राष्ट्रपति भवन में आप सबका हार्दिक स्वागत है। आप दूर—दूर से यहां आए हैं। आपकी पृष्ठभूमि अलग—अलग है, आप अलग—अलग उद्यमों में काम करते हैं, अलग—अलग विभागों और बैचों में आपने पढ़ाई की है। लेकिन आप सब में एक बात समान है कि आप सब एक ही आईआईटी परिवार के सदस्य हैं।

2. मुझे प्रसन्नता है कि आज आप अपने संस्थान के साथ अपने जुड़ाव को और भी मजबूत बनाने जा रहे हैं। हमारी प्राचीन गुरु—शिष्य परंपरा के अनुरूप, आज आप अपने शिक्षकों और अपने संस्थान के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने जा रहे हैं जिनके परिश्रम और प्रयासों की बदौलत आप अपना वह स्थान बना पाए हैं, जहां आज आप हैं।

3. करीब दो वर्ष पूर्व, 4 नवम्बर 2017 को दीक्षांत समारोह को संबोधित करनेके लिए मैं आईआईटी दिल्ली गया था। पूर्व—विद्यार्थियों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए मैंने उन्हें प्रोत्साहित किया था कि वे अपने संस्थान और समाज को हर संभव तरीके से प्रतिदान देने केविषयमें सोचें। मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि आपने मेरी सलाह मानी और आज हम आपके योगदान से बनी अक्षय निधि (एंडाउमेंट फंड) के शुभारंभ के अवसर पर यहां एकत्र हुए हैं।

4. विश्व भर में, ऐसी अक्षय निधियों के जरिये, संस्थानों को अपने शिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों को उस स्तर पर समृद्ध और श्रेष्ठतर गुणवत्ता युक्त बनाने में मदद मिलती है जो अन्यथा संभव नहीं है। ऐसी अक्षय निधियों से प्राप्त दीर्घकालिक सहायता से, संस्थान नवाचारी परियोजनाएं शुरू करने, विद्यार्थियों की सहायता बढ़ाने, बेहतर शिक्षण कार्यक्रम चलाने और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार का जोखिम उठा पाते हैं। ऐसी निधि की सहायता से, संस्थान पूरे विश्वास के साथ, दीर्घकालिक योजनाओं की निरंतरता में बाधा की आशंका के बिना, उन पर काम कर सकते हैं।

5. विश्व भर में, शिक्षण संस्थानों की वित्तीय स्थिति बेहतर बनाने में अक्षय निधियों की भूमिका अपरिहार्य होती जा रही है। हालांकि हारवर्ड, येल और कोलम्बिया जैसे संस्थानों की विशाल और महत्वपूर्णअक्षय निधियों की तुलना में हमारी शिक्षण संस्थाओं की ऐसी निधियां बहुत छोटी हैं, फिर भी सही दिशा में पहला कदम उठाने के लिए मैं आप सबको बधाई देता हूं।ऐसी निधियों के जरिये सहायता प्रदान करके, आप न केवल अपने संस्थान को लाभान्वित कर रहे हैं, अपितु विद्यार्थियों की भावी पीढ़ियों की भी मदद कर रहे हैं और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दे रहे हैं।

6. बिना कठिन परिश्रम और त्याग के सफलता दुर्लभ है। इस विशेष अवसर पर, आपके साथ यहां आए आपके जीवनसाथियों के योगदान की भी मैं सराहना करता हूं। वे आपकी सफलता की गाथाओं में बराबर के साझीदार हैं और आपका इस मुकाम पर पहुंचना सुनिश्चित करने के लिएउन्हें अनेक त्याग करने पड़े होंगे, यहां तक कि कुछ ने अपने करियर की भी कुर्बानी दी होगी। और अब वे आपको वह शक्ति और साहस दे रहे हैं जिससे आप अपनी सफलता, जो उनकी भी सफलता है, का कुछ अंश अपने संस्थान को देने के लिए तत्पर हुए हैं। आज यहां उनकी उपस्थिति, जो सर्वथा उपयुक्त ही है, से मुझे प्रसन्नता हो रही है।

7. किसी उपहार का सम्मान करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि उसका सर्वोत्तम उपयोग किया जाए। मुझे विश्वास है कि अक्षय निधि से मिले धन का आईआईटी, दिल्ली द्वारा समुचित उपयोग किया जाएगा। विश्व भर की नवीनतम क्यूएस विश्वविद्यालय रैंकिंग—2020 में आईआईटी, दिल्ली 182वें स्थान पर है।यदि आप विश्व के सर्वोच्च संस्थानों में अपना स्थान बनाना चाहते हैं तो अभी बहुत सुधार अपेक्षित है। आपको संकाय सदस्यों, खास तौर पर अंतर्राष्ट्रीय अनुभव वाले शिक्षकों की संख्या बढ़ानी होगी। साथ ही, आपको अपनी बुनियादी सुविधाओं को भी बेहतर बनाना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपका परिसर, पाठ्यक्रम और शोध सुविधाएं पूर्णतः विश्वस्तरीय हों। मुझे आशा है कि आपका संस्थान, इन क्षेत्रों में बदलाव लाने के लिए, अपने पूर्व—विद्यार्थियों के बहुमूल्य योगदान का उपयोग करेगा।

8. 150 से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थानों का विजिटर होने के नाते मुझे देश में अनेक दीक्षांत समारोहों में आमंत्रित किया जाता है। इनमें से अधिकतर समारोहों में, छात्राओं का प्रदर्शन छात्रों से बेहतर होता है और अधिकांश पुरस्कार वे ही प्राप्त करतीहैं। लेकिन हमारे देश के तकनीकी संस्थानों में शिक्षण और शोध में महिलाओं की संख्या कम होती हैं। विज्ञान और टेक्नॉलॉजी के क्षेत्रों में छात्राओं और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हमें आवश्यक कदम उठाने होंगे।

9. सम्पूर्ण ऐतिहासिक यात्रा में,हमारे शिक्षा संस्थान हमारी संस्कृति के प्रकाश—स्तम्भ रहे हैं। हमारी परंपरा में, विश्वविद्यालयों ने समाज का मार्गदर्शन किया है और लोगों का जीवन समृद्ध बनाया है। यह सराहनीय है कि पूर्व—विद्यार्थी इस निधि के लिए 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की वचनबद्धता व्यक्त कर चुके हैं। लेकिन मैं चाहूंगा कि आप यह ध्यान में रखें कि प्रतिदान का अर्थ केवल आर्थिक योगदान तक ही सीमित नहीं है। संस्थान को समयदेकर और उसके लिए प्रतिबद्धता बनाए रखकर भी प्रतिदान किया जा सकता है। और प्रतिदान केवल आपके संस्थान के लिए न होकर व्यापक समाज के लिए होना चाहिए। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि अपनी पसंद का कोई भी ध्येय चुनकर अपना कुछ समय समाज के अपेक्षाकृत कम सौभाग्यशाली लोगों के हित में लगाएं। दिव्यांगजनों का सशक्तीकरण यानि राश्रित स्त्रियों का पुनर्वास अथवा संकट ग्रस्त बच्चों की मदद करना ऐसा ध्येय हो सकता है।ध्येय उतना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि हालात बदलने की आपकी इच्छा—शक्ति अधिक महत्वपूर्ण है।

10. मैं एक बार फिर आपको इस अच्छी शुरुआत के लिए बधाई देता हूं। पूर्व—विद्यार्थी, हमारे शिक्षा संस्थानों की बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण हितधारक होते हैं। मुझे विश्वास है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से यह प्रयास देश के अन्य संस्थानों में भी दोहराया जाएगा। अब मंत्रालय के पास एक मॉडल उपलब्ध है, जिसको अपनाने के लिए वह आईआईटी, एनआईटी तथा अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों को सहमत करा सकता है। आज का शुभारंभ, पूरे देश में ऐसे अनेक प्रयासों के लिए प्रेरक बन सकता है। मुझे बताया गया है कि अक्षय निधि के बारे में आपके द्वारा दिखाया गया वीडियो, सोशल मीडिया पर खूब लोकप्रिय हो रहा है और व्यापक तौर पर शेयर किया जा रहा है। इससे पता चलता है कि अच्छे कामों को प्रचार की जरूरत नहीं होती। ऐसे प्रयास अपनी अंतर्निहित अच्छाई के कारण अपने आप लोकप्रिय हो जाते हैं। मुझे विश्वास है कि निस्स्वार्थ भाव से किए गए आपके इस प्रतिदान से प्रेरणा पाकर, देश भर में ऐसे अनेक प्रयास किए जाएंगे।

11. मैं आईआईटी, दिल्ली और इसके पूर्व—विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देता हूं। मुझे विश्वास है कि आपके कार्योंसे आप सब और हमारा राष्ट्र भी गौरवान्वित होगा।

धन्यवाद,

जय हिन्द!