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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

हरिद्वार: 28.11.2021

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इस समारोह में पतंजलि परिवार के उत्साही सदस्यों के बीच आ कर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। इस दीक्षांत समारोह के लिए अप्रैल के महीने में मेरे आने का कार्यक्रम बना था। परन्तु कोविड महामारी के कारण ऐसे सभी कार्यक्रमों को स्थगित करना पड़ा। आज इस समारोह में आकर मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एक अच्छा कार्य जो अधूरा रह गया था वह आज पूरा हो रहा है, वह भी स्वस्थ एवं उत्साह भरे वातावरण में। दीक्षांत समारोह में पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं तथा स्नातक,स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देता हूं।

देवभूमि उत्तराखंड में आना हर किसी के लिए सौभाग्य की बात होती है। हरिद्वार का हमारी परंपरा में विशेष महत्व रहा है। हरिद्वार को हर-द्वार भी कहा जाता है।‘हरि’ यानि विष्णु और‘हर’ यानि शिव। इस प्रकार हरिद्वार भगवान विष्णु और महादेव शंकर, दोनों की पावन-स्थली में प्रवेश का द्वार है। यहां की पावन धरती पर रहने का और शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलना आप सभी विद्यार्थियों के लिए बड़े सौभाग्य की बात है।

इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव जी ने योग की लोकप्रियता को बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। जन-सामान्य को भी योगाभ्यास से जोड़कर उन्होंने अनगिनत लोगों का कल्याण किया है। भारत सरकार के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सन 2015 में, प्रतिवर्ष 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। ऐसे प्रयासों के परिणामस्वरूप सन 2016 में ‘योग’ को युनेस्को द्वारा‘विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ की सूची में शामिल किया गया है।

कुछ लोग यह गलत धारणा रखते हैं कि योग किसी पंथ या संप्रदाय विशेष से सम्बद्ध है। ऐसा बिलकुल नहीं है। सही मायनों में योग तो शरीर और मन को स्वस्थ रखने तथा उच्चतर लक्ष्यों को प्राप्त करने की एक पद्धति है। इसीलिए योग को विश्व के हर क्षेत्र और विचारधारा के लोगों ने अपनाया है। 21 जून 2018 को मैंने अपनी विदेश यात्रा के दौरान सूरीनाम के तत्कालीन राष्ट्रपति तथा वहां के लोगों के साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया। उसी दिन मैं क्यूबा पहुंचा। हम सब जानते हैं कि क्यूबा एक साम्यवादी देश है। लेकिनक्यूबा के लोगों ने भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए समारोह आयोजित किए। क्यूबा के राष्ट्रपति ने योगासनों से मिलती-जुलती पद्धतियों का विवरण दिया जो वहां के लोगों में प्रचलित हैं। बाद में मेरे सुझाव पर, भारत सरकार ने क्यूबा के राष्ट्रपति एवं प्रथम महिला के लिए एक कुशल योग प्रशिक्षक की व्यवस्था की तथा उनके लिए योग के विषय पर पुस्तकें भेजी गईं। क्यूबा के राष्ट्रपति ने मुझसे कहा कि वे योग को समूची मानवता के लिए भारत के अनमोल उपहार के रूप में देखते हैं। इसके अतिरिक्त मैं एक जानकारी और भी साझा करना चाहता हूं। मुझे बताया गया है कि अरब योग फ़ाउंडेशन की संस्थापक सुश्री नौफ मारवाई को हाल ही में सऊदी अरब सरकार ने योग के प्रचार प्रसार की विशेष ज़िम्मेदारी दी है। सुश्री मारवाई को 2018 में योग के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए राष्ट्रपति भवन में‘पद्म श्री’ से सम्मानित करने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ था। मैं मानता हूं कियोग सबके लिए है और योग सबका है।

पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा जो प्रयास किए जा रहे हैं उनसे भारतीय ज्ञान-विज्ञान, विशेषकर आयुर्वेद तथा योग को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विश्व-पटल पर गौरवशाली स्थान प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। एक अध्ययन के अनुसार 18वीं शताब्दी तक विश्व की अर्थ-व्यवस्था में भारत का योगदान एक चौथाई से अधिक था। यह उल्लेखनीय है कि उस समय हमारे देश में हजारों गुरुकुल विद्यमान थे और सैकड़ों उच्च शिक्षण संस्थान प्राच्य विद्याओं में पठन-पाठन एवं अनुसंधान कर रहे थे। भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा का सम्मान विश्व-समुदाय द्वारा किया जाता है। मैंने अपनी विदेश यात्राओं के दौरान देखा है कि अनेक देशों में भारतीय विषयों से जुड़े अध्ययन केन्द्र सक्रिय हैं। विशेषकर इंडोलॉजी का अध्ययन विश्व के अनेक संस्थानों में किया जा रहा है।

आधुनिक विज्ञान के साथ हमारी परंपरा की प्रासंगिक ज्ञान-राशि को जोड़ते हुए भारत को‘नॉलेज सुपर पावर’ बनाने का जो लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने निर्धारित किया है उस मार्ग पर पतंजलि विश्वविद्यालय अग्रसर है। आपके विश्वविद्यालय के कुलगीत में इस शिक्षण संस्थान का वर्णन ‘पुरा संस्कृति और नवयुग का प्रतिष्ठान’के रूप में किया गया है जो सर्वथा सार्थक है। परंपरा व आधुनिकता के संगम के इस प्रयास के लिए मैं आप सभी की सराहना करता हूं।

प्रिय विद्यार्थियो,

आपके शिक्षण संस्थान में स्वदेशी उद्यमिता और रोजगार के साधनों को बढ़ावा देने की सोच पर आधारित शिक्षा द्वारा भावी पीढ़ी को राष्ट्र-निर्माण के लिए तैयार किया जा रहा है। मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि पतंजलि समूह के संस्थानों में भारतीयता पर आधारित उद्यमों और उद्यम पर आधारित भारतीयता का विकास हो रहा है।

आज से लगभग तीन हजार वर्ष पहले, ‘अथ योगा-नुशासनम्’ इन दो सरल शब्दों से आरंभ करके, महर्षि पतंजलि ने, छोटे-छोटे सारगर्भित वाक्यों के माध्यम से, योग-विज्ञान के विषय में,उपलब्ध समस्त जानकारी को, जिस प्रकार एक सूत्र में पिरोया, वह समूचे विश्व समुदाय को भारत का उपहार है। ऐसे महर्षि पतंजलि के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय के आप सभी विद्यार्थियों को समग्र व्यक्तित्व एवं चरित्र का आदर्श प्रस्तुत करना है। हमारी परंपरा में विद्यार्थियों को सलाह दी जाती रही है, ‘स्वाध्यायान् मा प्रमद:’ अर्थात स्वाध्याय में प्रमाद मत करो। संस्कृत भाषा में शारीरिक शिथिलता के लिए आलस्य तथा मानसिक शिथिलता के लिए प्रमाद शब्द का प्रयोग किया जाता है। आलस्य और प्रमाद को त्याग कर आप सब योग-परंपरा में उल्लिखित‘अन्नमय कोश’, ‘मनोमय कोश’ और‘प्राणमय कोश’ की शुचिता हेतु सचेत रहेंगे। और‘विज्ञानमय कोश’ और‘आनंदमय कोश’ तक की आंतरिक यात्रा पूरी करने की महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ेंगे, यह मेरा विश्वास है। सौभाग्य से इस विश्वविद्यालय में आप सबको सुयोग्य आचार्यों का मार्गदर्शन उपलब्ध है।

योग पर आधारित जीवन पद्धति व्यक्ति को संवेदनशील भी बनाती है। पतंजलि विश्वविद्यालय के आप सभी विद्यार्थियों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि करुणा और सेवा के आदर्शों को आप अपने आचरण में ढाल कर समाज सेवा करते रहेंगे।

करुणा और सेवा के अद्भुत उदाहरण हमारे देशवासियों ने कोरोना का सामना करने के दौरान प्रस्तुत किए हैं। कोरोना महामारी के साथ मानव समुदाय का संघर्ष अभी जारी है। यह उल्लेखनीय है कि हमारे सभी देशवासियों ने, खासकर कोरोना वारियर्स ने, बड़े साहस और कुशलता से इस महामारी की चुनौती का सामना किया है। आज हम गर्व के साथ यह कह सकते हैं कि हमारा देश विश्व के उन थोड़े से देशों में से है जिन्होंने न सिर्फ कोरोना के मरीजों की प्रभावी देखभाल की है अपितु इस बीमारी से बचाव हेतु वैक्सीन का भी उत्पादन किया है। हमारे देश में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है।

प्रिय विद्यार्थियो,

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने अनेक उपकरणों की सहायता से चिकित्सा के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है। आयुर्वेद तथा योग-विज्ञान ने सृष्टि द्वारा विकसित सर्वश्रेष्ठ उपकरण अर्थात मानव शरीर पर गहनता से मनन और शोध किया। और शरीर के माध्यम से ही रोग-मुक्त और भोग-मुक्त होने के प्रभावी मार्ग विकसित किए। सृष्टि के साथ सामंजस्यपूर्ण जुड़ाव ही आयुर्वेद एवं योग-शास्त्र का लक्ष्य है। इस सामंजस्य के लिए यह भी आवश्यक है कि हम सभी प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली को अपनाएं तथा प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन न करें। प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना तथा प्राकृतिक उत्पादों का प्रयोग करना हम सभी के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।

देवियो और सज्जनो,

मुझे बताया गया है कि पतंजलि विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिएविशेष Cell का गठन किया गया है। मुझे प्रसन्नता है कि इस पहल द्वारा हमारे देश की ज्ञान परंपरा को संपूर्ण विश्व में प्रसारित किया जा सकेगा। मुझे यह भी बताया गया है कि अन्य देशों से भी विद्यार्थियों का आना शुरू हो गया है। मैं आशा करता हूं कि भविष्य में विदेश से आने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि होगी। ऐसे विदेशी विद्यार्थियों के माध्यम से हम भारतीय मूल्यों और संस्कारों का विश्व भर में प्रचार-प्रसार कर सकेंगे। यह 21वीं सदी के नए भारत के उदय में पतंजलि विश्वविद्यालय का विशेष योगदान होगा।

आज जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव बना रहे हैं,तब हमें अपने ऐसे विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को और भी अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए जो हमारी संस्कृति को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नई ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। स्थापना के बाद की अल्प अवधि में ही पतंजलि विश्वविद्यालय ने जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं उसके लिए मैं इस विश्वविद्यालय के वर्तमान एवं पूर्ववर्ती शिक्षकों,विद्यार्थियों और व्यवस्थापकों को हार्दिक बधाई देता हूं।

एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर मैं आप सब का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय तथ्य है कि पतंजलि विश्वविद्यालय में छात्रों की अपेक्षा बेटियों की संख्या अधिक है। यह प्रसन्नता की बात है कि परंपरा पर आधारित आधुनिक शिक्षा का विस्तार करने में हमारी बेटियां अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। मुझे विश्वास है कि आप सभी छात्राओं में से आधुनिक युग की गार्गी,मैत्रेयी, अपाला, रोमशा और लोपामुद्रा निकलेंगी जो भारतीय मनीषा और समाज की श्रेष्ठता को विश्व पटल पर स्थापित करेंगी।

अंत में, एक बार फिर मैं आप सब को पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की हार्दिक बधाई देता हूं और आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल-कामना करता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!