ग्लोबल क्लबफुट कांफ्रेन्स के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण
विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 01.11.2017
1. मुझे भारत में आयोजित प्रथम ग्लोबल क्लबफुट कांफ्रेंस का उद्घाटन करते हुए प्रसन्नता हो रही है, जिसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय,भारत सरकार और अन्य भागीदार संस्थाओं के सहयोग से क्योर इंटरनेशनल इंडिया ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जा रहा है। मैं29 भारतीय राज्यों के उन 500डाक्टरों का स्वागत करता हूं जो इस कांफेंरस में भाग ले रहे हैं और लगभग20देशों के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का जो यहां पर मौजूद हैं।
2. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि क्लबफुट सामान्य हड्डियों की जन्मजात बीमारियों में से एक है। यदि इसका उपचार जल्द नहीं किया गया तो यह स्थायी विकलांगता का रूप ले सकता है। यह बच्चे की गतिविधि और आत्मविश्वास को प्रभावित करती है। अनिवार्य रूप से, शिक्षा और स्कूली पढ़ाई का नुकसान होता है और बच्चा अपनी क्षमता का विकास नहीं कर पाता।
3. विडम्बना है कि क्लबफुट उपचारात्मक है। यह अनुमान लगाया जाता है कि प्रति वर्ष50,000 से अधिक बच्चे क्लबफुट सहित पैदा होते हैं। इस जन्मजात विकलांगता के वास्तविक कारण पूरी तरह से मालूम नहीं हैं। अभी हाल ही तक, क्लबफुट रोगी बच्चों का सर्जरी से उपचार किया गया। यह अभिभावकों के लिए महंगा और बच्चों और उनके परिवारों के लिए दर्दनाक था। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जरी तक पहुंच मुश्किल थी। इस प्रकार बहुत से रोगियों का उपचार नहीं हो सका। उन्हें जीवनभर इस दिव्यांगता और रोग के इस विशेष चिन्ह के साथ रहना पड़ा।
4. भारत में विकलांगता के बोझ से 10 मिलियन लोग प्रभावित हैं। शारीरिक रूप से विकलांग और दिव्यांग, जैसा हम उन्हें कहते हैं,को जीवन के सभी पहलुओं में अवसर मिलना चाहिए। उन्हें सामाजिक और व्यवसायिक अनुभव की मुख्यधारा में लाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इस प्रकार, इन विकलांगताओं में से अनेक से रोकथाम की जा सकती है या उनको लाना, इन्हें समानान्तर रहना चाहिए।
5. हम पोलियो का उदाहरण लेते हैं। पोलियो, एक ऐसा रोग है जिससे कभी-कभी क्लबफुट का भ्रम हो जाता हे। भारत को गर्व है कि हमने पोलियो माइटिस के नए मामलों का उन्मूलन कर दिया । एक समय था जब पोलियो लोको-मोटर विकलांगता का गंभीर कारण था, परन्तु पिछले छ:ह वर्षों में हमारे यहां पोलियो-माइटिस का एक भी मामला नहीं पाया गया। एक लोक स्वास्थ्य के इतिहास में एक बड़ी शुरूआत है। केवल भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक रूप से भी। इससे हमें अन्य विकलांगतों और अन्य रोगों के उन्मूलन की दिशा में कार्य करने की प्रेरण लेनी चाहिए,इससे हमें क्लबफुट की चुनौतियों से निपटने में प्रोत्साहन मिलेगा।
6. मित्रो, हम सचमुच भाग्यशाली हैं कि क्लबफुट के उपचार और उसे ठीक करने के लिए एक सापेक्ष अद्यतन पद्धति-मॉनसेती मैथड-का विकास सर्जरी के बगैर किया गया है। अब इसे क्लबफुट के उपचार में गोल्उ स्टैंडर्ड (विशिष्ट) माना जाता है। इससे सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती। प्रश्न सफलता का है। मॉनसेती मैथड और क्लबफुट की आवश्यकता है कि क्लबफुट से ग्रस्त सभी बच्चों को उपचार का पूरा कोर्स करना होगा,इसमें अनेक वर्ष लग जाते हैं। यदि हम सफल होना चाहते हैं हमें इसे एक मिशन की तरह लेना होगा-जैसा कि पोलियो और पूर्व से ही चेचक का मामला था।
7. इसलिए मैं यह देखकर प्रसन्न हूं कि सार्वजनिक अस्पताल क्योर इंटरनेशनल इंडिया के साथ यथा संभव बच्चों तक पहुंचने के लिए भागीदार हो रहे हैं। सरकार और सिविल सोसायटी संगठनों के बीच ऐसे प्रयास होना सुखद अनुभूति है। जिसमें सरकारी मैडिकल कॉलेज के शिक्षक और लोक स्वास्थ्य प्रणाली के डॉक्टर भाग ले रहे हैं।
8. यह कार्यक्रम 2009 में आरंभ हुआ था। आठ सालों में इस दौड़ ने 40,000 बच्चों को इस उपचार में पंजीकृत किया। पहले से ही,यह विश्व का ऐसा सबसे बड़ा कार्यक्रम है। मैं इस कार्यक्रम में भागीदार सभी को बधाई देता हूं-विशेषकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जिसने क्लबफुट के अनेक बच्चों की पहचान करने में मदद की, क्योर इंटरनेशनल इंडिया के साथ भागीदारी में उपचार की चुनौती की शुरूआत के लिए राज्य सरकारें भी सराहनीय हैं।
9. और अंत में हमें देश के मैडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में प्रोफेसरों, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी सराहना करनी चाहिए। वे क्लबफुट के विरुद्ध हमारे अग्रतम सैनिक हैं।
10. इन सफलताओं के बावजूद हम इस बात की उपेक्षा नहीं कर सकते कि वर्तमान दर पर केवल 8,000 नए मामले प्रति वर्ष उपचार के दायरे में लाए जाते हैं। यदि क्लबफुट वाले बच्चों के प्रति वर्ष 30,000 पर विचार करें तो यह संख्या बहुत छोटी है।2022 में भारत स्वतंत्रता के75 वर्ष पूरे करेगा,उस समय तक क्लबफुट की स्थिति मालूम होते ही उपचार शुरू हो जाए,ऐसा हमारा राष्ट्रीय संकल्प होना चाहिए।
11. हम लोक स्वास्थ्य की चुनौतियों से क्लबफूट को हराने और हटाने का कार्य अगली पीढ़ी पर छोड़ते हैं। हम प्रत्येक उस बच्चे जो कष्ट में हैं, प्रत्येक उस माता-पिता पर जो अपने बच्चे के दर्द का हिस्सा बना हुआ है, पर छोड़ते हैं। जैसे कि पोलियो के मामले में,इसके लिए कई शाखाओं,भागीदारों तक पहुंचना होगा जिसमें सार्वजनिक और निजी एजेंसियों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदायक,सरकार और सिविल सोसायटी संगठन ही नहीं बल्कि समस्त सोसायटी के प्रयोग भी शामिल होंगे।
12. मुझे विश्वास है कि यह किया जा सकता है। हम सब क्लबफुट का इतिहास जानते हैं। वर्ष 2022 तक हमें केवल क्लबफुट को इतिहास बनाना है।
मैं आप सबको और इस कांफ्रेंस को शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद !
जय हिन्द !