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क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम के शताब्‍दी समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का संबोधन

वेल्लोर : 04.05.2018

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1. मुझे क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज की चिकित्सा शिक्षा शताब्‍दी के उपलक्ष्‍य में आयोजित समारोह के लिए वेल्लोर आकर प्रसन्नता हुई है।मैं इस संस्थान को बधाई देता हूं जिसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार भारत के सभी चिकित्सा कॉलेजों में तीसरा स्थान प्राप्‍त है। मैं क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज के पुराने और वर्तमान विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों को तथा डॉक्टरों, शोधकर्ताओं और प्रशासकों को भी शुभकामनाएं देता हूं। आपका संस्थान और इसकी उपलब्धियां समूचे देश के लिए गर्व का विषय हैं।

2. 100 वर्ष पूरा करने का अवसर पीछे मुड़कर देखने और भविष्‍य के लिए नए सिरे से तत्‍पर होने का अवसर है। इस संबंध में क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज को अपने संस्थापक के जीवन-मूल्यों और आदर्शवाद से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए। 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका की कॉरनेल यूनिवर्सिटी से स्नातक करने के तुरंत बाद इडा सोफिया स्‍कडर भारत वापस आ गईं।यह वही देश था जहां उनके परिवार की अनेक पीढ़ियों ने निवास किया और कार्य किया था। यही वह देश था जहां चिकित्सा उसका मिशन बन गई।

3. उस समय भारत औपनिवेशिक शासन के अधीन था और अधिकांश लोग मुश्किल हालात में जी रहे थे। स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत ही खराब थीं। औसत जीवन प्रत्याशा लगभग 24 वर्ष ही थी। प्रति मिनट एक व्यक्ति की क्षय रोग से मृत्‍यु हो जाया करती थी।चार में से एक शिशु जन्‍म के बाद पहले वर्ष में ही मर जाता था। हैजा, चेचक और पोलियो जैसी अनेक महामारियों और रोगों का प्रकोप अकसर झेलना पड़ता था। स्वतंत्रता तब तक एकसपना ही थी। ऐसे भारत में ही इडा सोफिया स्‍कडरने स्वास्थ्य-चर्या के प्रति स्‍वयं को समर्पित कर दिया। 1918 में उन्होंने एक मेडिकल स्कूल की स्थापना की जिसे शुरू में केवल महिलाओं के लिए खोला गया था।1947 से लड़कों और लड़कियों दोनों ने यहां अध्ययन शुरू कर दिया।

4. भारत ने तब से लेकर आज तक काफी उन्नति की है। हमारी अर्थव्यवस्था में, कृषि और प्रौद्योगिकी में हुई क्रांति ने हमारे कार्यों, विचारों और रहन-सहन को बदल दिया है। अंततोगत्‍वा, हमारी स्वास्थ्य स्थिति में भी सुधार आया है। अब औसत जीवन प्रत्याशा 68 वर्ष से ऊपर है। पोलियो और चेचक जैसे लोग जिनसे कभी बहुत से लोगों की जान चली जाया करती थी,का उन्‍मूलन कर दिया गया है। हमारा टीकाकरण कार्यक्रम तेजी पकड़ रहा है। सरकार ने दुर्गम इलाकों तक पहुंचने और टीकाकरण से सभी बच्चों का लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए‘मिशन इंद्रधनुष’ आरंभ किया है।

5. प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतरी की दिशा में बदलाव हुआ है। इस संदर्भ में यह कहना होगा कि तमिलनाडु राज्य के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े उत्कृष्ट हैं और हमारे देश के लिए आदर्श बने हुए हैं।क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर जैसे संस्थानों ने इस प्रतिष्ठा में योगदान दिया है।

6. जन स्वास्थ्य एक वैश्विक जन सुविधा और मौलिक मानव अधिकार है। एक देश के रूप में हमारे द्वारा की गई प्रगति के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के मामले में क्षेत्रीय,ग्रामीण-शहरी और स्त्री-पुरुष व सामुदायिक असंतुलन बने हुए हैं। इन पर पूरी तरह ध्यान दिए बिना हम चैन से नहीं बैठ सकते। इन पर पूरी तरह ध्यान दिए बिना क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज का मिशन अधूरा रहेगा।

7. समाजों के पनपने,अर्थव्यवस्थाएं विकसित होने और आबादी के ताने-बाने में बदलाव आने के साथ-साथ देशों को रोग-व्‍याप्ति संबंधी संक्रमणकाल से गुजरना पड़ता है। भारत भी ऐसी संक्रमण कालीन स्थिति का अनुभव कर रहा है। इसके कारण रोग नियंत्रण में तीन प्रकार की चुनौतियां सामने आती हैं। हमें इन तीनों का एक साथ मुकाबला करना होगा।

8. सबसे पहले भारत को मातृत्व और शिशु मृत्यु दर तथा तपेदिक जैसे संक्रामक रोगों, मलेरिया जैसे मच्छर जनित रोगों, जल जनित रोगों जैसे हैजा, अतिसार तथा प्रतिरोधक टीकों से रोकी जाने वाली खसरा और टिटनेस जैसे रोगों को कम करना होगा।दूसरे, भारत को मधुमेह, हृदय रोगों और बहुत प्रकार के कैंसरों जैसी असंक्रामक और जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों में हो रही वृद्धि का भी समाधान खोजना होगा। और अंतत: हमें एचआईवी, एवियन फ्लू और एच1 एन1 इन्फ्लूएंजा जैसी दुबारा उभर रही संक्रामक बीमारियों के निदान और इलाज के लिए प्रणालियां विकसित करने की आवश्यकता है। वैश्वीकृत दुनिया में, उत्तरोत्तर वृहत्तर संख्या में लोगों के देश में और देश से बाहर यात्रा करने की स्थिति में थोड़े से भी मामले बहुत जल्दी महामारी का रूप ले सकते हैं।

9. इस त्रिस्तरीय चुनौती पर समूची स्वास्थ्यचर्या व्यवस्था में लगातार ध्यान दिया जाना होगा। इसके लिए रोगों की रोकथाम, स्वास्थ्यवर्धक आदतों को बढ़ावा देने तथा बीमार होने पर इलाज की जरूरत है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या का प्रभाव व्यापक होता है और इससे अनेक क्षेत्र प्रभावित होते हैं। इस चुनौती का सामना करने के लिए बहु-हितधारक कार्यनीति अपनानी होगी। इसमें सरकार और नागरिक समाज, निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्यचर्या प्रदाताओं, धर्मार्थ और आर्थिक संस्थानों को अपनी भूमिका और दायित्व निभाना होगा।

10. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और "आयुष्मान भारत” बीमा योजना इस व्यापक आधार वाले दृष्टिकोण के प्रति सचेत हैं। अपने सार रूप में, इनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्‍यक्ति वित्तीय या ऐसे ही अन्‍य संसाधनों के अभाव में स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न रहे। जन स्वास्थ्य का हमारा विचार समता और कुशलता, गुणवत्ता और मात्रा तथा सुलभता और किफायत के सिद्धांतोंसे निर्देशित होना चाहिए। स्वास्थ्यचर्या सबसे बढ़कर एक सेवा है। हां, यह एक कारोबार भी है परंतु किसी की जान बचाने से बड़ा कारोबार कोई नहीं है। मुझे विश्वास है किक्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज समुदाय इस बात से सहमत होगा।

11. जिन सिद्धांतों का मैंने पहले जिक्र किया है उनमें से एक सिद्धांत मात्रा का सिद्धांत है अर्थात हमारे देश में स्वास्थ्यचर्या पेशेवरों कीकमी को दूर करना। अधिक से अधिक कॉलेजों और चिकित्सा स्नातकों के लिए गुंजायश पैदा करने के लिए चिकित्सा शिक्षा में तुरंत सुधार किए जाने की जरूरत है। इंजीनियर और डॉक्टर हमारे हित के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। भारत में स्नातक इंजीनियरी की 1.47 मिलियन सीटें हैं लेकिन मेडिकल स्नातकों की सीटें केवल 67352 ही हैं। और इनमें भी पिछले चार सालों के दौरान लगभग 20 प्रतिशत सीटें बढ़ी हैं। एक देश और एक व्यवस्था के तौर पर हमें इस कमी को शीघ्र दूर करने की जरूरत है।

देवियो और सज्जनो

12. उत्कृष्टता के मामले में क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर की प्रतिष्ठा उचित ही है। कुष्ठ रोगियों पर भारत की पहली री-कंस्ट्रक्टिव सर्जरी यहीं पर की गई थी, और इसी प्रकार पहली सफल "ओपन हार्ट सर्जरी”और पहला गुर्दा प्रत्यारोपण भी यहां किया गया था। ये तो आपकी बहुत सारी उपलब्धियों में से केवल कुछ ही हैं। क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज में अनेक प्रकार के शोध हो रहे हैं। रोटावायरस वैक्सीन, हेपेटाइटिस, कुपोषण, बायो-इंजीनियरी और स्टेम सेल पर हाल के शोध ने भारत की स्वास्थ्य जरूरतों से संबंधित शोध के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है।

13. मुझे बताया गया है कि यहां के चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में पेशेवर विशेषज्ञता के साथ-साथ सामाजिक प्रासंगिकता और लोकाचार भी शामिल होता है। मुझे ज्ञात है कि आपके अस्पताल केचिकित्सीय प्रशिक्षण के अंतर्गत गांव और अभावग्रस्‍त इलाकों में तैनाती की जाती हैं। यह सराहनीय है। इसे जारी रखें। डॉक्टरों का मस्तिष्क तेज होना चाहिए परंतु इससे भी ज्यादा उनमें सहृदयता होनी चाहिए। क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर को चाहिए कि वह सहृदय डॉक्टरों और नर्सों को प्रशिक्षित करता रहे।

अगले 100 वर्ष और उससे आगे भीआपका मिशन यही रहे।

धन्यवाद

जय हिंद