भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का वूमेन हेल्थ, वैलनेस ऐंड एम्पावरमेंट पर अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में सम्बोधन
कानपुर : 06.10.2018
1. आप सबके बीच पहुँचने से पहले इस मेडिकल कॉलेज के परिसर में स्थित, महान स्वतन्त्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने का मुझे आज सौभाग्य मिला। जैसा कि हम सभी जानते हैं, कानपुर ही उनकी कर्म-स्थली थी। विद्यार्थी जी को, देश-प्रेम से ओत-प्रोत, उच्च-स्तरीय हिन्दी पत्रकारिता का आदर्श माना जाता है। अपनी कलम की ताकत से, हमारे स्वाधीनता संग्राम को शक्ति प्रदान करने वाले विद्यार्थी जी ने, सामाजिक शांति और सौहार्द के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। पूरा देश उनका सम्मान करता है। उनके नाम से जुड़कर, इस मेडिकल कॉलेज का गौरव बढ़ा है। मैं समझता हूँ कि गणेश शंकर विद्यार्थी के देश-प्रेम और सामाजिक सौहार्द के आदर्शों का अनुसरण करना, हर भारतवासी की, खासतौर से इस मेडिकल कॉलेज और कानपुर से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की, ज़िम्मेदारी है।
2. मुझे प्रसन्नता है कि फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स ऐंड गाइनिकॉलॉजिकल सोसाइटीज़ ऑफ इंडिया, तथा कानपुर ऑब्स्टेट्रिक्स ऐंड गाइनिकॉलॉजिकल सोसाइटी द्वारा आयोजित यह अधिवेशन महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तीकरण पर केन्द्रित है। मुझे बताया गया है कि आपकी संस्था पिछले 68 वर्षों से महिला स्वास्थ्य एवं कल्याण के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है।
3. मुझे इस बात की खुशी है कि आधुनिक चिकित्सा के विशेषज्ञों के इस अधिवेशन में चिकित्सा के क्षेत्र से बाहर के, परंतु महिला स्वास्थ्य एवं कल्याण को प्रभावित करने वाले सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों को ध्यान में रखा गया है। मुझे बताया गया है कि इस अधिवेशन के एक सत्र का विषय‘गर्भ संस्कार’ है जिसमें आज भी प्रासंगिक, स्त्री-स्वास्थ्य और प्रसूति से जुड़े भारत के परंपरागत ज्ञान पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
4. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि सन 2016 से शुरू किए गए भारत सरकार के‘सुरक्षित मातृत्व अभियान’ को‘फोगसी’ ने सक्रिय समर्थन प्रदान किया है। केंद्र सरकार के इस कार्यक्रम का उद्देश्य नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाओं को सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुंचाने और उन्हें सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करना है। इस अभियान के तहत किए गए प्रसूति-पूर्व जाँचों की संख्या ढेढ़ करोड़ से भी अधिक है तथा लाखों हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के मामलों पर ध्यान दिया गया है।
5. अनेक मोर्चों पर, सरकार, निजी क्षेत्र तथा‘फोगसी’जैसे संस्थानों के सामूहिक प्रयासों के बल पर देश में मैटरनल मोर्टेलिटी रेट वर्ष 2013 के सर्वेक्षण में 167 प्रति एक लाख जीवित जन्म से घटकर 2016 के सर्वेक्षण में 130 प्रति एक लाख तक आ गई है। उत्तर प्रदेश में यह संख्या 285 प्रति एक लाख से घटकर 201 तक आ गई है। लेकिन अभी काफी दूरी तय करनी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में इसे वर्ष 2020 तक 170 प्रति एक लाख जीवित जन्म तक घटाने का लक्ष्य रखा गया है। मुझे प्रसन्नता है कि राज्य सरकार द्वारा इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ प्रयास किए जा रहे हैं।
6. गर्भवती या प्रसव के बाद शिशुओं को दूध पिलाने वाली माताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु भारत सरकार ने जनवरी 2017 से‘मातृ वंदना योजना’ शुरू की है। बच्चों के स्वास्थ्य के लिए माँ के दूध की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अगस्त 2016 से केंद्र सरकार द्वारा‘माँ कार्यक्रम' के रूप में एक और अभियान शुरू किया गया है।
7. महिलाएं स्वस्थ रहेंगी तो परिवार स्वस्थ रहेंगे। और परिवार स्वस्थ रहेंगे तो पूरा देश स्वस्थ रहेगा। हमारे देश में, सामाजिक और आर्थिक अभाव का महिलाओं पर और भी अधिक असर पड़ता है। कमजोर वर्गों के लोग अपने परिवार की बेहतर देखभाल कर सकें इस उद्देश्य से, पूरे देश में हेल्थ-केयर के ईको-सिस्टम को एक नया स्वरूप दिया जा रहा है। देश भर में तीन हजार से अधिक‘जन औषधि केन्द्रों’ पर साधारण आय वाले नागरिकों को काफी कम दरों पर गुणवत्ता-पूर्ण दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।‘मिशन इंद्रधनुष’ के तहत पचासी लाख गर्भवती महिलाओं और सवा तीन करोड़ से अधिक बच्चों का टीका-करण किया गया है। भारत से‘नियो नेटल टिटनेस’ का खात्मा कर दिया गया है।
8. स्वास्थ्य कल्याण के लिए बदलती हुई आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सन 2017 में एक नई स्वास्थ्य नीति लागू की गई जिसमें स्वास्थ्य सेवा को प्रभावित करने वाले सामाजिक और आर्थिक कारणों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
9. हाल ही में हमारे देश में ‘आयुष्मान भारत’ नाम की‘जन आरोग्य योजना’ का आरंभ किया गया है जिसमें सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से अपेक्षाकृत कमजोर वर्ग के देशवासियों को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाएंगी। साढ़े दस करोड़ से भी अधिक परिवारों के लगभग 50 करोड़ लोगों को लाभान्वित करने के लिए शुरू की गई यह योजना, विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है। पूरे यूरोप की आबादी के बराबर जनसंख्या को लाभान्वित करने वाली इस योजना से, उन करोड़ों परिवारों पर बीमारी के कारण पड़ने वाला आर्थिक बोझ घटेगा। अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना पर कार्य शुरू हो गया है।‘आयुष्मान भारत योजना’ के तहत लगभग डेढ़ लाख‘हेल्थ ऐंड वैलनेस सेंटर्स' में माताओं और शिशुओं को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का भी प्रावधान है।
10. आपके अधिवेशन की थीम सभी को प्रभावित करती है जिसमें कहा गया है -Give her wings and let her soar यानि उसे पंख दो और ऊंची उड़ान भरने दो। यह देखा गया है कि जब भी बेटियों को उड़ान भरने का अवसर मिलता है तो वे अधिक ऊंचाइयों तक पहुँचती हैं।हम सभी जानते हैं कि अभी भी हमारे समाज में बेटों के मुक़ाबले, बेटियों पर अधिक पाबंदियां लगाई जाती हैं। फिर भी वे अपनी शक्ति और विवेक के बल पर, हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं।
11. दुर्भाग्य से, हमारे देश में कुछ लोग अभी भी बेटियों के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं। मुझे खुशी है कि‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’,‘सुकन्या समृद्धि’ तथा‘किशोरी योजना' जैसे कार्यक्रमों से देशवासियों की सोच में बदलाव आ रहा है। सेक्स रेशियो में सुधार हुआ है।
12. अप्रैल 2017 से ‘मैटरनिटी बेनीफिट ऐक्ट' के तहत प्रसव, जन्म और उसके बाद मिलने वाली छुट्टियों की अवधि 90 दिनों से बढ़ाकर 182 दिन कर दी गई है। इससे माँ बनने वाली कामकाजी महिलाएं अपने नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल कर पा रही हैं। यह महिलाओं के स्वास्थ्य कल्याण तथा सशक्तीकरण का प्रभावी उदाहरण है।
13. अन्य ऐसे बदलाव भी हो रहे हैं जिनका लाभ स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहा है। हमारे देशवासियों ने स्वच्छता अभियान को एक जन-आंदोलन का रूप दे दिया है। पिछले चार वर्षों में, साढ़े आठ करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं। इतने बड़े पैमाने पर शौचालयों के निर्माण से अब हमारे 40 करोड़ से अधिक देशवासी ‘खुले में शौच’के अभिशाप से मुक्त होने के लिए समर्थ हो गए हैं। पूरे देश में, पाँच लाख से अधिक गाँव‘खुले में शौच’से मुक्त घोषित किए गए हैं। अनुमान है कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के दौरान अस्वच्छता के कारण होने वाली बीमारियों से लगभग तीन लाख लोगों की जान बचाई गई है।‘उज्ज्वला योजना’के तहत पिछले चार वर्षों के दौरान पाँच करोड़ से अधिक परिवारों को गैस के चूल्हे पर रसोई करने की सुविधा प्रदान की गई है। ऐसे परिवारों के करोड़ों सदस्यों के स्वास्थ्य को लाभ पहुँच रहा है। पहले उन्हें प्रतिदिन, कई घंटे धुएँ से भरे माहौल में बिताने पड़ते थे जिसका सीधा असर उनके फेफड़ों और आँखों पर पड़ता था।
14. आपकी संस्था ने महिला सशक्तीकरण के जिन आयामों का उल्लेख किया है वे सभी महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, सामाजिक न्याय और संवेदना इन सभी पक्षों पर ध्यान रखते हुए महिलाओं को समुचित विकास के अवसर प्रदान करना एक मजबूत समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए जरूरी है। लेकिन इन सभी आयामों में सशक्तीकरण की सबसे ज़रूरी शर्त है शारीरिक स्वास्थ्य। भारतीय परंपरा में ठीक ही कहा गया है, ‘शरीरम् आद्यम् खलु धर्म साधनम्।’अर्थात किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए प्रयोग में आने वाला सबसे पहला साधन शरीर ही है। यह चेतना और जागरूकता आपको घर-घर पहुंचानी है।
15. मुझे आशा है कि अनुभवी विशेषज्ञों के इस अधिवेशन में, महिला-स्वास्थ्य-कल्याण के हित में जागरूकता बढ़ाने के प्रभावी सुझाव प्राप्त होंगे। राज्यपाल महोदय ने आज महिला सशक्तीकरण के अनेक आयामों को उजागर करने वाली पुस्तक की प्रति मुझे प्रदान की है। राज्यपाल महोदय सभी समुचित अवसरों पर, विशेषकर शिक्षण संस्थानों में, बेटियों और महिलाओं के उत्थान के लिए, अपने अनुभव और उत्साह से सबको प्रेरणा देते हैं। कानपुर-वासियों का यह सौभाग्य है कि उन्हें अनेक मुद्दों पर राज्यपाल महोदय का मार्गदर्शन निरंतर प्राप्त होता रहता है। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन इसी मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी रहे हैं। इस नाते, कानपुर-वासियों के साथ, उनका एक खास रिश्ता बन जाता है। कानपुर का होने के नाते, मेरा भी उनके साथ विशेष जुड़ाव रहा है।
16. हमारे बहुत से देशवासियों को सरकार द्वारा या आपकी संस्था जैसी अनेक संस्थाओं द्वारा, उनके लाभ के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी ही नहीं होती है। अपेक्षाकृत वंचित वर्गों में, खासकर उन वर्गों की महिलाओं में जानकारी का स्तर और भी कम है। इसलिए, यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि ऐसे तबकों तक उनके लाभ और कल्याण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की ठीक-ठीक जानकारी पहुंचे। आप जैसे विशेषज्ञों की संवेदनशीलता और सक्रियता से करोड़ों भारतवासियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के जीवन में बहुत सुधार लाया जा सकता है। आप सब इस क्षेत्र में योगदान देते रहे हैं। इसके लिए मैं सबकी सराहना करता हूँ। मुझे विश्वास है कि ‘फोगसी’ और‘कॉग्स’ के सभी सदस्य स्वास्थ्य कल्याण के लिए समग्र प्रयास करते रहेंगे। और इस प्रकार भारतीय समाज के उत्थान में अपना भरपूर योगदान देंगे।