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भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द द्वारा FULFILLING BAPU’S DREAMS – PRIME MINISTER MODI’S TRIBUTE TO GANDHIJI नामक पुस्तक की प्रथम प्रति की स्वीकृति के अवसर पर सम्बोधन

राष्ट्रपति भवन : 09.03.2018

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1. इस पुस्तक की पहली प्रति को प्राप्त करके मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

2. बापू के सपनों से जुड़ी यह किताब उनके ‘मेरे सपनों का भारत’ नामक पुस्तक की याद दिलाती है जिसमे इसी शीर्षक से एक निबंध भी है। उस निबंध में गांधीजी ने कहा था कि, "मैं ऐसे भारत के लिए कोशिश करूंगा, जिसमें गरीब-से-गरीब लोग भी यह महसूस करेंगे कि यह उनका देश है जिसके निर्माण में उनकी आवाज का महत्त्व है। मैं ऐसे भारत के लिए कोशिश करूंगा जिसमें ऊंचे और नीचे वर्गों का भेद नहीं होगा........... उसमें स्त्रियों को वही अधिकार होंगे जो पुरुषोंको होंगे”।

3. अपनी उस पुस्तक में गांधीजी ने ‘गांवों की सफाई’ और ‘राष्ट्र का आरोग्य, स्वच्छता और आहार’ जैसे विषयों पर अलग से अपने विचार व्यक्त किए थे। भारत को पूरी तरह स्वच्छ बनाना हर भारतवासी की ज़िम्मेदारी है, यह बात लगभग सौ साल पहले महात्मा गांधी ने खुद सफाई करते हुए सबको सिखाने की कोशिश की थी।

4. आजादी के बाद के दौर में स्वच्छता को एक सुनियोजित सामाजिक अभियान के रूप में आगे बढ़ाने में डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक जी का सराहनीय योगदान रहा है। उन्होने अपनी पीढ़ी की और अपने क्षेत्र के बहुत से लोगों की तथाकथित वर्ण, जाति और वर्ग से जुड़ी सोच से ऊपर उठते हुए मल के लिए सुविधा, प्रबंधन और निस्तारण के क्षेत्र में पहल की। जब स्वच्छता को महत्व नहीं दिया जाता था उस दौर में उन्होने स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने के लिए अपनी संस्था ‘सुलभ इन्टरनेशनल’ की स्थापना की जिसे आज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति और सम्मान प्राप्त है।

5. राष्ट्र के नैतिक तथा आध्यात्मिक पुनर्निमाण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के अपने प्रयासों के द्वारा सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। वे प्रकृति और मानवता के अटूट संबंध को समझाते हुए ‘ग्रीन-हैण्ड्स’ और ‘वन-श्री’ जैसे प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके ‘रैली फॉर रिवर्स’ अभियान ने व्यापक स्तर पर जन-चेतना जगाई जिसका जल-प्रबंधन पर प्रभावी असर पड़ेगा। प्रकृति का संरक्षण अध्यात्म की पहली सीढ़ी है, यह बात उनके प्रयासों में दिखाई देती है।

6. स्वच्छता को एक राष्ट्रीय जन-आंदोलन का रूप देते हुए देश के सामने गांधीजी की 150वीं पुण्य-तिथि यानि 2 अक्तूबर 2019 तक ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का लक्ष्य देकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने गांधीजी के स्वच्छता के प्रति आग्रह को देश के जन-मानस से जोड़ा है। उन्होने इस मिशन के कार्यक्रमों के जरिए यह स्पष्ट किया है कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के सभी लक्ष्यों को प्राप्त करके ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति हम सच्ची श्रद्धा व्यक्त कर सकेंगे।

7. यह सभी मानते हैं कि खुले में शौच करने सेअनेक बीमारियां फैलती हैं। एक अनुमान के अनुसार ऐसी बीमारियों की वजह से भारत में रोज़ लगभग एक हजार बच्चों की मृत्यु होती हैं, तथा बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता हैं।इन बीमारियों से गरीब तबके के लोगों की कमाने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि स्वच्छता के लिए काम करना सही मायनों में गरीबों की सेवा करना है।

8. बापू के सपनों को साकार करने की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रयास वास्तव में राष्ट्रपिता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हैं। इस अर्थ में आज मुझे दी गई यह पुस्तक, आज़ादी के बाद के भारत के विकास के उस महत्वपूर्ण पहलू को रेखांकित करती है जो पिछले कुछ वर्षों में उभर कर सामने आया है। यह पहलू है - देश के विकास की प्रक्रिया को व्यापक जन-भागीदारी से जोड़ना, इसे जन-आंदोलन का रूप देना, साधारण नागरिकों की व्यावहारिक जरूरतों को नीति और व्यवस्था में केन्द्रीय महत्व देना और नैतिक आदर्शों को दृढ़ता के साथ जन-जीवन में स्थापित करना। विकास के इस पहलू में महात्मा गांधी के विचार और कार्य-पद्धतियां परिलक्षित होती हैं।

9. समावेशी विकास के प्रयासों के कारण समाज के आर्थिक पिरामिड का सबसे नीचे का तबका आज अर्थ-व्यवस्था के मुख्य ढांचे से जुड़ गया है। महिलाएं और बेटियां अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बदलाव महसूस कर रही हैं। आज ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के फलस्वरूप गांव-कस्बों के स्कूलों में बेटियों की पढ़ाई जारी रखने में मदद मिल रही है। स्वच्छता - अभियान के द्वारा महिलाओं को गरिमा और न्याय दिलाने से जुड़ी कई अनदेखी समस्याओं का समाधान हो रहा है।

10. एक अग्रणी राष्ट्र के लिए स्वच्छता का होना बुनियादी शर्त है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छता को उच्चतम प्राथमिकता दी है और इसे जन आन्दोलन का रूप दिया है। आजादी के बाद, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों को बड़े पैमाने पर, व्यावहारिक धरातल पर, राष्ट्र-निर्माण के साथ जोड़ने का प्रधानमंत्री का प्रयास, भारत की विकास यात्रा में एक निर्णायक बदलाव के रूप में सामने आता है। इस बदलाव को रेखांकित करने की दिशा में यह पुस्तक एक सराहनीय प्रयास है।

11. गांधीजी ने कहा था कि, "मैं भारत को स्वतंत्र और बलवान बना हुआ देखना चाहता हूं”।भारत को एक ‘बलवान’ देश के रूप में देखने के उनके सपने को साकार करने की दिशा में हमारा देश आज एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है।

12. स्वच्छता, ग्रामोदय, महिला-कल्याण जैसे कुछ क्षेत्रों में बापू के बताए रास्तों पर चलने के प्रधानमंत्री के प्रयासों के बारे में यह पुस्तक जानकारी देती है।

13. मैं इस पुस्तक के लेखन और प्रकाशन से जुड़ी ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ की टीम को बधाई देता हूं और इस पुस्तक की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

जय हिन्द!