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केन्‍द्रीय वित्त व लेखा सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से भेंट के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 09.05.2018

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1. मुझे आपसे मिलकर और आपके प्रशिक्षण तथा अनुभव के बारे में जानकर खुशी हुई है। आप सब उत्साही और प्रतिभावान अधिकारी हैं जो शीघ्र ही भारतीय सिविल लेखा सेवा, भारतीय रक्षा लेखा सेवा और भारतीय डाक और दूरसंचार (वित्त और लेखा सेवा) में कार्य करेंगे। आप जिन सेवाओं में शामिल हुए हैं, वे हमारे राष्ट्र निर्माण की प्रमुख आधार स्तंभ हैं और इसलिए आपसे बहुत अधिक उम्‍मीदें हैं।

2. मैं समझता हूं कि राष्ट्रीय वित्त प्रबंधन संस्थान में आप का प्रशिक्षण चल रहा है और शीघ्र ही आप भारत की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए तत्पर, कौशल युक्‍त और विश्‍व की सर्वोत्तम पद्धतियों से अवगत हो जाएंगे।आपका कार्य और दायित्व देश में‘सुशासन’के निर्णायक तत्‍व के तौर पर काम करता है। इसलिए आपको अपने-अपने क्षेत्रों में हर समय नैतिकता, जवाब देही और पारदर्शिता के उच्च मानदंड कायम रखने होंगे। आपको सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। क्‍योंकि चाहे सरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र,हम जानते हैं कि समय बद्ध तरीके से कार्य करवाने के लिए वित्तीय प्रशासकों की भूमिका बहुत अहम है। मैं उम्मीद करता हूं कि आप इस दिशा में भरसक प्रयास करेंगे।

3. हमारी सरकार का मूल मंत्र‘न्यूनतम नियंत्रण, अधिकतम शासन’है। इसी प्रकार, आज जनसेवा संदाय में उत्‍तरोत्‍तर दक्षता के प्रति हमारे नागरिकों की उम्मीदें बढ़ रही हैं। आपका मौजूदा कार्य अपेक्षाओं से भरा हुआ है। परंतु चाहे नई सूचना प्रद्योगिकी साधन हों, पेमेंट गेटवे हों या साइबर स्पेस की अनंत संभावनाएं हों, आप अपने कार्य में प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक समेकन से अपेक्षित परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। हमारे लेखांकन,बजट और लेखापरीक्षा प्रणालियों में सुधार करना तथा विश्व के सर्वोत्तम तरीकों के अनुरूप उन्‍हें निरंतर अद्यतन बनाने का कार्य आपकी प्राथमिकता सूची में हमेशा ऊपर रहना चाहिए। उपार्जन लेखांकन से लेकर समेकित वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणालियों में हमें नवीनतम पद्धतियों के साथ ताल-मेल बनाए रखना है।

4. भारत उच्‍च विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है; अत: हमें तदनुसार ही अपनी वित्तीय प्रबंधन प्रणालियों का भी विस्तार करना होगा। इसके लिए आपके और अधिक समर्पण तथा निष्ठा की जरूरत होगी विशेषकर जबकि सरकार विकास के नतीजे सब तक पहुंचाने और विकास को समावेशी बनाने का भरसक प्रयास कर रही है।

5. एक और क्षेत्र जिसमें आपसे बहुत अधिक उम्मीद की जाती है, वह है- संसाधन जुटाने का। मैंविश्व भर में अपनाए जा रहे नवान्वेषी वित्तीयन मॉडलों के अध्ययन के लिए आपको प्रेरित करना चाहूंगा। इससे अवसंरचना विकास में तेजी लाने, सामाजिक परियोजनाओं का वित्‍त पोषण करने तथा 2022 तक हमारे द्वारा अपेक्षित 'नए भारत’के निर्माण के लिए घरेलू संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी और नए विचार हासिल होंगे।

6. जैसे-जैसे आप अपने-अपने करियर में आगे बढ़ेंगे, आपको नीति निर्माण के कार्य भी करने होंगे। मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगा कि अपनी इस हैसियत में आप यह गौर करें कि हम विकास और सातत्‍य को एक साथ कैसे जोड़ सकते हैं। साधनों की अल्‍प उपलब्‍धता में भी बेहतर करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। चाहे पानी हो, स्वच्छ ऊर्जा हो, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन हो या कचरे से पैसा पैदा करना हो, हमें इसी राह पर आगे बढ़ना होगा।

7. हम जिस दुनिया में रह रहे हैं वह बहुत तेज गति से बदल रही है। नवीकरणीय ऊर्जा, समुद्री अर्थव्यस्था, डिजिटल समाधान, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स’ इस बदलाव के प्रेरक बनने जा रहे हैं। इनमें, हमारे रहन-सहन को पूरी तरह से बदल देने, हमारे संसाधनों का संचालन और हिसाब-किताब रखने की क्षमता विद्यमान है। आपको इन बदलावों के लिए खुद को तैयार करना होगा और नवान्‍वेषी और समयबद्ध तरीके से इनके अनुरुप स्‍वयं को ढालना होगा।

8. और अंततोगत्वा, राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान, जहां आप प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, के बारे में कुछ शब्द कहना चाहूंगा।मेरा मानना है कि इस संस्‍थान ने देश में शासन को मजबूत बनाने में विशिष्ट योगदान दिया है।कौटिल्य के अर्थशास्त्र सेग्रहण किया गया इसका सूत्र वाक्य'मनुष्‍यवती भूमिरर्थ:'जिसका अर्थ है-मानव संसाधन राष्ट्र का वास्तविक धन है, से हमें प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलते रहना चाहिए। और यहां मैं आपकोएक और सुझाव देता हूं।आप जल्द ही राष्ट्र निर्माण की एक लंबी यात्रा की शुरुआत करेंगे। आप यह यात्रा विनम्रता और सह्दयता के साथ करें और समाज को तथासबसे गरीबों और जरूरतमंदों को उनका प्राप्‍य लौटाने का प्रयास करें।

9.मैं आप सबकी भावी जीवन-वृत्ति में आपकी सफलता की कामना करता हूं।

जय हिंद।