29वें महालेखाकार सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
नई दिल्ली : 10.10.2018
1. मुझे 29वें महालेखाकार सम्मेलन में यहां उपस्थित होकर खुशी हुई है। यह उन बातों का विश्लेषण और विचार-विमर्श करने का एक सही अवसर और मौका है कि हमें जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को प्रोत्साहित करने के अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए क्या जरूरी है । इस वर्ष के सम्मेलन का विषय ‘ऑडिटिंग एंड अकाउंटिंग इन ए डिजिटल इरा’है। सरकार डिजिटल इंडिया को अग्रसर करने करने के लिए तेज प्रगति कर रही है, इसलिए वर्तमान में यह विषय अत्यंत प्रासंगिक है। मैं आपके कार्य और डिजिटल इंडिया के उद्देश्यों के बीच श्रेष्ठ संगम देख रहा हूं।
देवियो और सज्जनो
2. नियंत्रक और महालेखा कार संस्थान सरकारों को जवाबदेह ठहराने, कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सुशासन के प्रोत्साहन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आपको अपने प्राप्त प्राधिकार और पेशेवरवाद के कारण सही प्रश्न ढूंढने का कौशल प्राप्त है। आपका कार्य नियमन के दायरे से आगे जाता है और सरकारी कार्यों में विवेक, अनुशासन और अर्थव्यवस्था का मूल्यांकन करता है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि 150 वर्ष पुराना यह संस्थान हमारी उम्मीदों पर खरा उतरा है। इसने सही चीज सही तरीके और कम खर्च में पूरी की जानी चाहिए, यह सुनिश्चित करने के लिए खातों के जरिए जवाबदेही को प्रोत्साहन देते हुए आगे बढ़ा है। यह संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 के अनुसार नियंत्रक और महालेखाकार के अधिदेश के अनुरूप है। हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा नियंत्रक और महालेखाकार को एक स्वतंत्र प्राधिकरण के रूप में सशक्त बनाया गया है और पूर्ण संरक्षण दिया गया है।
3. लेखा परीक्षा कार्यों, वित्तीय लेनदेन और प्रचालन के व्यापक अधिदेश और विस्तार तथा पूर्ण विश्लेषण के लिए आवश्यक विशेषज्ञता चुनौतीपूर्ण है। आप हमेशा अवसर पर खरे उतरे हैं। आप राष्ट्रीयखातों के संरक्षक ही नहीं रहे हैं बल्कि राष्ट्र के एक सजग प्रहरी और भारत की प्रगति में प्रमुख साझेदार रहे हैं।
4. यहां, संयुक्त राज्य के संदर्भ में राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन के शब्दों का उल्लेख करना उपयुक्त होगा। उन्होंने एक बार कहा था कि प्रशासन का सजग पर्यवेक्षण उतना ही महत्वपूर्ण है जितना विधान निर्माण। अपने वित्तीय, अनुपालन और निष्पादन लेखा-परीक्षा के जरिए आप प्रचालन पर जरूरी नजर रखने रख रहे हैं और सुधार के लिए संस्तुतियों दे रहे हैं। यही समय है कि संस्थान अंतर्दृष्टि और दूरदृष्टि प्रदान करने के बारे में मनन करे।
5. यह जानकर खुशी हुई कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक संस्थान ने एक आंकड़ा प्रबंधन नीति तैयार की है और यह अपने लेखापरीक्षा कार्य में आंकड़ा विश्लेषण का निरंतर प्रयोग कर रहा है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक वर्तमान में न केवल आंकड़ा विश्लेषण तकनीकों के प्रयोग के जरिए अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है बल्कि विश्वसनीय पूर्वानुमान उपलब्ध करवाने में मदद भी कर सकता है। एक डिजिटल अर्थव्यवस्था में व्यापक आंकड़ों के प्रबंधन और परीक्षण के लिए उपयुक्त साधनों के द्वारा नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अर्थव्यवस्था शिक्षा स्वास्थ्य पर्यावरण राष्ट्रीय सुरक्षा आदि से संबंधित दीर्घकालिक प्रवृत्तियों और उभरते हुए मुद्दों की पहचान करने की सही स्थिति में है।इसके लिए विधि निर्माताओं और कार्यपालिका के ध्यान की जरूरत है।
देवियो और सज्जनो,
6. सरकारी विभाग एक जैविक इकाई है। इसका एक आत्मा है और एक लक्ष्य है, एक प्रमुख दर्शन है, एक आदर्श है और अपना एक मस्तिष्क भी है। यह एक ढांचा है जिसमें अनेक सदस्य सौंपे गए कार्य करते हैं और इसमें गतिविधियों पर नियंत्रण पर रखने वाली एक व्यवस्था मौजूद रहती है। सेवा में कोई भी व्यवधान या कमी प्रणाली की कमजोरी का संकेत है। एक सचेत प्रहरी के रूप में अपने आप से पूछे कि क्या यह प्रणाली में ऐसे कमजोर स्थानों और कमियों की जानकारी देने में मदद करता है या मामूली लक्षणों को की जानकारी देती है। श्रेष्ठ प्रणालियां बुरे पुरुषों और महिलाओं को ठीक कर देती हैं। आप इसमें योगदान कर सकते हैं।
7. शासन के अनेक स्तर पर आपके लेखा-परीक्षा कार्यों का दायरा आपको यह देखने का अनूठा अवसर प्रदान करता है कि कहां पर कौन सी चीज गलत हो रही है और क्यों हो रही है। इससे भी अधिक आपकी इस पर एक तेज नजर रहती है कि क्या कारगर होगा और प्रणाली में कौन सी बेहतर तरीके अपनाए जाने चाहिए। जब ऐसे अच्छे तरीकों का आपकी रिपोर्ट में उल्लेख किया जाता है तो इससे न केवल कार्यपालिका को प्रोत्साहित मिलता है बल्कि यह दूसरों के लिए भी पथ-प्रदर्शक बन जाती है। हमारे देश के लिए यह एक अपार गर्व का विषय है कि नियंत्रक और महालेखा परिक्षक संयुक्त राष्ट्र लेखा-परीक्षा मंडल की पीठ है। इस उपलब्धि के भाग के रूप में, आप संयुक्त राष्ट्र और इसकी एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित कार्यक्रमों की जांच और उनका आकलन करने के लिए लेखा-परीक्षा टीमों को भेजते हैं। यदि आप इन संस्थाओं द्वारा अपनाई गई श्रेष्ठ परिपाटियों को साझा करें तो यह राष्ट्र के प्रति आपकी एक महान सेवा होगी, इनसे हमें कार्यक्रम सुपुर्दगी के नए और कुशल तरीकों की जानकारी हासिल होगी।
8. लेखापरीक्षा अपने आप में एक साध्य नहीं है। यह सरकार के लिए बेहतर ढंग से काम करने का साधन है। ऐसी स्थिति में मेरा मानना है कि हमें परिणामों की अपेक्षा कार्यक्रम के महत्व के और अधिक सार्थक मापदण्ड के रूप में निष्कर्षों पर जोर देना होगा। एक संगठन के रूप में, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक चिंतन कर सकता है कि कार्यक्रमों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए किस प्रकार निष्कर्षों की पहचान, समझ और पैमाइश की जाए। आपको योजना बनाने, कार्यान्वयन करने और अपने निष्पादन मूल्यांकन की रिपोर्ट बनाने के लिए अपनी कार्यनीतियों और तकनीकों का संयोजन करना होगा जिससे निष्कर्षों का सही मापन हो सके। कार्यक्रम प्रभावशीलता का ऐसा अध्ययन नीति निर्माताओं के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगा। ऐसे अध्ययन में कार्यान्वयन एजेंसियों के उत्प्रेरकों और परिप्रेक्ष्य को समझने के लिए उनके साथ संवाद भी शामिल किया जाना चाहिए।
9. सतत विकास लक्ष्य हमारे राष्ट्र की विकास कार्य सूची में प्रतिबिंबित हैं। संसाधन की कमियों के बावजूद सरकार सर्व ग्रामीण विद्युतीकरण, सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार, सभी के लिए स्वच्छता और आवास तथा सर्व प्राथमिक विद्यालयी शिक्षा के रूप में ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत सराहनीय तात्कालिकता के साथ कार्य कर रही है।
10. मुझे विश्वास है कि लेखा-परीक्षकों के तौर पर आप इन परियोजनाओं की प्रकृति, आकार और परिवर्तनकारी स्वरूप से भलीभांति परिचित होंगे। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक संस्थान श्रेष्ठ तरीकों के प्रलेखन, संकेतकों के निर्माण, अपनी लेखा-परीक्षा के जरिए प्रगति पर रिपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय अनुभव को साझा करके मदद कर सकते हैं। यह हम सभी के लिए सीखने का यह अच्छा अनुभव होगा।
देवियो और सज्जनो,
11. हाल के समय में हमने निधियों, प्रकार्यों और अधिकारियों का विकेंद्रीकरण किया है। राज्य सरकारों को और अधिक छूट उपलब्ध है। स्थानीय निकायों और पंचायतों के माध्यम से अनेक कल्याणकारी योजनाएं लागू की जाती हैं। यद्यपि यह सच है कि स्थानीय स्तर पर जवाबदेही तंत्र उतना मजबूत नहीं है। अधिकतर योजना के लाभार्थियों द्वारा ही खातों की यह सामाजिक लेखा परीक्षा की जाती है कि क्या पैसा सही प्रकार से खर्च किया गया है और क्या उससे परिलक्षित परिवर्तन आया है। ऐसी स्थिति में एक संस्थान के रूप में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक दिशानिर्देशों के निर्माण, लेखापरीक्षा के मापदंडों, पद्धतियों बद्रीय और प्रतिवेदन तैयार करने के लिए स्थानीय नागरिकों और राज्य लेखापरीक्षा सोसायटियों के प्रशिक्षण देने, क्षमताओं के निर्माण और परामर्श जारी करने के लिए उनके साथ साझेदारी कर सकता है।
12. मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप अपने आसपास, लोगों और प्रणालियों की जानकारी हासिल करने के लिए अपने-अपने कार्य क्षेत्र का दौरा करने के लिए कुछ समय निकालें। आप न केवल उनके बही खातों में को देख सकेंगे बल्कि उन्हें सुन भी सकेंगे। यह बहुत जरूरी है। कुल मिलाकर 'ऑडिट' शब्द का उद्गम लेटिन भाषा से हुआ है, जिसका अर्थ है, 'सुनना'। एक अच्छा लेखा परीक्षक एक अच्छा श्रोता भी होता है।
13. इन्हीं शब्दों के साथ, मैं 29वें महालेखाकार सम्मेलन की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।