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उच्च शिक्षा के विभिन्न केन्द्रीय संस्थानों के कुलपतियों, निदेशकों और प्रमुखों की बैठक में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 14.12.2019

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1. अपने-अपने संस्थानों से संबंधित विविध विषयों आप सभी के द्वारा की गई सारगर्भित किन्तु अत्यंत शिक्षाप्रद प्रस्तुतियों के लिए मैं, सबसे पहले, आप सभी को धन्यवाद देता हूं। उच्च-श्रेणी के शोध-कार्यों के साथ-साथ नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना तथा उद्यो क्षेत्र एवं शैक्षिक सस्थाओं के बीच जुड़ाव स्थापित करना सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य है। इनके अलावा, हमें रिक्त पदों को भरने, पूर्व विद्यार्थियों पर आधारित अक्षय निधि (एंडोमेंट फण्ड) के सृजन औरउसके उपयोग तथा अवसंरचनात्मक परियोजनाओं को पूरा करने के तौर-तरीके खोजने की आवश्यकता है। इनमें से प्रत्येक लक्ष्य अत्यंत महत्वपूर्ण है और मुझे प्रसन्नता है कि आज प्रमुख रूप से इन सभी विषयों पर विचार-विमर्श किया गया है।

2. आप सभी महानुभाव उन केन्द्रीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो स्‍वयं में विशिष्‍ट हैं। इन संस्थानों में कृषि; भेषज्ञ विज्ञान; विमानन; डिज़ाइन; फुटवियर डिजाइन; फैशन; पेट्रोलियम और ऊर्जा; समुद्री अध्ययन; योजना तथा वास्तुकला और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विविधता-प्राप्‍त क्षेत्रों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता है। ‘उत्कृष्टता की ललक’ का समान सूत्र आप सभी को एकजुट किए हुए है और इस प्रकार का ताल-मेल तभी संभव होता है जब आप लोगों में से कुछ लोग साथ मिलकर काम करने की संभावना तलाशें। आप लोगों के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए ही आपको इस समान मंच पर आमंत्रित किया गया है। मैं इस विषय पर बाद में बात करूंगा।

3. गरीबी-उन्मूलन और मध्यम आय वाला देश बनने के लिए प्रयासरत भारत ने स्वयं स्थायी विकास के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। हमारे सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इनमें से प्रत्येक संस्थान की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च’ का यदि उदाहरण लें तो भारत में सशक्त और जीवंत फार्मास्युटिकल उद्योग है और जेनेरिक दवाओं के उत्पादन में हमारा रिकॉर्ड उल्लेखनीय है। फिर भी, अब इस क्षेत्र में लम्बी छलांग लगाने का समय आ गया है। उदाहरण के लिए, क्या हम दवा की खोज में, अत्याधुनिक पेंटेंटशुदा दवाओं के विकास में अग्रणी बन सकते हैं? क्या हम मधुमेह, टीबी जैसी लंबे समय से चली आ रही सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या को हल कर सकते हैं?उद्यमशीलता का वातावरण तैयार करने में ही इसका समाधान छिपा हुआ है और यह आपके संस्थानों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

4. इसी प्रकार, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय उपयोगी अनुसंधान के माध्यम से सतत कृषि ,उत्पादकता को बढ़ावा देने और हमारे किसानों की सहायता करने के हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों में सहयोग कर सकते हैं। यही बात विमानन, सागर-विज्ञान, पेट्रोलियम और ऊर्जा ,आईटी, डिज़ाइन, वास्तुकला जैसे भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से जुड़े अन्य सभी संस्थानों पर भी लागू होती है। आप सभी अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन हमें अपने मानकों को और ऊपर उठाने की आवश्यकता है। जैसे-जैसे हमारी अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो रही है, हमें उस पैमाने और दक्षता को हासिल करने की जरूरत है, जो दुनिया में सर्वाधिक उन्नत व्यवस्था से भी बेहतर हो। आपके संस्थानों का दायित्व है कि वे अनुसंधान का नेतृत्व करने, कुशल प्रतिभा उपलब्‍ध कराने, नवाचार में तेजी लाने और सतत व जलवायु-अनुकूल विकास के लिए एजेंडा निर्धारित करें।

देवियो और सज्जनो,

5. मैंने उन संभव तालमेलों का उल्लेख किया है जहाँ आप में से कुछ साथ मिलकर काम करना चाहेंगे। अपनी-अपनी विशेषज्ञता बढ़ाते हुए, इन संस्थानों को परस्पर सहयोग करना चाहिए और एक दूसरे से सीखना चाहिए। ऐसा करना, एक ही प्रकार के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों के लिए संभव है। ऐसा कर पाना, अलग-अलग श्रेणियों के संस्थानों के लिए भी संभव है। उदाहरण के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाली प्रगति से वास्तुशिल्प और नगर योजनाकारों को ऐसे स्मार्ट शहरों को डिजाइन करने में सहायता मिल सकती है जिनसे ऊर्जा की खपत कम से कम होती हो। आप सभी को मिलकर ऐसी प्रणालियां स्थापित करनी होंगी जिनसे विभिन्न श्रेणी के संस्थानों के बीच परस्पर सहयोग की संभावनाओं का पता लगाया जा सके और एक दूसरे का सहयोग किया जा सके जिससे हमारी अनेक समस्याओं के समाधान की रचनात्मक संभावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

6. जिन विषयों पर आपने प्रस्तुतियाँ दी हैं, मैं उनका अधिक विस्‍तार से उल्लेख नहीं करूंगा। लेकिन यह जरूर कहूंगा कि रिक्त पदों को भरना अत्यधिक अनिवार्य है। जहां भी पद सृजित किए जाने का कार्य शेष है, वहां इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। अवसंरचनात्मक परियोजनाओं को पूरा करने की आवश्यकता है; नवाचार और उद्यमिता को सहायता/समर्थन देने की भी जरूरत है। साथ ही, आप सभी को उद्योग क्षेत्र के साथ-साथ अपने पूर्व-विद्यार्थियों, के साथ भी रचनात्मक तरीके से सहयोग करना चाहिए।आईआईटी दिल्ली ने आज अपने पूर्व विद्यार्थियों द्वारा सृजित अक्षय निधि (एंडोमेंट फण्ड) पर एक प्रस्तुति दी है। मैं आप सभी से आग्रह करूँगा कि आप भी ऐसी पहल करें और पूर्व विद्यार्थियों को शामिल करने की कार्य योजना तैयार करें। मुझे आशा है कि अगले वर्ष जब हम मिलेंगे तो मुझे आपके द्वारा आरम्भ की गई पहलों के बारे में और अधिक सुनने का अवसर मिलेगा।

देवियो और सज्जनो,

7. शिक्षा के महान संस्थानों की विशिष्टता का पैमाना यह होता है कि वे किस प्रकार का नेतृत्व विकसित करते हैं। अग्रणी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को,भावी पीढ़ी के अकादमिक-प्रशासकों के लिए नेतृत्वकारी मार्गदर्शक की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे पास निदेशकों, संकाय-अध्यक्षों और प्रशासकों का ऐसा प्रतिभाशाली दल तैयार रहे जो उच्च शिक्षा के हमारे संस्थानों की परिकल्पना, स्थापना और प्रशासन का कार्य कुशलतापूर्वक कर सकें।

8. आज, हमने कुछ चुनौतियों के बारे में चर्चा की है और आगे के मार्ग की पहचान करने में कुछ प्रगति की है। आपके संस्थानों के लिए ‘भविष्‍य दृष्टि’ उपलब्‍ध कराने में आज यहां उपस्थित संस्थानों के प्रभारी मंत्रियों की बड़ी भूमिका है। यही लोग यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके संस्थानों के लक्ष्य इस देश के लोगों की आकांक्षाओं और आशाओं के अनुरूप हों। मुझे विश्वास है कि संस्थानों के प्रमुख अपने संस्था की विकास-गाथा की योजना बनाते समय उनका मार्गदर्शन लेंगे। मुझे यह भी यकीन है कि अब आपके संस्थानों के समक्ष आने वाली समस्याओं से विभिन्न विभागों के सचिव बेहतर तरीके से अवगत हो गए हैं और वे आपके साथ मिलकर इनका शीघ्रता से समाधान निकलने की दिशा में तत्‍परता से काम करेंगे।

9. इस ज्ञानवर्धक बैठक के लिए राष्ट्रपति भवन आने और चर्चाओं में भाग लेने के लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं। मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई कि आप सभी अपने संस्थानों के प्रति और उन्हें उत्कृष्टता के अगले स्तर तक ले जाने के लिए अति प्रतिबद्ध हैं। मैं आपकी और आपके संस्थानों के उज्‍ज्‍वल भविष्य की लिए शुभकामना करता हूं।

धन्‍यवाद,

जय हिन्‍द !