अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के 45वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण
नई दिल्ली : 16.01.2018
1. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान अथवा एम्स के 45वें दीक्षांत समारोह के लिए यहां उपस्थित होना मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। एम्स एक राष्ट्रीय उत्कृष्ट केंद्र है। यह चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल में देश के लिए एक आदर्श है। एम्स गुणवत्ता, प्रतिबद्धता और गहरे अनुभव का पर्याय बन चुका है। संकाय और चिकित्सक तथा वास्तव में विद्यार्थी हमारे चिकित्सा समुदाय और हमारे राष्ट्र का गौरव हैं। मैं, अत्यधिक विषम परिस्थितियों के बावजूद इन असाधारण मानदण्डों को कायम रखने के लिए एम्स परिवार के प्रत्येक सदस्य की सराहना करता हूं।
2. मुझे, विद्यार्थियों और रेजीडेंट, आज स्नातक बन रहे और अपनी डिग्रियां प्राप्त कर रहे ऊर्जावान युवा डॉक्टरों और नर्सों को संबोधित करके विशेष प्रसन्नता हो रही है। मैं उनको और विशेषकर पदक व पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। यह आपके जीवन का एक ऐतिहासिक क्षण है। आप एम्स के चिकित्सा स्नातकों और स्नातकोत्तरों की नामी सूची में शामिल हुए हैं। आपकी सफलता आपके परिश्रम, आपके शिक्षकों और प्रोफसरों के प्रयासों और आपके परिवार के त्याग का फल है। व्यापक रूप से यह समाज की भी मदद है जिसने एम्स जैसे संस्थान की स्थापना और रखरखाव में योगदान दिया है।
3. इस प्रकार, आप एक ऐसी दुनिया में कदम रख रहे हैं, जिसमें पहले से ज्यादा आपकी सेवाओं की आवश्यकता है। आपको याद रखना चाहिए कि आपको समाज में योगदान करना है। यह सच है कि आपकी शैक्षिक श्रेष्ठता, चिकित्सीय कौशल और उनकी विशेषज्ञता के लिए उचित पुरस्कार मिलना चाहिए। तथापि डॉक्टरों के तौर पर आपकी सेवाएं, फीस वहन करने वालों और गरीब और असमर्थ दोनों तरह के लोगों को मिलनी चाहिए। रोग अमीर-गरीब में भेद नहीं करता परन्तु दुर्भाग्यवश गरीबों को सबसे अधिक कष्ट भुगतना पड़ता है। आयुर्विज्ञान समाज के लाभ के लिए है न कि समाज आयुर्विज्ञान के लाभ के लिए है।
4. रोगियों और उनके परिजनों का आप पर गहरा विश्वास है और वे भगवान के बाद आपको ही देखते हैं।यह आपको सुनिश्चित करना है कि आप इस विश्वास का सम्मान करें और आप देखभाल और सहृदयता के साथ उनका उपचार करें।
5. हमारे बेहद सजग और कुशल नर्स और चिकित्सक सहायक हमारी स्वास्थ्य चुनौतियों को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उनका कार्य कभी नहीं रुकता। कर्त्तव्यनिष्ठा और सहृदयता ने भारतीय नर्सों-पुरुषों और महिलाओं को अपने क्षेत्रों में हमारे देश के सबसे उत्कृष्ट पेशेवरों में शामिल कर लिया है। इस संदर्भ में, आज स्नातक बने नर्सिंग विद्यार्थियों का विशेष उल्लेख करना चाहूंगा। आप सभी को मेरी बधाई।
6. भारत विरोधाभासों का देश है। हमारे जनस्वास्थ्य से यह ज्यादा स्पष्ट दिखाई देता है। डायरिया, न्यूमोनिया और टीबी, मातृत्व और बाल मृत्युदर जैसी पारंपरिक चुनौतियां कम हो रही हैं परन्तु ये अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। दूसरी ओर, असंक्रामक रोग और जिन्हें जीवनशैली से जुड़े रोग कहते हैं, बड़े जानलेवा रोग के रूप में उभर रहे हैं ये हृदय और मस्तिष्क, कैंसर और प्रदूषण स्रोतों से संबंधित है।
7. हमारे देश में मोटापा और कुपोषण प्रमुख जन स्वास्थ्य मुद्दे हैं। हमारे देश में विश्व के सबसे अधिक बच्चे और वरिष्ठजन हैं। ये समूह हमारी स्वास्थ्य प्रणाली और हमारे डॉक्टरों और नर्सों के सम्मुख बहुत अलग किंतु असली चुनौती पेश कर रहे हैं।
8. प्रगति के बावजूद कमियां बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय कंपनियां विश्व कीसबसे बड़ी वैक्सीन कंपनियां हैं। ये वैक्सीन पूरे दुनिया में भेजी जाती हैं। हमारे नवान्वेषी चिकित्सा वैज्ञानिकों ने नए वैक्सीन तैयार किए हैं। इसके बावजूद, हमारा रोगप्रतिरोधक रिकॉर्ड अपेक्षित स्तर से नीचे बना हुआ है। विशेषकर दूरदराज और दुर्गम स्थानों पर रहने वाले हमारे बहुत से बच्चे रोग प्रतिरक्षण का पूरा कोर्स हासिल नहीं कर पाते। इस संदर्भ में, मैं श्री जे.पी. नड्डा के नेतृत्व में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रयासों की सराहना करता हूं। मिशन इंद्रधनुष जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत करके, यह प्रतिरक्षा अन्तर को भर रहा है और देश के भविष्य हमारे बच्चों को जान लेवा बीमारियों से बचा रहा है।
9. जिस परिदृश्य का मैंने उल्लेख किया है, उसके लिए सभी भागीदारों, सरकारी या निजी क्षेत्र, आशा कार्यकर्ता और एएनएम के रूप में जमीनी स्तर पर या एम्स जैसे प्रमुख रेफरल अस्पतालों के विशेषज्ञों के समन्वित कार्य की जरूरत पड़ेगी। प्रौद्योगिकी के प्रयोग तथा रोग निदान के लिए दूरचिकित्सा अपनाने से स्वास्थ्य सुविधाओं को सबसे जरूरतमंदों तक ले जाया जा सकता है। एम्स जैसे संस्थानों में अग्रणी शोध उभरती हुई बीमारियों और स्वास्थ्य चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अत्यावश्यक हैं।
10. इस सभी में, प्रमुख कारक चिकित्सा प्रणाली का आधार आप डॉक्टर हैं, जिन्हें आज डिग्रियां प्रदान की जा रही हैं। आपके बिना प्रणाली कारगर नहीं होगी। आपकी अगुवाई में, हम सभी को सुनिश्चित करना होगा कि भारत के स्वास्थ्य प्रयास कुछ ही नहीं बल्कि सभी नागरिकों तक पहुंचे। आपको यह सुनिश्चित करना है कि समूची आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं हमारे जीवनकाल में स्वीकार्य स्तर तक पहुंच जाएं। पोलियो और इससे पहले चेचक के खिलाफ लड़ाई ऐसे ही लड़ी और जीती गई थी। इन सभी जीत से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और हम सभी आयामों में और अधिक स्वस्थ भारत के लिए कार्य करें।
देवियो और सज्जनो
11. मुझे ज्ञात है कि मैं अपने डॉक्टरों के मजबूत कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी डाल रहा हूं। परन्तु मैं यह भी मानता हूं कि हमारे डॉक्टरों को मदद की जरूरत है। उन्हें और अधिक सहकर्मियों के रूप में मदद की जरूरत है। इसलिए हमें अपने समाज में डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक नई नियामक प्रणाली की आवश्यकता है। इसके अभाव में, हमारे डॉक्टरों पर बहुत अधिक कार्यभार है। मैं कहना चाहूंगा कि काफी ज्यादा है। मुझे विश्वास है कि एम्स के मेहतनी डॉक्टर, जो प्रतिदिन परिश्रम के साथ इतने रोगियों का इलाज करते हैं, मुझसे सहमत होंगे।
12. वर्तमान में, हमारे चिकित्सा कॉलेजों में चाहे व सरकारी या निजी सस्थानों द्वारा संचालित हों, लगभग 67000 स्नातक और 31000 स्नातकोत्तर सीटें हैं। 1.3 अरब लोगों के देश में, यह बहुत ही अपर्याप्त है। हमें उन नियामक बाधाओं और स्वार्थी समूहों पर नियंत्रण करना है जो हमारे देश में श्रेष्ठ चिकित्सा शिक्षा के विकास को रोकते हैं। इसमें हमें प्रतिवर्ष लोगों की जरूरतों के मुकाबले बहुत कम चिकित्सा स्नातक और स्नातकोत्तर उपलब्ध होते हैं। इसी वजह से प्रतिभावान चिकित्सा विद्यार्थी अन्य देशों के कॉलेजों में प्रवेश का प्रयास करते हैं क्योंकि देश में उनके लिए कम विकल्प होते हैं। सामान्यत: यह सही नहीं है।
13. एक राष्ट्र के रूप में, हमें तत्काल इस स्थिति पर ध्यान देना होगा। हमें चिकित्सा को अपना रोजगार प्रदान करने वाले युवाओं के लिए और अवसर पैदा करने होंगे।
14. इसी उम्मीद के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं एक बार पुन: जिन्हें आज डिग्रियां प्रदान की जा रही हैं, उन्हें और विशिष्ट एम्स समुदाय को बधाई देता हूं।आप सभी चिकित्सक, हमारे राष्ट्र और मानवता के प्रति अनेक वर्षों तक सेवा करते रहें।
धन्यवाद
जय हिन्द !