Back

सूरीनाम में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह के अवसर पर, भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

सूरीनाम : 21.06.2018

Download PDF

1. आप सभी को मेरा नमस्‍कार। सूरीनाम के मनोरम सौंदर्य के बीच अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस मनाना मेरा सौभाग्य है। आपका देश और आपका आतिथेय भाव-भीने और शांतिदायक रहे हैं। योगाभ्यास के लिए इससे अधिक अनुकूल स्थान के बारे में मैं सोच नहीं सकता। राष्ट्रपति बुतरस और उप राष्ट्रपति अश्विन अधीन द्वारा इस समारोह का हिस्सा बनने के लिए उदारभाव से सहमत होने से मेरा सौभाग्‍य और बढ़ गया है।

2. आज विश्व में कहीं पर भी और न ही पिछले किसी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर दो राष्ट्राध्यक्ष प्रतिभागी कभी एक-साथ इसमें शामिल हुए हैं। यह एक अभूतपूर्व घटना है और राष्ट्रपति महोदय, मैं आपको बताना चाहूंगा कि जो मित्र मिलकर योग करते हैं वे सच्चे मित्र होते हैं और हमेशा मित्र बने रहते हैं।

3.योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है, परंतु यह अकेले भारत की ही नहीं है। यह मानवता की अमूर्त विरासत का हिस्सा है। संपूर्ण विश्व, प्रत्येक महाद्वीप और सभी समुदायों के करोड़ों लोगों ने योग को अपनाया है और अपने-अपने तरीके से योग की व्याख्या की है। योगाभ्यास से उनके तन और मन पर लाभकारी प्रभाव पड़ा है। खास तौर से, तनावों और जीवनशैली से जुड़े रोगों से भरी वर्तमान दुनिया में इससे सभी को लाभ हो सकता है।

4. भारत के आग्रह पर तथा संयुक्‍त राष्ट्र के सभी सदस्यों के सर्वसम्‍मत समर्थन से संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने 21 जून को अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्‍प पारित किया। पहला अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस 2015 में मनाया गया था। इसके बाद से, योग के प्रति उत्‍साह चहुंओर फैल गया है। आज, चौथा अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस सूरीनाम और भारत के साथ-साथ मोटे तौर पर दुनिया के लगभग हर देश में मनाया जा रहा है। मेरे विचार से, योग भारतीय सौम्‍य शक्ति का सर्वोत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन है। इसने वास्‍तव में यहां सूरीनाम सहित दुनिया के सभी हिस्‍सों के योग अभ्‍यासकर्ताओं का प्‍यार और अपनत्‍व अर्जित किया है।

5. योग तन और मन तथा वचन और कर्म के सहज संबंध का प्रतीक है। यह मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देता है, यह एक ऐसा भाव है जो सूरीनाम की संस्कृति में गहराई से बसा हुआ है। इससे स्वास्थ्य और आरोग्यता के प्रति साकल्‍यवादी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है। हमारे जटिलताओं से भरे विश्‍व में, विकट जन-स्वास्थ्य चुनौतियों और रोगों के कारण, सरकारों और स्वास्थ्य एजेंसियों के सम्‍मुख लोगों की आरोग्यता सुनिश्चित करने का कठिन कार्य मौजूद है। एक बहु-आयामी दृष्टिकोण तथा उपचार व रोकथाम का मेल आवश्यक है। मैं कहना चाहूंगा कि योग को इस मेल का हिस्सा बनाया जाना होगा। हमारे लोगों को स्वस्थ रखने और बहुत सी सामान्य बीमारियों से बचाव करने वाले योग में या तो बहुत कम या नाम मात्र का निवेश किया जाना होता है।

6. योग के इन लाभों को ध्‍यान में रखते हुए, अलग-अलग देशों और संस्कृतियों में पारंपरिक ज्ञान की खोज करने तथा आधुनिक युग में इस ज्ञान को लाभकारी बनाने के तौर-तरीकों पर विचार करने या इसे हमारे समय के अनुरूप ढालने की प्रेरणा हम सभी को ग्रहण करनी चाहिए। सूरीनाम और भारत सहित अनेक समाजों में पारंपरिक ज्ञान संपदा विद्यमान है। यहां की मेरी यात्रा के दौरान, हमारे देशों ने आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में सहयोग पर एक समझौता किया है। यहां भी हमारे लिए सीखने और ग्रहण करने के लिए बहुत कुछ है। और मुझे विश्वास है कि हम मिलकर यह काम कर सकते हैं।

7. सूरीनाम की यात्रा करना तथा राष्ट्रपति बुतरस और सरकार के उनके सहयोगियों तथा आपके शानदार देश की मित्र जनता के साथ मेल-मिलाप करना मेरे लिए सम्‍मान की बात रही है। यहां से जाते हुए मैं अपने साथ बहुत सारी यादें लेकर जाऊंगा परंतु आपके खूबसूरत देश में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की स्मृति हमेशा मेरे मन में अंकित रहेगी। मैं यह दिन कभी भूल नहीं सकता। राष्ट्रपति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद; आप सबका धन्यवाद। यहां उपस्थित आप सभी को और सूरीनाम के सभी लोगों को मेरी शुभकामनाएं।