प्रतिमा चिकित्सा विज्ञान संस्थान में ‘सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया
एवं अन्य आनुवंशिक रक्त विकारों के क्षेत्र में उत्कृष्टता केन्द्र’ के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ
कोविन्द का सम्बोधन
करीमनगर : 22.12.2018
1. मुझे आज यहां करीमनगर में आकर ख़ुशी हो रही है।समृद्ध ऐतिहासिक अतीत, जीवंत वर्तमान और एक स्मार्ट भविष्य की योजना वाले इस शहर की संयोग से यह मेरी पहली यात्रा है।मुझे विशेष रूप से इस बात की प्रसन्नता है कि मेरी पहली यात्रा बहुत महत्वपूर्ण और सार्थक अवसर पर हो रही है। मैं सिकल सेल एनीमिया,थैलेसीमिया और अन्य आनुवंशिक रक्त विकारों के लिए एक समर्पित केन्द्र स्थापित करने के लिए ‘प्रतिमा चिकित्सा विज्ञान संस्थान’ को बधाई देता हूं।
2. हमारे देश ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है।हमारे डॉक्टर और पैरामेडिकल कार्मिकों की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों और पैरामेडिकल कार्मिकों में होती है।आज,सुपर-स्पेशिएलिटी अस्पताल पूरे भारत में विद्यमान हैं।हमारे कई प्रमुख शहर उन्नत चिकित्सा उपचार और चिकित्सा पर्यटन के पसंदीदा स्थलों के रूप में उभरे हैं।चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति और जीवन स्तर में सुधार के परिणामस्वरूप, हमारी आज़ादी के बाद से भारत में औसत जीवन प्रत्याशा दोगुनी से अधिक हो गई है।
3. जहाँ ये उपलब्धियाँ प्रशंसनीय हैं, वहीं ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में हमारे नागरिकों के लिए समान रूप से सस्ती और सुलभ, एक समग्र स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने के लिए हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है।सार्वजनिक अस्पतालों, नगरपालिका अस्पतालों, धर्मार्थ अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य एवं आरोग्य चिकित्सालयों के सुदृढ़ीकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।इसके अलावा, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में और समाज के वंचित वर्गों के बीच स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर हमें जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। आनुवंशिक रक्त विकारों के प्रबंधन और शमन के लिए ऐसा करना उपयोगी होगा, क्योंकि ऐसे विकार आदिवासी समुदायों में विशेष रूप से पाए जाते हैं।
4. सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया और अन्य आनुवंशिक रक्त विकारों से पीड़ित रोगियों की संख्या के मामले में भारत सर्वाधिक रोगग्रस्त वाले देशों में शामिल है। मुझे बताया गया है कि भारत में थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित बच्चों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। जहाँ लगभग 1,50,000 बच्चे थैलेसीमिया मेजर से ग्रस्त हैं, वहीं ऐसे लाखों रोग वाहक हैं जिनमें थैलेसीमिया मेजर के आनुवंशिक लक्षण मौजूद हैं।
5. हीमोग्लोबिन जनित रोग एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या हैं। कई परिवारों पर इनका भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक बोझ आता है।हमारा स्वास्थ्य देखभाल तंत्र और हमारे चिकित्सा पेशेवरों को ऐसे समय में आगे आना होगा और इसके समाधान के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे।इन विकारों की गंभीरता 'स्वस्थ' रोग वाहक पति-पत्नी के बच्चों में प्रकट होती है, और इससे उनकी रोकथाम और उपचार, एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा बन जाता है।इन विकारों को दूर करने लिए बार-बार रक्त आधान,दवाओं और एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन और जटिल चिकित्सकीय प्रबंधन के साथ आजीवन उपचार की आवश्यकता होती है।इस संदर्भ में, ऐसी संस्था की सर्वाधिक आवश्यकता वाले क्षेत्र में इन विकारों के लिए एक समर्पित केंद्र की स्थापना के बारे में सोचने और इसकी शुरुआत करने के लिए मैं प्रतिमा चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रयासों की सराहना करता हूं।
6. लक्ष्य समूहों के बीच जागरूकता पैदा करना और उन्हें सही समय पर परामर्श देना, समस्या के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।सांस्कृतिक,नैतिक, कानूनी मुद्दों पर ध्यान देते हुए, वाहक की जाँच और प्रसव पूर्व निदान के साथ-साथ सामुदायिक शिक्षा और जागरूकता फैलाना एक सफल रोकथाम कार्यक्रम के आवश्यक घटक हैं।
7. हमारे निजी और सार्वजनिक-दोनों क्षेत्रों के अस्पतालों के स्वास्थ्यचर्या पेशेवरों को, इन बीमारियों से प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए, समुदाय में स्वैच्छिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम करना होगा।जरूरतमंद मरीजों के लिए उचित समय पर रक्त आधान की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए,रक्त दान की संस्कृति को प्रोत्साहित करने और रक्त दान से जुड़ी किसी भी गलत अवधारणा अफवाह को दूर करने की भी आवश्यकता है।अपनी सीएसआर पहल के भाग के रूप में, व्यावसायिक घराने भी रोगियों के उपचार के वित्तपोषण के लिए आगे आ सकते हैं।
देवियो और सज्जनो,
8. हमारे सामने, स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियाँ मौजूद हैं और हमारी उपलब्धियाँ भी अनेक हैं।‘आयुष्मान भारत’ पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करने का है कि कोई भी व्यक्ति,वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण स्वास्थ्यचर्या से वंचित न रहे।ग़रीब और कमजोर वर्ग के परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने वाली - आयुष्मान भारत – ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’का शुभारंभ तीन महीने पहले, 23 सितंबर को किया गया।मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि पहले 3 महीनों के भीतर ही, द्वितीयक या तृतीयक स्तर की देखभाल की आवश्यकता वाले 6लाख से अधिक लोगों को देश भर के अस्पतालों में भर्ती किया गया और उनके इलाज के लिए 800 करोड़ रुपये प्राधिकृत किए जा चुके हैं। अब किसी गरीब पिता को अपनी बीमार बेटी के इलाज के लिए अपना छोटा घर नहीं बेचना पड़ेगा और अब किसी माँ को अपने बेटे के इलाज के लिए धन की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।"स्वस्थ भारत सबल भारत" के हमारे सपने को पूरा करने में ‘आयुष्मान भारत’ से मदद मिल सकती है।
9. फिर भी, इस सपने को साकार करने का प्रमुख दायित्व हमारे डॉक्टरों पर होगा।आपके बिना यह तंत्र काम नहीं करेगा।आपके नेतृत्व में, हम सभी को यह सुनिश्चित करना है कि भारत के स्वास्थ्यचर्या संबंधी प्रयास हर नागरिक तक पहुँचें, न कि केवल कुछ लोगों तक। यह आपको ही सुनिश्चित करना है कि हमारे जीवनकाल में ही पूरी आबादी के लिए स्वास्थ्य संबंधी संकेतक स्वीकार्य स्तर तक पहुंचें।इसी तरह से पोलियो, और उससे पहले चेचक के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई और जीती गई।उन विजयों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने सभी आयामों में हमें स्वस्थ भारत की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए।
10. कुछ युवा डॉक्टरों ने आज स्वर्ण पदक प्राप्त किए।वे इसके ह़कदार भी थे। यहविशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि, वे सभी स्वर्ण पदक विजेता छात्राएं हैं।हमारी छात्राएं, छात्रों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।यह एक स्वागत योग्य रुझान है जिसे मैं देश भर में देखता आ रहा हूं।मैं आपके भविष्य के करियर के लिए शुभकामनाएं देता हूं।राष्ट्र, हमारे मेडिकल छात्रों और युवा डॉक्टरों को बहुत आशा और विश्वास के साथ देखता है।आपको देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को अगले स्तर पर ले जाना है और 'सभी के लिए स्वास्थ्य' की परिकल्पना को मूर्त रूप देना है।
11. मैं आपको और संस्थान को भविष्य की योजनाओं के लिए शुभकामनाएं देता हूं।