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भारत के राष्‍ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द का ‘डोनेट लाइफ’ संस्‍था के कार्यक्रम में संबोधन

सूरत : 29.05.2018

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1. आज का यह कार्यक्रम कई प्रकार से अनूठा है और इस कार्यक्रम में आने से पहले मैं विचार कर रहा था कि सामान्‍य तौर पर, कोई ख़ास उपलब्‍धि प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्‍तियों को सम्‍मानित करने की परम्‍परा है। लेकिन आज हम यहां लीक से हटकर सोचने वाले लोगों के परिजनों को सम्‍मानित कर रहे हैं। समाज को मानवता का, दूसरों के कल्‍याण का संदेश देने वाले उन लोगों का मैं अभिनन्‍दन करता हूं, जिन्‍होंने अपनी सबसे प्रिय वस्‍तु का दान अर्थात् अंग-दान करने का संकल्‍प लिया और उसे पूरा किया।

2. मृत्‍यु के पश्‍चात् अपने शरीर के ऐसे अंगों का दान, जो किसी अन्‍य व्‍यक्‍ति के शरीर में प्रत्‍यारोपित किए जा सकें, ही अंगदान कहलाता है। अंग-दान वास्‍तव में किसी भी दूसरे दान से बढ़कर है। इसकी जरूरत उन लोगों को होती है जिनका कोई अंग, किसी दुर्घटना या गंभीर रोग के कारण खराब हो गया हो और किसी भी प्रकार की चिकित्‍सा से ठीक न हो सकता हो। ऐसे लोग या तो आगे गुणवत्‍तावूर्ण जीवन नहीं जी पाते या फिर वे जीवन की आशा ही छोड़ देते हैं। अंगदान से केवल एक व्‍यक्‍ति को ही नहीं बल्‍कि पूरे परिवार को नया जीवन मिलता है। जीवित रहते या मृत्‍यु के बाद यह नश्‍वर शरीर या इसका कोई अंग किसी को नई ज़िन्‍दगी दे, यह संकल्‍प लेने वाला व्‍यक्‍ति जीवन-दाता का दर्जा पा जाता है।

3. हम सब जानते हैं कि ‘Brain Stem Dead’घोषित किए जाने के पश्‍चात् मस्‍तिष्‍क काम करना बन्‍द कर देता है परन्‍तु अन्‍य अंग कुछ समय तक काम करते रहते हैं।यदि किसी व्‍यक्‍ति ने पहले से अंगदान-देहदान का संकल्‍प किया हुआ हो या उसके निकट-संबंधी ऐसा निर्णय करें तो शरीर के कई अंगों जैसे किडनी, लीवर, हृदय, फेफड़े, आंत, आंखों, हड्डी और त्‍वचा आदि की harvesting समय से की जा सकती है। और, उनका प्रत्‍यारोपण किसी जरूरतमंद व्‍यक्‍ति के शरीर में किया जा सकता है।

4. दुनिया भर में चिकित्‍सा-विज्ञान ने बहुत प्रगति की है। अंग-दान और अंग-प्राप्‍ति की उन्‍नत विधियां विकसित कर ली गई हैं। लतटफ तफहमीग on Information Technology। लेकिन अंगों का प्रत्‍यारोपण, एक निश्‍चित समय-सीमा में किया जाना होता है। इसमें समय का और पहले से तैयारी का विशेष महत्‍व है। Organ harvesting से लेकर transplanting तक की प्रक्रियाओं में कुशल समन्‍वय और perfect time management की जरूरत होती है। Transport, Communication और Information Technology की इसमें विशेष भूमिका रहती है।

5. भारत के लिए अंगदान और देहदान करना कोई नई बात नहीं है। महर्षि दधीचि द्वारा लोक कल्‍याण के लिए अस्‍थि-दान किए जाने का उदाहरण मिलता है। लेकिन, कुछ सामाजिक मान्‍यताओं और मिथकों के कारण देश में अंगदान के प्रति जागरूकता की कमी दिखाई देती है। 125 करोड़ से अधिक की आबादी वाले इस देश में लाखों लोग अंग प्रत्‍यारोपण की प्रतीक्षा सूची में हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार केवल किडनी प्रत्‍यारोपण के लिए ही 20 लाख से अधिक लोग प्रतीक्षा सूची में हैं। इसी प्रकार से लीवर के लिए एक लाख से अधिक लोग प्रतीक्षा सूची में हैं।

6. लेकिन, स्‍थिति में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है। जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, अधिक से अधिक लोग अंगदान के लिए आगे आ रहे हैं। मुझे बताया गया है कि जीवित लोगों में अंगदान, विशेष रूप से किडनी-दान के मामले में भारत बहुत ऊपर है। नेत्रदान के बारे में भी बहुत तेजी से सुधार हो रहा है।

देवियो और सज्‍जनो,

7. अंगदान के लिए जन सामान्‍य को प्रेरित करने और जागरूक बनाने का काम मानवता की सेवा का काम है। सामाजिक संस्‍थाओं, कॉलेजों, चिकित्‍सा संस्‍थानों का प्रयास यह होना चाहिए कि वे लोगों को अंगदान और देहदान की प्रक्रिया के बारे में, उनकी भाषा में, सरल से सरल शब्‍दों में जानकारी दें और उन्‍हें अंगदान के लिए प्रेरित करें।

8. इस प्रकार के सम्‍मान कार्यक्रमों से भी इस कल्‍याणकारी कार्य में लगे व्‍यक्‍तियों और संस्‍थाओं को काम करने का हौसला मिलता है। कुछ महीने पहले, नवम्‍बर, 2017 में हम लोगों ने राष्‍ट्रपति भवन में दधीचि देहदान समिति को आमंत्रित किया था। कार्यक्रम में अंगदान करने वालों को और देहदान संपन्‍न कर चुके लोगों के परिजनों को सम्‍मानित करते हुए इस प्रेरणादायी प्रकल्‍प से जुड़कर मुझे हार्दिक प्रसन्‍नता हुई।

9. देहदान और अंगदान की प्रेरणा के लिए लोगों को कई प्रकार से प्रेरित किया जा सकता है। मुझे बताया गया है किइलाहाबाद, उत्‍तर प्रदेश के मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने एक अच्‍छी पहल की है। उन्‍होंने यह निर्णय लिया है कि देह-दान का संकल्‍प लेने वाला व्‍यक्‍ति यदि जीवन में कभी किसी बीमारी का शिकार होता है तो उसके इलाज की अच्‍छी से अच्‍छी व्‍यवस्‍था सरकारी खर्चे पर की जाएगी।इसी प्रकार से लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्‍टीट्यूटमें देहदान करने वालों के परिजनों को इलाज में 25फीसद की छूट देने का फैसला किया गया है। तमिलनाडु ने भी अंगदान के मामले में अनुकरणीय पहलें की हैं। देश में दूसरी जगहों पर भी ऐसे उदाहरण मौजूद हैं।

10. गुजरात का उदाहरण आपके सामने है। मुझे बताया गया है कि ‘डोनेट लाइफ’ संस्‍था ने केवल 2017 में ही 127 लोगों को नया जीवन प्रदान किया है। अभी तक यह संस्‍था कुल मिलाकर 582 लोगों की जिन्‍दगी में परिवर्तन ला चुकी है। इस संस्‍था के सहयोग से अंगदान के मामले में अनेक उल्‍लेखनीय कार्य संपन्‍न हुए हैं। मुझे विश्‍वास है कि आज का यह कार्यक्रम, अंगदान के लिए लोगों को और भी प्रेरित करेगा। इस कार्य में ‘डोनेट लाइफ’ को सूरत के विभिन्‍न संस्‍थानों और समुदायों का सहयोग प्राप्‍त हुआ है। मैं इन सभी का अभिनन्‍दन करता हूं और उन्‍हें, उनके अच्‍छे कार्य की बधाई देता हूं। अंगदान करने वाले तथा अंगदान-देहदान का संकल्‍प लेने वाले लोगों और उनके परिजनों का भी मैं पुन: अभिनंदन करता हूं। आइए, हम सब अपने स्‍वजनों के साथ अंगदान के बारे में बात करें और मिलकर लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करें।

धन्‍यवाद

जय हिन्द!