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निम्‍हांस के 22वें दीक्षांत समारोह में भारत के राष्‍ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द द्वारा सम्‍बोधन

बंगलुरु : 30.12.2017

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1. मुझे राष्‍ट्रीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍नायुविज्ञान संस्‍थान के 22वें दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित होकर प्रसन्‍नता हुई है। निम्‍हांस एक राष्‍ट्रीय परिसंपत्‍ति है। इसने आयुर्विज्ञान में शिक्षा और अनुसंधान को चिकित्‍सीय सेवाओं और उपचार के साथ समेकित किया है। प्रत्‍येक वर्षयह करीब 7लाख रोगियों का उपचार करताहै जिनमें अनेक विदेशी नागिरक भी शामिल हैं। प्रत्‍येक तीन में से दो रोगी गरीब वर्गों के होते हैं। वे यहां पर या तो नि:शुल्‍क या फिर बहुत कम दर पर चिकित्‍सा सुविधा प्राप्‍त करते हैं। यह एक सराहनीय उपलब्‍धि है और मैं इसके लिए निम्‍हांस परिवार को बधाई देता हूं।

2. मैं यहां के स्‍नातक विद्यार्थियों को भी बधाई देता हूं। वे उल्‍लेखनीय विरासत के उत्‍तराधिकारी हैं। उन्‍होंने अपनी सफलता के लिए कड़ी मेहनत की है और उन्‍हें इसके लिए अपने प्रोफेसरों और अपने सहयोगी परिवारों को धन्‍यवाद देना चाहिए। उन्‍हें इस संस्‍थान के सृजन और उनके लिए शिक्षा का अवसर पैदा करने में मदद के लिए समाज को भी धन्‍यवाद देना चाहिए।

3. तथापि, जो विद्यार्थी इस दीक्षांत समारोह में अपनी उपाधियां प्राप्‍त कर रहे हैं, उनके लिए असली चुनौती अब शुरू हो गई है। वे एक ऐसी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं जहां उनके कौशल की पहले से ज्‍यादा जरूरत है। भारत के सामने मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की चुनौती कोई साधारण चुनौती नहीं है। मैंने पूर्व अवसरों पर भी कहा है कि भारत संभावित मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य महामारी के मुहाने पर खड़ा है।

4. इस स्‍थित के लिए अनेक कारण जिम्‍मेवार हैं। एक देश के तौर पर, हम प्रौद्योगिकीय, आर्थिक और जनसांख्‍यिकीय चुनौतियां महसूस कर रहे हैं जो हमारे देश में रोग की समस्‍या के स्‍वरूप को बदल रही हैं। असंक्रामक रोग जैसे कि हृदय रोग और डायिबटीज अब बड़े जोखिम के रूप में उभर रहे हैं। इन्‍हें अकसर जीवन शैली और तनाव से जोड़ा जाता है। और इनके बाद मानसिक बीमारी या मासिक स्‍वास्‍थ्‍य चिंताएं बहुत दूर की बात नहीं रह जातीं।

5. मुझे ज्ञात है कि निम्‍हांस ने‘राष्‍ट्रीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण’ किया है और पूरे देश में मनोविकारों के दबावों का अनुमान लगाया है। इस सर्वेक्षण के निष्‍कर्ष झकझोर देने वाले हैं। 10 प्रतिशत से ज्‍यादा भारतीयों को एक-दो मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हैं। 1.3 अरब लोगों के देश में, यह आंकड़े चौंका देने वाले हैं। इन्‍हें परिप्रेक्ष्‍य में रखकर देखें तो किसी न किसी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या से पीड़ित भारतीयों की संख्‍या जापान की पूरी आबादी से ज्‍यादा है।


6. इसके परिणामस्‍वरूप, वह स्‍थिति पैदा होती है जिसे मनोविकारों का तिहरा बोझ कहा जाता है-

I.सामान्‍य मानिसक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं

II.गंभीर मानसिक रोग ; और

III.नशीले पदार्थ का उपयोग व दुरुपयोग

7. भारत में एक अन्‍य तरह का तिहरा दबाव भी है। मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍या विशेषकर यौवन के दौरान युवाओं में; बुजुर्गों में और शहरी इलाकों में रहने वालों को है। भारत में तीनों घटकों में बढ़ोत्‍तरी हो रही है। हमारी 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। बुजुर्गों और वरिष्‍ठ लोगों की कुल संख्‍या के मामले में हमारा देश विश्‍व में सबसे बड़ी संख्‍या में बुजुर्गों और वरिष्‍ठ लोगों वाले देशों में शामिल है। हमारा शहरीकरण ऐसी तेजी से हो रहा है जैसा इतिहास में कभी नहीं हुआ।

8. मानसिक स्‍नायु समस्‍याओं से पीड़ित रोगियों की सबसे बड़ी बाधा सामाजिक कलंक और नकार का भाव है । इसके कारण यह मुद्दा अनदेखा कर दिया जाता है या उस पर चर्चा ही नहीं की जाती। कुछ मामलों में तो स्‍व–निदान का सहारा लिया जाता है जिससे हालात और खराब हो जाते हैं। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, हमारे समाज को सामाजिक कलंक के इस चलन का मुकाबला करना होगा। हमें मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य मुद्दों पर बातचीत करनी होगी और अवसाद व तनाव जैसे रोगों के प्रति ऐसा नज़़रिया रखना होगा कि उनका इलाज किया जा सकता है, न कि इन्‍हें अपराध बोध पैदा करने वाली कोई गोपनीय चीज बना दिया जाए जिसे छिपाया जाना हो।

9. इसलिए, मुझे खुशी है कि सहयोग और जागरूकता भारत सरकार के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम में महत्‍वपूर्ण घटक के रूप में शामिल हैं। कार्यक्रम के अन्‍तर्गत मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में 23 उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्रों का निर्माण किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के समानांतर भारत के जिला मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम में लगभग 650 जिलों में से 517 जिलों को आवृत्‍त कर लिया गया है। मैं ऐसे प्रयासों के लिए केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा की सराहना करता हूं। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि निम्‍हांसद्वारा तैयार किया गया समुदाय-आधारित मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का बेल्‍लारी मॉडल देश के अन्‍य जिलों के लिए अनुकरणीय है।

10. एक अन्‍य प्रमुख कमी जिस पर हमें ध्‍यान देना है, वह है मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवरों की। मुझे बताया गया है कि हमारे देश में लगभग 5000 मनोचिकित्‍सक और 2000 से कम चिकित्‍सीय मनो- वैज्ञानिक हैं। यह संख्‍या बहुत कम है। विशेषतौर से मानसिक रोगों के निदान के प्रयोजन से, कॉलेजों और शिक्षा संस्‍थानों में पढ़ाने वाले चिकित्‍सकों, मनोवैज्ञानिकों तथा देशभर में जनस्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली के अग्रिम मोर्चे पर सहायक नर्सों और दाइयों के रूप में कार्यरत कार्मिकों की सेवा लेना उचित होगा।

देवियो और सज्‍जनो

11. राष्‍ट्रीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण एक चेतावनी है। इसने और अधिक पुरानी तथा अशक्‍तता- कारी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं की ओर ध्‍यान खींचा है। राष्‍ट्रीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य नीति तथा मानसिक स्‍वास्‍थ्‍यचर्या अधिनियम के लागू होने से, एक गंभीर और व्‍यापक प्रयास का आधार तैयार हो गया है। महत्‍वाकांक्षी परन्‍तु प्राप्‍त किए जा सकने वाले लक्ष्‍य तय करना जरूरी है और हमें सुनिश्‍चित करना है कि हम निर्धारित कठोर समय सीमा के भीतर इन्‍हें हासिल कर लें।

12. भारत 2022 में, अपनी भारत स्‍वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। हमें यह सुनिश्‍चित करना होगा कि उस समय तक कम से कम गंभीर मानसिक विकारों से पीड़ित लोगों का निदान कर लिया जाए और उपचार सुविधाओं तक उनकी पहुंच बना दी जाए। आइए, इसे एक राष्‍ट्रीय मिशन के रूप में लेकर चलें।

13. सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र तथा सभी संबंधित सार्वजनिक और निजी संस्‍थाओं को इस प्रयास में योगदान करना होगा। भारत के अग्रणी मानसिक संस्‍थान के रूप में, निम्‍हांस का दायित्‍व है कि वह इसके लिए एक रूपरेखा तैयार करे और मार्गदर्शक की भूमिका निभाए। पारंपरिक उपचार के अलावा, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से पीड़ित लोगों की सहायता में परामर्श सेवाओं तथा योग और विपासना ध्‍यान जैसी पद्धतियों की भूमिका भी जोरदार ढंग से तलाशी जानी चाहिए।

14. निम्‍हांस, राज्‍य व राष्‍ट्रीय-दोनों स्‍तरों पर मानसिक, स्‍नायु संबंधी समस्‍याओं, नशीले पदार्थों के सेवन और व्‍यवहार संबंधी समस्‍याओं तथा चोटों के लिए नीतियों और समस्‍याओं के निर्माण में सहयोग के लिए आगे आ रहा है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप स्‍वयं को चुनौती दें और अपनी क्षमता बढ़ाएं। आपके देश को आपकी जरूरत है और मानसिक रोगग्रस्‍त हमारे साथी देशवासी चाहते हैं कि आप अपने कार्य में सफलता प्राप्‍त करें।

15. रोगियों को सेवा प्रदान करने में आप सभी की मदद में निम्‍हांस में हो रहे निरंतर क्षमता निर्माण से काफी असर पड़ेगा। आज हम 125 विस्‍तर वाले स्‍नायुविज्ञान केन्‍द्र के उप-विशेषज्ञता खण्‍ड का उद्घाटन कर रहे हैं। इस सुविधा के होने का लाभ यह होगा कि पहले से भर्ती रोगियों की सेवा मजबूत होगी और स्‍नायुविज्ञान और स्‍नायु शल्‍य चिकित्‍सा की अव्‍यवस्‍थाओं का प्रबन्‍धन किया जा सकेगा। एक अति विशेष मनोरोग चिकित्‍सा खण्‍ड की भी आधारशिला रखी गई है। सच तो यह है कि मैं उत्‍तरी बंगलुरु में निम्‍हांस के नए कैम्‍पस की संभावना के बारे में आशान्‍वित हूं।

16. परन्‍तु ध्‍यान रखें कि आपकी अवसंरचना क्षमता बड़ी होने के साथ-साथ ही आपका दिल भी बड़ा होना चाहिए। आपके रोगियों के परेशान मन को एक यथार्थवादी, चिकित्‍सीय निदान की जरूरत होगी और साथ ही, चिकित्‍सक की गर्मजोशी और सहृदयता चाहिए होगी। आज आप स्‍नातक हो जाएंगे लेकिन इस समारोह से जाने के बाद ये बातें याद रखें। मैं आप सभी को और निम्‍हांस को उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की शुभकामनाएं देता हूं। मैं हर एक को शुभकामनाएं देता हूं कि वर्ष 2018 उसके लिए सुखद और संतोषप्रद हो।


धन्‍यवाद

जय हिन्‍द !